अमेरिका का नया राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप लगातार अपने पड़ोसी देशों को लेकर बयान दे रहे हैं, जिनमें वो उन्हें अमेरिका में शामिल किए जाने की वकालत कर रहे हैं.
एक ओर वो कनाडा को अमेरिका में मिलाने को लेकर बयान दे रहे हैं तो दूसरी ओर उन्होंने ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर भी अमेरिका के क़ब्ज़े की बात कही है.
ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इग़ा ने बीते महीने ही साफ़ कह दिया था कि ग्रीनलैंड उसके लोगों का है और वो बिकाऊ नहीं है.
यह बात भी ग़ौरतलब है कि ग्रीनलैंड एक स्वतंत्र राष्ट्र नहीं है बल्कि वो डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है.
ग्रीनलैंड को लेकर क्या कह रहे हैं ट्रंप
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर अमेरिका का क़ब्ज़ा होना चाहिए क्योंकि ये दोनों अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और दुनिया में कहीं भी जाने की आज़ादी के लिए अमेरिका महसूस करता है कि ग्रीनलैंड पर नियंत्रण बेहद ज़रूरी है.
इस बयान के आने के तुरंत बाद ग्रीनलैंड की ओर से बयान आया. उसके प्रधानमंत्री म्यूट इग़ा ने कहा, “हम बिकाऊ नहीं हैं और हम कभी भी बिकाऊ नहीं होंगे.”
उन्होंने इसके बाद कहा, “हमें स्वतंत्रता के लिए अपने लंबे संघर्ष को नहीं भूलना चाहिए. हालांकि, हमें पूरी दुनिया और ख़ासकर अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग और व्यापार के लिए खुले रहना चाहिए.”
ग्रीनलैंड की वापस चर्चा शुरू
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ग्रीनलैंड पर नियंत्रण की बात कही है और उस पर डेनमार्क की ओर से जवाब भी आया है.
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति से मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पूछा गया कि क्या वो स्वायत्त डेनिश क्षेत्र या पनामा नहर के लिए सैन्य या आर्थिक बल का इस्तेमाल करेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “नहीं, मैं आपको इन दोनों पर ही भरोसा नहीं दिला सकता हूं.”
हालांकि उन्होंने इसके बाद कहा कि वो आर्थिक सुरक्षा के लिए इन्हें चाहते हैं. ट्रंप ने ग्रीनलैंड को लेकर ये बयान तब दिया है जब उनके बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने ग्रीनलैंड का दौरा किया है.
वो ग्रीनलैंड की राजधानी नूक पहुंचे हैं. ट्रंप जूनियर ने कहा कि वो लोगों से बात करने के लिए व्यक्तिगत दौरे पर आए हैं और सरकारी अधिकारियों से मिलने की उनकी कोई योजना नहीं है.
डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर अब तक ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री का बयान आया था लेकिन मंगलवार को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ़्रेडरिक्सन ने ट्रंप के दावों को ख़ारिज करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ग्रीनलैंड पर क़ब्ज़ा करने के लिए अमेरिका सैन्य और आर्थिक ताक़त का इस्तेमाल करेगा.
इसके साथ ही फ़्रेडरिक्सन ने कहा कि वो अमेरिका के आर्कटिक क्षेत्र में बड़ी रुचि दिखाने का स्वागत करते हैं. हालांकि इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि ये ग्रीनलैंड की जनता के प्रति ‘सम्मानजनक’ तरीक़े से किया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री फ़्रेडिरक्सन से ट्रंप जूनियर के ग्रीनलैंड दौरे को लेकर भी सवाल पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड ग्रीनलैंडर्स का है और केवल स्थानीय आबादी ही अपना भविष्य तय कर सकती है.
उन्होंने इस पर भी सहमति जताई कि ‘ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है.’ हालांकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि डेनमार्क को अमेरिका के साथ क़रीबी सहयोग बनाए रखने की ज़रूरत है क्योंकि दोनों ही नेटो सदस्य हैं.
ग्रीनलैंड को क्यों चाहते हैं ट्रंप
उत्तरी अमेरिका से यूरोप जाने के सबसे छोटे रूट पर ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. ये अमेरिका की बड़े स्पेस सुविधा का केंद्र भी है.
अमेरिका काफ़ी लंबे समय से ग्रीनलैंड को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है. उसने शीत युद्ध के दौरान थ्यूली में एक रडार बेस स्थापित किया था.
इसके साथ ही दुनिया के कई दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार भी यहां मौजूद हैं जो बैटरी और हाई-टेक डिवाइस बनाने में इस्तेमाल होते हैं.
ट्रंप का मानना है कि ‘सभी जगह मौजूद’ रूसी और चीनी जहाज़ों की निगरानी के लिए सेना की कोशिशों के लिए ये द्वीप बेहद ज़रूरी है.
उन्होंने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, “मैं मुक्त दुनिया की रक्षा की बात कर रहा हूं.”
21 लाख स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्रफल की आबादी वाले ग्रीनलैंड द्वीप की आबादी सिर्फ़ 57 हज़ार है. कई तरह की स्वायत्तता वाले ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था डेनमार्क की सब्सिडी पर निर्भर है और ये किंगडम ऑफ़ डेनमार्क का हिस्सा है.
इस द्वीप के 80 फ़ीसदी हिस्से पर स्थाई रूप से तक़रीबन 4 कि.मी. मोटी बर्फ़ जमी रहती है.
पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने इस आर्कटिक द्वीप को ख़रीदने में इच्छा जताई थी. तब भी उसी तरह उनके बयान को ख़ारिज किया गया था जैसे अभी किया गया है.
हालांकि, ट्रंप ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं हैं जिन्होंने ग्रीनलैंड को ख़रीदने का सुझाव दिया है. 1860 के दशक में अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने पहली बार ये विचार रखा था.
पनामा को लेकर क्या है चर्चा
ट्रंप का आरोप है कि पनामा नहर के इस्तेमाल के लिए पनामा उससे बहुत अधिक दाम वसूल रहा है इसलिए उसे वापस लेना बेहद ज़रूरी है. साथ ही उनका कहना है कि नहर उनके देश के लिए बेहद ज़रूरी है.
इसके अलावा ट्रंप का आरोप है कि पनामा नहर पर चीनी सैनिकों का नियंत्रण है और वो अवैध रूप से इसका संचालन कर रहे हैं
हालांकि पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो इन दावों को ‘बेतुका’ बता चुके हैं. उनका कहना है कि पनामा नहर में कोई चीनी दख़ल नहीं है.
अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली इस नहर के प्रवेश द्वार पर दो बंदरगाहों का प्रबंधन हॉन्गकॉन्ग स्थित सीके हचिसन होल्डिंग्स देखती है.
1900 के दशक के शुरुआत में बनी इस नहर का नियंत्रण 1977 तक अमेरिका के ही पास था. हालांकि राष्ट्रपति जिमी कार्टर की मध्यस्थता में ज़मीन को वापस पनामा को सौंप दिया गया था.
इसके बाद 1999 से इसका नियंत्रण पूरी तरह से पनामा के पास चला गया था.
ट्रंप का कहना है, “पनामा नहर को पनामा को सौंपना एक बड़ी ग़लती थी. देखिए, (कार्टर) अच्छे आदमी थे. लेकिन वो एक बड़ी ग़लती थी.”
इसके अलावा ट्रंप कनाडा को भी अमेरिका में मिलाने की बात कह चुके हैं. वो कनाडा को पहले ही धमकी दे चुके हैं कि वो अमेरिका के साथ लगती अपनी सीमा पर सुरक्षा बढ़ाए वरना वो कनाडा के सामान पर टैरिफ़ लगाएंगे.
मार-आ-लागो में प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान ट्रंप ने एक बार फिर अपनी चिंताओं को दोहराते हुए कहा था कि मेक्सिको और कनाडा के रास्ते अमेरिका में ड्रग्स आ रहा है.
उन्होंने कनाडा की तरह ही मेक्सिको पर भी 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की चेतावनी दी है.
अमेरिकी आंकड़ों के मुताबिक़, मेक्सिको से लगी सीमा की तुलना में अमेरिका-कनाडा सीमा से नशीली दवाओं को ज़ब्त करने की मात्रा बेहद कम है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित