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चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 के मिशन पर काम कर रहा भारत, इसरो ने जापान से मिलाया हाथ; धरती पर लाया जाएगा चंद्रमा का सैंपल

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May 22, 2025


इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 की घोषणा की। चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा से नमूने एकत्र कर पृथ्वी पर लाना है जो भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण कदम है। चंद्रयान-5 जापान के साथ एक सहयोगी मिशन है जिसमें 350 किलोग्राम का रोवर होगा जो 100 दिनों तक काम करेगा।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने ओडिशा के सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीटीटीसी) में चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 की घोषणा की। इसरो प्रमुख ने कहा है कि चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा के नमूने एकत्र करना और उसे पृथ्वी पर वापस लाना है, जबकि चंद्रयान-5 जापान के साथ एक सहयोगी मिशन है।

इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की महत्वाकांक्षी प्रगति जारी है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अगले प्रमुख अंतरिक्ष अभियान, चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह के नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है।

अंतरिक्ष मिशनों में मिलेगी सहायता

इस अभूतपूर्व प्रयास का उद्देश्य चंद्रमा से नमूनों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है, जो भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए एक उल्लेखनीय पहला कदम है। इस महत्वाकांक्षी मिशन का खुलासा इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने भुवनेश्वर में सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीटीटीसी) के दौरे के दौरान किया।

चंद्रयान-4 में चंद्रमा पर उतरना, नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना शामिल होगा, जिससे चंद्र भूविज्ञान के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी और संभावित रूप से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में सहायता मिलेगी।

भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

  • चंद्रयान-4 चंद्रमा के बारे में बेहतर समझ के लिए मंच तैयार करेगा, क्योंकि वैज्ञानिक इसके द्वारा लौटाए गए नमूनों का विश्लेषण करने की उम्मीद कर रहे हैं। यह मिशन चंद्र अनुसंधान में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
  • इसके बाद, इसरो चंद्रयान-5 के लिए जापान के साथ मिलकर काम कर रहा है। डॉ. नारायणन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चंद्रयान-5 अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक व्यापक मिशन होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-5 का कुल लॉन्च वजन 6,400 किलोग्राम होगा, जो चंद्रयान-3 के 5,000 किलोग्राम से काफी अधिक है।
  • एक महत्वपूर्ण वृद्धि में चंद्रयान-5 रोवर का नियोजित परिचालन जीवनकाल शामिल है, जिसका वजन 350 किलोग्राम होगा – जो पिछले रोवर के 25 किलोग्राम से बहुत अधिक है। यह नया चरण मिशन की अवधि को मात्र 14 दिनों से बढ़ाकर पूरे 100 दिन करने की अनुमति देगा, जिससे चंद्र सतह का अधिक विस्तृत अन्वेषण संभव होगा।

चंद्रयान 5 मिशन पर भी काम कर रहा इसरो

इसरो प्रमुख ने बताया कि अभी हम चंद्रयान 4 पर काम कर रहे हैं, क्योंकि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग की और हमारे देश को गौरव दिलाया। चंद्रयान 4 एक सैंपल रिटेन मिशन है। हम उतरेंगे, सैंपल लेंगे और उसे वापस धरती पर लाएंगे।

इसरो प्रमुख ने कहा कि हम चंद्रयान 5 मिशन पर भी काम कर रहे हैं। यह जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएएक्सए के साथ मिलकर किया गया एक सहयोगात्मक मिशन है। इस बार रोवर का वजन 350 किलोग्राम होगा और इसकी आयु करीब 100 दिन होगी।

डॉ. सुनील षडंगी को दिया श्रेय

  • डॉ. नारायणन ने ओडिशा में सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीटीटीसी) में अपने भाषण के दौरान कहा कि प्रत्येक मिशन के साथ हम जो प्रगति कर रहे हैं, वह अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमताओं को उजागर करती है।
  • इस अवसर पर इसरो प्रमुख ने अपनी सफलता के लिए ओडिशा के अपने वैज्ञानिक गुरु डॉ. सुनील षडंगी को सम्पूर्ण श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि आज राकेट में प्रयोग होने वाली क्रयोजेनिक तकनीक वह उन्हीं से सीखी थी।
  • वी. नारायणन जो वर्तमान में इसरो अध्यक्ष हैं, वह आईआईटी खड़गपुर में प्रो. सुनील षडंगी के शिष्य थे। उन्होंने कहा कि अपने गुरू से यह तकनीकी सीखने के बाद हमने थेसिस तैयार किया था, जिसे वर्तमान में सभी रॉकेट में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने अपने गुरू के प्रति आभार जताया है।

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