इमेज स्रोत, Getty Images
छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में गुरुवार को अलग-अलग इलाकों में माओवादियों के ख़िलाफ़ शुरू हुआ ऑपरेशन समाप्त हो चुका है.
सुबह इन मुठभेड़ों में दो संदिग्ध माओवादियों के मारे जाने का आंकड़ा, शाम होते-होते 30 तक जा पहुंचा. पुलिस ने मारे गए संदिग्ध माओवादियों की संख्या बढ़ने से इनकार नहीं किया है.
यह वही इलाका है, जहां पिछले महीने की नौ तारीख़ को पुलिस ने 31 संदिग्ध माओवादियों को मारने का दावा किया था.
इसी साल 20-21 जनवरी को ओडिशा सीमा पर 27 और 16 जनवरी को तेलंगाना सीमा पर पुलिस ने 18 संदिग्ध माओवादियों को मारने का दावा किया था.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
गुरुवार की मुठभेड़ों को लेकर बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने कहा, “इलाके में घेराबंदी और सर्चिंग ऑपरेशन अभी भी जारी है. कांकेर-नारायणपुर ज़िले की सीमा पर और दंतेवाड़ा-बीजापुर की सीमा पर मुठभेड़ की दो अलग-अलग घटनाएं हुईं. इनमें एक मुठभेड़ स्थल से 26 और दूसरे मुठभेड़ स्थल से 4 माओवादियों के शव बरामद किए गए हैं.”
सुंदरराज पी ने कहा कि आम तौर पर गर्मी के दिनों में माओवादी विशेष तौर पर सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हैं लेकिन माओवादियों की हर योजना को सुरक्षाबल के जवान ध्वस्त कर रहे हैं.
‘ एक साल पहले की रणनीति पर काम’
उन्होंने कहा कि 2024 में माओवादियों के ख़िलाफ़ जिस रणनीति की शुरूआत की गई थी, उसी रणनीति पर बस्तर पुलिस लगातार काम कर रही है.
आज की मुठभेड़ के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “नक्सलमुक्त भारत अभियान’ की दिशा में आज हमारे जवानों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. छत्तीसगढ़ के बीजापुर और कांकेर में हमारे सुरक्षा बलों के दो अलग-अलग ऑपरेशन्स में 22 नक्सली मारे गए. मोदी सरकार नक्सलियों के विरुद्ध रुथलेस अप्रोच से आगे बढ़ रही है और समर्पण से लेकर समावेशन की तमाम सुविधाओं के बावजूद जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर रहे, उनके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है. अगले साल 31 मार्च से पहले देश नक्सलमुक्त होने वाला है.”
31 मार्च 2026 की समय सीमा
इमेज स्रोत, Getty Images
असल में पिछले साल ही देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भारत से माओवादियों को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए 31 मार्च 2026 की तारीख़ तय की है. यही कारण है कि पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल, माओवादियों के ख़िलाफ़ लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं.
पिछले साल यानी 2024 में पुलिस ने 223 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था.
इनमें 16 अप्रैल, 2024 को कांकेर के छोटेबेठिया में 29 और 4 अक्टूबर को दंतेवाड़ा के थुलथुली में 38 संदिग्ध माओवादियों के मारे जाने जैसी मुठभेड़ें भी शामिल हैं, जिन्होंने मध्य भारत में किसी एक मुठभेड़ में सर्वाधिक माओवादियों के मारे जाने के पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए थे.
इस साल यानी 2025 में अब तक 93 माओवादी मारे जा चुके हैं. इनमें आज की संख्या जोड़ ली जाए तो यह संख्या 123 हो जाती है. यानी पिछले 78 दिनों का आंकड़े देखें तो हर दो दिन में कम से कम तीन माओवादी मारे गए. इस दौरान सुरक्षाबलों के 11 जवानों की भी मौत हुई.
हालांकि सुरक्षाबलों और संदिग्ध माओवादियों के बीच होने वाली कई मुठभेड़ों को लेकर सवाल भी हैं और आदिवासी कई मुठभेड़ों को फर्ज़ी बताते रहे हैं.
लेकिन इन मुठभेड़ों से परे भी बस्तर में आदिवासी मारे जा रहे हैं.
सुरक्षाबल भले माओवादियों के सिमटने का दावा कर रहे हों, माओवादियों के ख़िलाफ़ अपने ऑपरेशन को निर्णायक लड़ाई बता रहे हों लेकिन इन सारी मुठभेड़ों के बीच लगातार माओवादी आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं.
आंकड़े क्या कहते हैं
इमेज स्रोत, SALMAN RAVI/BBC
छत्तीसगढ़ गृह विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 1 जनवरी 2024 से इस साल 1 फरवरी 2025 यानी पिछले 13 महीनों में माओवादियों ने 74 लोगों की हत्या की.
इनमें से 64 लोगों पर आरोप था कि कि ये पुलिस के मुखबिर के तौर पर काम कर रहे थे. इस तरह देखें तो हर पांचवें दिन माओवादियों ने एक ने एक आम नागरिक की हत्या की है और यह सिलसिला जारी है.
इसके अलावा इन 13 महीनों में माओवादियों के हमले में 29 जवान भी मारे गये हैं.
यह तब है जब माओवादियों से लड़ने के लिए राज्य की पुलिस, डिस्ट्रक्ट रिज़र्व गार्ड, बस्तर बटालियन के साथ-साथ राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 53 बटालियन तैनात हैं.
राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा के अनुसार-“नक्सल अभियान में सहयोग की लिहाज से भारतीय वायु सेना एवं सीमा सुरक्षा बल के हेलिकॉप्टर और अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं. माओवादी घटनाओं के कुशल अनुसंधान एवं अभियोजन के लिए राज्य अन्वेषण अभिकरण का गठन कर कार्यवाही की जा रही है.”
विजय शर्मा का दावा है कि माओवाद प्रभावित इलाकों के विकास और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए उच्च तकनीकी क्षमता के उपकरणों, सुरक्षा उपकरणों, हथियार इत्यादि की खरीद इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, ट्रेनिंग, सहायक आरक्षकों के मानदेय के लिए सरकार की ओर से ‘सुरक्षा संबंधी व्यय योजना’ एवं ‘विशेष अधोसंरचना योजना’ के माध्यम से राशि दी जा रही है.
छत्तीसगढ़ सरकार का दावा
देश के गृहमंत्री अमित शाह की तरह ही छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा भी मानते हैं कि 31 मार्च 2026 तक माओवाद पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा.
लेकिन माओवादी आंदोलन को बरसों तक देखने-समझने और उस पर काबू पाने की कोशिश करने वाले छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन इन तारीख़ों से इत्तेफ़ाक नहीं रखते.
विश्वरंजन कहते हैं, “कांकेर जंगल वारफेयर कॉलेज में जवानों का प्रशिक्षण और उन्हें मैदान में हौसले से उतारने का सिलसिला आज रंग ला रहा है. माओवादियों के ख़िलाफ़ एक के बाद एक सफल ऑपरेशन चल रहे हैं. लेकिन आप ऐसा नहीं कह सकते कि इससे माओवाद ख़त्म हो जाएगा.”
विश्वरंजन विस्तार से समझाते हैं कि कैसे स्टालिन के ज़माने से ही मार्क्सवादी विचारधारा अपने रूुप- रंग बदलने लगा था.
विश्वरंजन ने बीबीसी से कहा, “किसी विचारधारा को आप ख़त्म नहीं कर सकते. भारत जैसे देश में, जहां असमानता विकराल रू प ले चुकी हो, वहां संभव है कि आज का माओवाद ख़त्म हो जाए. यह भी संभव है कि हिंसक माओवादी आंदोलन भी ख़त्म हो जाए. लेकिन किसी दूसरे स्वरूप में यह माओवाद फिर से उभर जाएगा.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.