डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पुणे से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां पर एक छात्रा ने आरोप लगाया है कि घर से वापस आने के बाद हॉस्टल की सभी छात्राओं का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जाता है। इस आरोप को महिला आयोग ने गंभीरता से लिया है।
दरअसल, सरकारी आदिवासी छात्रावास की छात्राओं ने कहा कि छुट्टियों से लौटने के बाद उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने का दबाव बनाया जाता है। छात्राओं का आरोप है कि हॉस्टल प्रबंधन का कहना है कि नेगेटिव रिपोर्ट आए बिना प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस आरोप को महिला आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने कहा कि अगर इस आरोप में सच्चाई पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आरोप तय होंगे।
महिला आयोग ने लिया संज्ञान
आयोग ने छात्राओं को प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए विवश करने को गलत माना है। आयोग ने इसको गलत मानते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया। बता दें कि इससे पहले सितंबर में ही वाकड जिला पुणे में आदिवासी लड़कियों को रेगुलर हेल्थ चेक-अप के दौरान यूपीटी टेस्ट करवाने की बात सामने आई थी। इस घटना के बाद आयोग की चेयरपर्सन रूपाली चाकणकर ने 23 सितंबर को पुणे के हॉस्टल का औचक दौरा किया था।
महिला आयोग ने जारी किया था सर्कुलर
बता दें कि राज्य महिला आयोग ने सरकार के आदिवासी विभाग के अवगत कराया था कि इन नियमों का पालन नहीं किया। आदिवासी विकास विभाग को प्रेग्नेंसी चेक-अप रोकने का इंस्ट्रक्शन दिया था। आयोग के कमिश्नर की ओर से एक सर्कुलर भी जारी किया गया। उस सर्कुलर में सख्त निर्देश दिए गए। इसमें कहा गया था कि छात्रावास की किसी भी छात्रा को यूपीटी टेस्ट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। वहीं, यह भी कहा गया कि अगर इसमें किसी को दोषी पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी।