इमेज कैप्शन, अमित शाह का कहना है कि चाहे प्रधानमंत्री हों या मुख्यमंत्री, इस देश में कोई भी जेल से सरकार नहीं चला सकता है
देश के पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है.
अमित शाह ने कहा है कि जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से इस्तीफ़ा दिया है. गृह मंत्री ने उन अटकलों को भी ख़ारिज किया है जिसमें पूर्व उप राष्ट्रपति के नज़रबंद होने की बात की जा रही है.
कांग्रेस का कहना है कि अमित शाह के बयान से जनदीप धनखड़ के लापता होने का रहस्य और भी गहरा गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने धनखड़ के इस्तीफ़े के अलावा 130वें संविधान संशोधन और आगामी उप राष्ट्रपति चुनाव जैसे मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा है.
क्या जगदीप धनखड़ नज़रबंद हैं?
पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर क्या सरकार की तरफ़ से इस्तीफ़े के लिए दबाव डाला गया था?
अमित शाह इस सवाल के जवाब में कहते हैं, “धनखड़ साहब के पत्र में इस्तीफ़े की वजह स्पष्ट है. उन्होंने अपने आरोग्य (स्वास्थ्य) का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दिया है. उन्होंने सरकार के सभी मंत्रियों और प्रधानमंत्री को अच्छे कार्यकाल के लिए धन्यवाद दिया है.”
अमित शाह के बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “आज गृह मंत्री ने इस बारे में कुछ कहा, लेकिन इससे रहस्य और गहरा गया है. कोई नहीं जानता कि किसानों के समर्थक रहे ऊर्जावान और बेबाक जगदीप धनखड़ पिछले एक महीने से ज़्यादा समय से पूरी तरह गुमनाम क्यों हैं.”
क्या जगदीप धनखड़ नज़रबंद हैं और क्या वह तख़्तापलट करना चाहते थे?
इस पर अमित शाह कहते हैं, “बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए. ऐसी कोई बात नहीं है. धनखड़ जी ने पद पर रहते हुए संविधान के हिसाब से अच्छा काम किया है. स्वास्थ्य के कारण उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है. इसको ज़्यादा खींचकर कुछ ढूंढने का प्रयास नहीं करना चाहिए.”
‘जेल से सरकार नहीं चलेगी’
बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में 130वां संविधान संशोधन बिल, 2025 पेश किया था, जिसका विपक्षी सांसदों ने भारी विरोध किया था.
इस बिल में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत केंद्र और राज्य के उन मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है, जो भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के मामले में कम से कम 30 दिनों के लिए हिरासत में या गिरफ़्तार किए गए हैं.
प्रियंका गांधी ने इस बिल को ‘कठोर’ बताया, वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने इसे ‘असंवैधानिक’ कहा था.
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बिल की आलोचना करते हुए एक्स पर पोस्ट किया, “अगर किसी पर झूठा केस लगाकर उसे जेल में डाला जाए और बाद में वो दोषमुक्त हो जाए, तो उस पर झूठा केस लगाने वाले मंत्री को कितने साल की जेल होनी चाहिए?”
एएनआई के साथ इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, “देश में एनडीए के मुख्यमंत्रियों की संख्या ज़्यादा है, प्रधानमंत्री भी एनडीए के हैं. तो ये बिल सिर्फ़ विपक्ष के लिए नहीं है. ये हमारे मुख्यमंत्रियों पर भी सवाल खड़े करता है. वो (विपक्ष) कह रहे हैं कि आपके लोगों पर एफ़आईआर नहीं हो रही है. ये लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं. उनको मालूम है कि किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ आरोप हैं तो आप कोर्ट जा सकते हैं. अदालत तय करेगी कि एफ़आईआर सही है या नहीं. इसमें पक्ष-विपक्ष कहां आता है?”
अमित शाह का कहना है कि चाहे प्रधानमंत्री हों या मुख्यमंत्री हों, इस देश में कोई भी जेल से सरकार नहीं चला सकता है.
कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि सरकार इस तरह की परिस्थिति बनाएगी कि 30 दिन के भीतर जमानत नहीं मिलेगी और विपक्षी मुख्यमंत्री को पद छोड़ना होगा.
अमित शाह ने इस पर कहा, “ये विपक्षी पार्टियों का पद से चिपके रहने के लिए तर्क है. मैं मानता हूं कि हमारी अदालतें संवेदनशील हैं और जब किसी का पद जाता है तो कोर्ट निश्चित रूप से तय समय में जमानत के संबंध में फ़ैसला करेगा. अगर सरकार कुछ ग़लत करती है तो कोर्ट तीस दिन में सही-ग़लत का निर्णय देगा.”
कांग्रेस पर दोहरे मानदंड का आरोप लगाते हुए गृह मंत्री का कहना है, “मनमोहन सरकार के समय कांग्रेस ने दोषी सांसदों को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था, जिसे राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था. अब वही राहुल, दोषी लालू यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. अब लोक सभा और राज्य सभा के सदस्य मिलकर एक संयुक्त समिति में इस विधेयक की समीक्षा करेंगे.”
वीडियो कैप्शन, जगदीप धनखड़ की राज्य सभा में अक्सर किसी न किसी सांसद के साथ होती थी नोकझोंक
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा का कहना है कि अमित शाह विपक्ष मुक्त लोकतंत्र करने की कोशिश कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मनोज झा ने कहा, “इस बिल के ज़रिए ना सिर्फ़ विपक्ष मुक्त लोकतंत्र की कोशिश हो रही है बल्कि लखनऊ में बैठे उनके प्रतिस्पर्धी को भी निपटाने की कोशिश है. ये आंतरिक विपक्ष और बाहरी विपक्ष, दोनों को ख़त्म करना चाहते हैं. ये बिल पहले तो पास नहीं होगा, अगर पास हुआ तो सुप्रीम कोर्ट में एक मिनट नहीं ठहरेगा.”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि देश में पहले से ही पीएमएलए क़ानून मौजूद है इसलिए इस तरह के क़ानून की कोई ज़रूरत नहीं है.
सीपीआई (एम) की नेता सुभाषिनी अली ने अमित शाह के इंटरव्यू पर कहा कि इस बिल का उद्देश्य विपक्षी मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाना है.
एएनआई से बातचीत में सुभाषिनी अली कहती हैं, “कोई भी राजनीतिक अपराधी हो- चाहे मंत्री हो या मुख्यमंत्री हो, वो तब तक अपराधी है जब तक कि वो विपक्ष में है. जैसे ही वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल होता है, सारे मुक़दमे वापस हो जाते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने ऊपर लगे सारे मुक़दमे हटा लिए.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित