बेंगलुरु स्थित CEO आशीष गुप्ता ने लिंक्डइन पर GEN Z को लेकर टिप्पणी की है। CEO आशीष गुप्ता ने कहा GEN Z रील्स बनाता हैं लेकिन उसे असली गणित नहीं आता। कैंपस हायरिंग अनुभव को शेयर करते हुए गुप्ता ने बीबीए और बीसीए जैसे स्ट्रीम से नए ग्रेजुएशन की भर्ती के लिए एक पॉपुलर इंस्टीट्यूट के सफर के बारे में बताया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। GEN Z को लेकर इन दिनों चर्चा जोरों पर हैं। इस बीच बेंगलुरु स्थित CEO आशीष गुप्ता ने लिंक्डइन पर GEN Z को लेकर टिप्पणी की है। जिसमें उनके रील लाइफ के कारण रियल लाइल ज्ञान को कम आंका जा रहा है। CEO आशीष गुप्ता ने कहा, GEN Z रील्स बनाता हैं, लेकिन उसे असली गणित नहीं आता।
पोस्ट में आशीष गुप्ता ने एक असहज वास्तविकता की ओर इशारा किया, उन्होंने कहा- एक पीढ़ी जो वायरल कंटेट बनाने में तेज है। अपने हाल ही के कैंपस हायरिंग अनुभव को शेयर करते हुए, गुप्ता ने बीबीए और बीसीए जैसे स्ट्रीम से नए ग्रेजुएशन की भर्ती के लिए एक पॉपुलर इंस्टीट्यूट के सफर के बारे में बताया।
CEO आशीष गुप्ता ने पूछा सवाल
50 से अधिक छात्रों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने कक्षा 5 का एक सीधा-सादा गणित का सवाल पूछा: ‘यदि कोई कार पहले 60 किमी 30 किमी/घंटा की गति से और अगले 60 किमी 60 किमी/घंटा की गति से चलती है, तो इसकी औसत गति क्या है?’
आशीष गुप्ता ने कहा
इससे एक कठोर सच्चाई सामने आती है, GEN Z सोशल मीडिया पर नेविगेट करने में बहुत तेज है, लेकिन बुनियादी समस्या-समाधान, तार्किक तर्क और वित्तीय साक्षरता का अभाव है। उन्होंने आगाह किया कि अगर यह असंतुलन जारी रहा, तो यह व्यक्तिगत वित्त, निर्णय लेने और विश्लेषणात्मक चुनौतियों से निपटने में पूरी पीढ़ी को असुरक्षित बना सकता है।
25 प्रतिशत अमेरिकी ही GEN Z को रखना चाहते
जेनरेशन Z फ्रेशर्स को नियुक्त करने के बारे में भर्तीकर्ता विभाजित हैं। केवल 25 प्रतिशत अमेरिकी भर्तीकर्ता उन्हें नियुक्त करने के लिए उत्सुक हैं, जबकि 17 प्रतिशत झिझकते हैं या खुले तौर पर अनिच्छुक रहते हैं। गुप्ता ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि चुनौती पुरानी सोच से परे है और जेनरेशन Z के नजरिए और पारंपरिक कार्यस्थलों की मांगों के बीच एक बुनियादी अलगाव की ओर इशारा करती है।
कैसा है GEN Z?
नियोक्ता जेनरेशन Z कर्मचारियों के बीच अधिकार की भावना सहित विभिन्न चिंताओं की रिपोर्ट करते हैं, जिसमें 65 प्रतिशत नियोक्ता इसे एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उजागर करते हैं। 55 प्रतिशत का कहना है कि जेनरेशन Z फीडबैक को व्यक्तिगत आलोचना के रूप में लेता है, जिससे विकास में मुश्किल हो जाती है।
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