उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का इकोसिस्टम काफी कमजोर हुआ है। लेकिन आतंकवाद को खत्म करने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठ को पूरी तरह से रोकने के लिए ‘जीरो इंफिल्ट्रेशन’ का टारगेट रखना होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और आतंकवादियों को जड़ से खत्म करने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियां घुसपैठ और आतंकवाद पर बेहद सख्ती के साथ कठोरता से कार्रवाई करें।
4 फरवरी को भी हुई थी मीटिंग
बैठक में जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, आईबी डायरेक्टर तपन डेका, जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी नलिन प्रभात समेत गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने चार फरवरी को भी सिक्योरिटी रिव्यू मीटिंग की थी। लेकिन मंगलवार को यह मीटिंग केवल थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और केंद्रीय गृह सचिव समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही हो पाई थी। बुधवार को सिक्योरिटी रिव्यू के लिए यह हाई लेवल मीटिंग पूरी तरह से संपन्न हो पाई।
कहां से हो रही टेरर फंडिंग?
गृह मंत्री शाह ने कहा कि नार्को नेटवर्क से घुसपैठ और आतंकियों को अपनी गतिविधियां चलाने में समर्थन मिल रहा है। नारकोटिक्स के व्यापार से जो पैसा मिल रहा है। उससे टेरर फंडिंग की जा रही है। इसके खिलाफ कठोरता से कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने एजेंसियों से नए आपराधिक कानूनों के मद्देनजर फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) के पदों में नई नियुक्तियां करने का भी निर्देश दिया।
उन्होंने आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर जोर दिया। उन्होंने सभी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के लिए तालमेल के साथ काम करना जारी रखना होगा। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस और वहां तैनात अन्य तमाम सुरक्षा एजेंसियों के कार्यों की सराहना की।