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उत्तराखंड के देहरादून के दून अस्पताल परिसर में स्थित एक मज़ार को प्रशासन ने शुक्रवार देर रात बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया.
यह कार्रवाई मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज उस शिकायत के बाद की गई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मज़ार अवैध रूप से बनाई गई थी.
वहीं, मज़ार के मुतवल्ली महफ़ूज़ अहमद ने बताया कि ये वक़्फ़ बोर्ड में पंजीकृत थी.
कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा और अस्पताल मार्ग को पूरी तरह से सील कर दिया गया.
शनिवार को मुस्लिम समुदाय ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए डीएम को ज्ञापन सौंपा है और मामले में कार्रवाई की मांग की है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ संपत्तियों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है.
इसके बावजूद प्रशासन ने मज़ार को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया.
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ऋषिकेश के रहने वाले पंकज गुप्ता का दावा है कि उन्होंने सीएम हेल्पलाइन और बाद में पीएमओ में शिकायत दर्ज कराई थी.
उनका कहना है, “चार वर्ष पुरानी शिकायत के निस्तारण के बाद मज़ार ध्वस्त की गई है. पीएमओ में शिकायत के बाद गठित एक समिति ने मज़ार को अवैध पाया था.”
मज़ार के मुतवल्ली महफ़ूज़ अहमद का कहना है, “यह दरगाह वक़्फ़ बोर्ड में वक़्फ़ नंबर 55 के तहत पंजीकृत थी. बिना किसी नोटिस के ये कार्रवाई हुई.”
वे धार्मिक सामग्री और चंदे के पैसों के लापता होने का भी आरोप लगा रहे हैं.
देहरादून के डीएम सबिन बंसल ने बताया, “राज्य सरकार के 2016 के अधिनियम के तहत बिना अनुमति के किसी भी सार्वजनिक परिसर में धार्मिक ढांचा बनाना प्रतिबंधित है.”
“दून मेडिकल कॉलेज द्वारा मज़ार के अवैध निर्माण की जानकारी देने पर पुलिस और मजिस्ट्रेट सहायता के साथ कार्रवाई की गई.”
एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, अतिक्रमण हटाने के लिए गठित प्रशासनिक समिति के निर्णय के बाद यह कदम उठाया गया.
उन्होंने कहा, “चूँकि यह मामला शहर के बीचों-बीच था तो इस कारण क़ानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए जो मांग पुलिस से की गई थी, वह मुहैया करा दी गई.”