क्रिकेट के प्रशासक अब टेस्ट क्रिकेट का हुलिया बदलने के मूड में हैं. टेस्ट क्रिकेट में टू टियर सिस्टम लाने की तैयारी है.
छह जनवरी को मेलबर्न एज में छपी एक ख़बर में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी आईसीसी के प्रमुख जय शाह जल्द ही क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख माइक बायर्ड और इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड यानी ईसीबी के प्रमुख रिचर्ड थॉम्पसन से मिलेंगे.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि इस महीने के आख़िर में होने वाली इस मुलाक़ात में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप को दो टियर में बाँटने के प्रस्ताव पर चर्चा होगी.
2027 से लागू हो सकता है नया सिस्टम
अगर ”टू टियर’ की योजना परवान चढ़ी तो भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और न्यूज़ीलैंड टीयर-वन में हो सकते हैं और वेस्ट इंडीज़, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान, आयरलैंड और ज़िम्बॉब्वे की टीमें टियर-2 में रह सकती हैं.
इस योजना को लागू करने के लिए अभी कुछ इंतज़ार करना होगा, क्योंकि मौजूदा टूर प्रोग्राम 2027 में ख़त्म होना है.
कहा जा रहा है कि इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि क्रिकेट की दुनिया की ताक़तवर टीमें आपस में ज़्यादातर भिड़ें.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने इस आइडिया का समर्थन किया है और कहा है कि ऐसा होना ही चाहिए जबकि भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने कहा कि ‘टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखना है तो सर्वश्रेष्ठ टीमों को अधिक से अधिक आपस में खेलने की ज़रूरत है.’
दर्शकों को पसंद आई बॉर्डर-गावस्कर सिरीज़
दरअसल, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में समाप्त हुए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को ख़ासी कामयाबी मिली थी. दोनों टीमों के बीच पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ खेली गई थी.
क़रीब दो महीने तक चली इस सिरीज़ को देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक स्टेडियम पहुँचे थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में अब तक का यह चौथा सबसे बेस्ट अटेंडेंस था.
इसके अलावा, यह अब तक की सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली टेस्ट सिरीज़ भी बनी. ऐसे में टेस्ट की अच्छी टीमों को आपस में ज़्यादा से ज़्यादा खेलाने की बातें हो रही हैं.
पूर्व क्रिकेटर क्या बोले?
ऐसे में इसकी संभावना है कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमें ज़्यादा से ज़्यादा टेस्ट मैच खेलकर ना सिर्फ़ इसके लोकप्रिय बनाने में मदद करेगा बल्कि पैसे की बरसात भी होगी.
भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में चल रही क्रिकेट टीम इसका अच्छा उदाहरण हैं. आईपीएल, बीबीएल और द हंड्रेड जैसी लीग पर दर्शक ख़ूब प्यार लुटा रहे हैं और इससे इन देशों के क्रिकेट बोर्ड का ख़ज़ाना भी भर रहा है.
रवि शास्त्री कहते हैं, “मेरा इस बात पर दृढ़ विश्वास रहा है कि अगर आप चाहते हैं कि टेस्ट क्रिकेट जीवित रखना है तो इसका एक ही रास्ता है कि टॉप टीमें ज़्यादा से ज़्यादा एक-दूसरे के साथ खेलें.”
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी रवि शास्त्री से सहमति जताई है. टेलीग्राफ़ में लिखे कॉलम में उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि टेस्ट मैच अब चार दिनों के होने चाहिए और हर दिन के लिए ज़रूरी ओवर तय कर दिए जाने चाहिए. सिरीज़ में कम से कम तीन टेस्ट मैच हों. टेस्ट टीमों के दो ग्रुप हों.”
वॉन ने लिखा, “मुझे यह पढ़कर खुशी हुई कि आईसीसी 2027 से टेस्ट क्रिकेट में दो टीयर सिस्टम पर विचार कर रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि अब तीन साल में दो बार एशेज देखने को मिल सकती है “
क्या प्रस्ताव के पीछे धन का लालच?
श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने कहा कि मैं इकोनॉमिक्स को समझता हूँ.
इससे तीन बोर्ड को फ़ायदा होगा लेकिन खेल पाउंड, डॉलर्स और रुपए के लिए नहीं है. इस खेल से जुड़े लोगों को निश्चित तौर पर इसकी बेहतरी के लिए काम करना होगा.
इंग्लैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ स्टीवन फ़िन ने बीबीसी रेडियो 5 से कहा, “मुझे ये ठीक नहीं लगता- मुझे नहीं लगता कि ये क्रिकेट के हित में है. मैं समझता हूँ कि ये लालच है. यह टेस्ट क्रिकेट जैसे खेल को ख़राब कर देगा.”
वेस्ट इंडीज़ को अपनी कप्तानी में 1975 और 1979 में वर्ल्ड कप दिलाने वाले क्लाइव लॉयड भी इस प्लान से सहमत नहीं दिखते हैं.
उन्होंने कहा, “इसे अभी यहीं रोक देना चाहिए. ये उन देशों के लिए बहुत ही ख़राब है, जिन्होंने टेस्ट देश का दर्जा हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की और अब वो कमज़ोर टीमों के साथ आपस में ही खेलते रहे हैं.”
लॉयड ने कहा, “इससे ये टीमें कैसे शीर्ष पर पहुँच पाएंगी? जब आप अपने से बेहतर के साथ खेलते हैं तो आपका खेल सुधरता है. तब आपको पता चलता है कि आप वाक़ई में कितने अच्छे हैं. मैं इससे व्यथित हूँ.”
उन्होंने कहा, “अच्छा तो ये होता कि टीमों को बराबर पैसे मिलते ताकि वो अपने खेल में निरंतर सुधार करने पर काम करें.”
वेस्ट इंडीज़ का एक समय टेस्ट क्रिकेट पर दबदबा था. साल 1980 से 1995 तक वह टेस्ट क्रिकेट में अजेय रहे. लेकिन इसके बाद वेस्ट इंडीज़ की टीम संघर्ष करती रही है.
आयरलैंड और अफ़ग़ानिस्तान को साल 2017 में टेस्ट प्लेइंग नेशन का दर्जा मिला था. इसके बाद से उनके कुछ मुक़ाबले ताक़तवर टीमों से भी हुए हैं, लेकिन नतीजे चौंकाने वाले नहीं रहे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित