जीएसटी के नए वर्जन में स्लैब प्रारूप और कारोबारियों के रिफंड और पंजीयन को आसान करने के लिए बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन इस प्रस्ताव में छोटी-छोटी गलती पर कारोबारियों को नोटिस भेजना और फिर उनका जीएसटी अधिकारी और कार्यालय के चक्कर लगाने की परंपरा को समाप्त करने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। छोटी कार खरीदने के लिए दिवाली का इंतजार करें।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। जीएसटी के नए वर्जन में स्लैब, प्रारूप और कारोबारियों के रिफंड और पंजीयन को आसान करने के लिए बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन इस प्रस्ताव में छोटी-छोटी गलती पर कारोबारियों को नोटिस भेजना और फिर उनका जीएसटी अधिकारी और कार्यालय के चक्कर लगाने की परंपरा को समाप्त करने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
जीएसटी रिटर्न भरने में हो जाती है भूल
कारोबारी व जीएसटी विशेषज्ञों का कहना है कि यह उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है और इसका निदान किए बगैर उन्हें राहत नहीं मिलने वाली है। कारोबारियों ने बताया कि कई बार जीएसटी रिटर्न फाइल करने में उनसे मामूली गलती हो जाती है।
दूसरे व्यापारी के कारण कई बार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की गणना में गलती होती है। कई बार वे देनदारी से थोड़ा कम जीएसटी ही दे पाते हैं। इन छोटी-छोटी गलतियों के लिए उन्हें नोटिस आ जाता है और उन्हें या उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट को व्यक्तिगत रूप से जाकर अधिकारी को समझाने-बुझाने पर मुश्किल से मामले को खत्म किया जाता है।
नोटिस सैकड़ों कारोबारियों को भेजे जाते हैं
इस प्रकार के नोटिस सैकड़ों कारोबारियों को भेजे जाते हैं। जीएसटी एक्सपर्ट और चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा ने बताया कि नोटिस आने पर कारोबारी अगर मेल से या डाक के माध्यम से जवाब भेजते हैं तो उसे अधिकारी नहीं पढ़ते हैं। बिना अधिकारी के पास गए मामले का निपटान नहीं हो सकता है।
कारोबारी पर जुर्माना बढ़ता रहता है
देनदारी का मामला नहीं निपटने तक कारोबारी पर जुर्माना बढ़ता रहता है। जानकारों का कहना है कि कारोबारी के रिटर्न की जांच मशीन करती है और जरा सी गलती पर मशीन ऑटोमेटिक रूप से कारोबारी को नोटिस भेज देती है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के पूर्व चेयरमैन विवेक जोहरी ने बताया कि रिटर्न भरने के दौरान छोटे-छोटे कारोबारियों की मंशा कानून तोड़ने की नहीं होती है, बल्कि उनसे गलती हो जाती है और फिर उन्हें इसका खामियाजा भुगतान पड़ता है।
रिटर्न से जुड़े नोटिस के समाधान का जिक्र नहीं
उन्होंने कहा कि जीएसटी के प्रस्तावित नए वर्जन के पैकेज में रिटर्न से जुड़े नोटिस के समाधान का जिक्र नहीं है। जोहरी ने बताया कि सरकार को चाहिए कि रिटर्न में गलती पकड़ी जाती है तो पहले यह देखना चाहिए कि यह मामला नोटिस देने लायक भी है या नहीं। उसका मूल्यांकन होना चाहिए।
कारोबारियों को जागरूक करने का अभियान चलाना चाहिए
रिटर्न से जुड़ी गलतियों को दूर करने के लिए सरकार को कारोबारियों को जागरूक करने का अभियान चलाना चाहिए। केंद्र के साथ राज्यों को भी इस दिशा में काम करना होगा। नोटिस के मामले नहीं निपटने से मुकदमेबाजी बढ़ती है और कारोबारी और विभाग दोनों के लिए अनिश्चतता की स्थिति पैदा हो जाती है।
कारोबारियों ने बताया कि इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान उन्हें तभी होता है जब उनके साथ कारोबार करने वाला दूसरा कारोबारी अपनी जीएसटी रिटर्न भर देता है। जिनके साथ उन्होंने कारोबार किया है, कई बार वह कारोबारी जीएसटी रिटर्न भरने में देर कर देता है या रिटर्न नहीं भरता है तो उनका इनपुट टैक्स क्रेडिट फंस जाता है।
छोटी कार लेना सोच रहे हैं तो दिवाली तक इंतजार कीजिए, फायदा होगा
इस साल छोटी गाड़ी खरीदने वालों को दिवाली या इसके बाद खरीदारी करने में ही फायदा दिख रहा है। गत 15 अगस्त को प्रधानमंत्री की घोषणा के मुताबिक इस साल दिवाली से जीएसटी की दरों में बदलाव होने जा रहा है।
प्रस्ताव के मुताबिक छोटी गाड़ियों पर जीएसटी में 10 प्रतिशत तक की कटौती हो जाएगी। अभी छोटी कार पर भी 28 प्रतिशत जीएसटी और सेस लगता है। जीएसटी के नए वर्जन के बाद छोटी कारों पर सिर्फ 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
छोटी कार पर कार पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा
ऑटो डीलरों का कहना है कि 1200 सीसी से कम क्षमता इंजन वाली कार पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। इनमें मारुति सुजुकी की कई गाड़ियां तो हुंडई और टाटा की भी गाडि़यां शामिल हैं। कार डीलर ने बताया कि 18 प्रतिशत जीएसटी होने के बाद इंट्री लेवल की कार की कीमत में 50-60 रुपए तक की राहत मिल सकती है।
बड़ी गाड़ियों की कीमतें थोड़ी बढ़ सकती है
हालांकि जीएसटी के नए वर्जन के लागू होने के बाद एसयूवी और अन्य बड़ी गाड़ियों की कीमतें थोड़ी बढ़ सकती है। क्योंकि उन पर 40 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा सकता है। अभी उन पर 28 प्रतिशत जीएसटी और सेस मिलाकर 36-37 प्रतिशत का टैक्स वसूला जाता है।