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जी-20 में टूटी परंपरा:अध्यक्षता पर अफ्रीकी राष्ट्रपति की ट्रंप को दो टूक, बोले- ऐसे किसी को भी नहीं सौंपेंगे – G20 Summit Tradition Break Us Bycott Ignore South Africa Cyril Ramaphosa Sends Clear Message To Donald Trump

Byadmin

Nov 22, 2025


दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में समूह के नेताओं ने एक ऐतिहासिक घोषणापत्र को अपनाया। इस घोषणापत्र पर सर्वसम्मति से बनी सहमति इसलिए भी चौंकाने वाली है, क्योंकि अमेरिका ने इसका विरोध किया था और शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने शनिवार को एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप को आईना दिखाते हुए कहा कि राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा जी-20 की अगली अध्यक्षता किसी अमेरिकी दूतावास के प्रतिनिधि को नहीं सौंपेंगे। ये फैसला ट्रंप के शिखर सम्मेलन बहिष्कार के बाद लिया गया है।

जी-20 में टूटी परंपरा, शुरुआत में ही अपनाया घोषणापत्र

जी-20 की परंपरा को तोड़ते हुए दुनियाभर के नेताओं ने इस साझा घोषणापत्र को जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत में ही अपना लिया। आमतौर पर इसे सम्मेलन के आखिरी दिन किया जाता है। अमेरिकी ने मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका के साथ कूटनीतिक मतभेदों के चलते इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

‘उचित स्तर के प्रतिनिधि को ही सौंपेंगे अध्यक्षता’ : बोले रामाफोसा

ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा गया था कि वह कार्यभार सौंपने के लिए जोहानिसबर्ग में अपने अमेरिकी दूतावास के प्रभारी को भेजेगा। विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने कहा कि राष्ट्रपति रामाफोसा अमेरिका के प्रभारी को कार्यभार नहीं सौंपेंगे। उन्होंने साफ किया कि अगर वे प्रतिनिधित्व चाहते हैं तो वे अभी भी उचित स्तर पर किसी को भेज सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये व्यक्ति राज्य प्रमुख, मंत्री या राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त विशेष दूत होगा।

ट्रंप को पहले भी सुनाई थी दो टूक

इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा ने गुरुवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में डोनाल्ड ट्रंप पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि जी-20 में कोई धमकी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं हो सकता कि किसी देश की भौगोलिक स्थित, आय का स्तर या सेना यह तय करे कि किसकी आवाज सुनी जाए और किससे बात की जाए।

दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि अमेरिका को संयुक्त घोषणापत्र के शब्दों पर आपत्ति है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पारित घोषणापत्र पर फिर से बातचीत नहीं की जा सकती है। रामाफोसा के प्रवक्ता ने कहा कि घोषणापत्र को शिखर सम्मेलन के शुरुआती दौर में ही स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि यह कदम इसे मिले जबरदस्त समर्थन की वजह से उठाया गया था।

घोषणापत्र में क्या है?

इस घोषणापत्र में जलवायु महत्वाकांक्षा, ऋण राहत, बहुपक्षवाद, आतंकवाद और वैश्विक संघर्षों पर एक मजबूत सियासी संदेश दिया गया। यह घोषणापत्र आतंकवाद के हर रूप और अभिव्यक्ति की साफतौर से निंदा करता है। इसमें भारत की ओर से लंबे समय से की जा रही मांग को भी महत्व दिया गया है। इसके तहत कोई अच्छा या बुरा आतंकवादी नहीं होता है।

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