प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात की और रूस-यूक्रेन विवाद को समाप्त करने की अपनी पुरानी नीति दोहराई। उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए भारत के सहयोग की पेशकश की। जेलेंस्की ने मोदी से रूस से ऊर्जा खरीद सीमित करने का आग्रह किया और शांति वार्ता के लिए भारत के समर्थन को महत्वपूर्ण बताया। दोनों नेताओं के बीच सितंबर 2025 में मुलाकात की संभावना है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से वार्ता के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेंलेंस्की से बात की।
मोदी ने यूक्रेन-रूस के बीच जारी विवाद को समाप्त करने के लिए इस मामले में अपनी पुरानी नीति को दोहराया और जल्द से विवाद समाप्त होने की कामना की। भारत ने शांति स्थापित करने के लिए अपना सहयोग देने की भी पेशकश की है।
जेलेंस्की का पीएम मोदी से आग्रह
इस पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि वह रूस से ऊर्जा खरीद करना सीमित करें। जेलेंस्की ने शांति वार्ता के लिए भारत की तरफ से मिल रहे समर्थन को महत्वपूर्ण बताया है। दोनों नेताओं के बीच सितंबर, 2025 में अमेरिका में मुलाकात करने को लेकर भी बात हुई है।
यूक्रेन-रूस में एक तरफ युद्ध जारी है जबकि दूसरी तरफ इस हफ्ते 15 अगस्त, 2025 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति पुतिन के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। भारत ने इसका स्वागत किया है।
विदेश मंत्रालय ने क्या जानकारी दी
जेलेंस्की-मोदी के बीच हुई वार्ता के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि, “राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन विवाद के बारे में ताजी जानकारी पीएम को दी है। भारतीय प्रधानमंत्री ने उनका धन्यवाद दिया और इस विवाद के शांतिप्रिय तरीके से समाधान पर अपना समर्थन दिया। पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि विवाद के सुलझाने के लिए भारत अपनी तरफ से हरसंभव मदद करेगा।”
राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरफ से बताया गया है कि मैंने पीएम मोदी को बताया कि रूस ने एक दिन पहले भी यूक्रेन पर हमला किया है। रूस सिर्फ अपना कब्जा बनाये रखने और हत्या करना चाहता है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत हमारे शांति प्रयासों का समर्थन कर रहा है। हमने रूस के खिलाफ प्रतिबंध के बारे में भी बातचीत की है।
तेल खरीद पर जेलेंस्की ने क्या कहा
उन्होंने कहा कि मैंने इस बात को बताया कि यह जरूरी है कि रूस से ऊर्जा आयात, खास तौर पर तेल की खरीद सीमित की जाए ताकि युद्ध को जारी रखने की उसकी क्षमता को कम किया जाए। यह जरूरी है कि हर वह नेता जिसका रूस पर प्रभाव है, इस बारे में मास्को को संकेत भेजे।