चुनाव आयोग ने मंगलवार को झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीख़ों का एलान कर दिया है.
झारखंड में दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान होंगे. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.
2014 और 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में पांच चरणों में मतदान हुआ था.
पिछले कुछ समय से झारखंड में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति रही है.
झारखंड का मौजूदा राजनीतिक समीकरण
पांच जनवरी 2025 को मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है.
महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा कांग्रेस, राजद और वाम दल हैं. भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में आजसू, जेडीयू और एलजेपी शामिल हैं.
हेमंत सोरेन के जनवरी 2024 में भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने के बाद सरायकेला सीट से विधायक चंपाई सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का नया मुख्यमंत्री चुना गया था.
हालांकि, 26 जून को हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद उनके करीबी रहे चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनने के लगभग 150 दिनों के भीतर इस्तीफा देना पड़ा था. इस घटनाक्रम के बाद दोनों में खटास बढ़ती गई.
पहले तो चंपाई सोरेन ने अपनी ही नई पार्टी बनाने का एलान किया लेकिन फिर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
2019 विधानसभा चुनाव में जेएमएम को 30, कांग्रेस को 16, आरजेडी और सीपीएम को एक-एक सीटें मिली थीं. इस गठबंधन ने सरकार बनाई. वहीं बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं.
झामुमो के गढ़ संथाल परगना और कोल्हान प्रमंडल की सीटों पर फोकस
आने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों, सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में मुकाबला है.
राज्य की 81 सीटों में से जेएमएम के गढ़ माने जाने वाले संथाल परगना की 18 सीटों और कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर लोगों की नज़रें हैं.
2019 विधानसभा चुनावों में संथाल परगना की 18 सीटों में भाजपा सिर्फ तीन पर जीत हासिल कर पाई थी और कोल्हान प्रमंडल की 14 सीटों पर भाजपा का खाता भी नहीं खुला था.
इस बार भी इन 32 सीटों पर सबकी नज़र रहेगी.
ऐसा इसलिए भी क्योंकि झारखंड आंदोलन में हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के मजबूत साथी रहे चंपाई सोरेन को कोल्हान टाइगर के नाम से भी जाना जाता है और माना जा रहा है कि चंपाई कोल्हान की सीटों को भाजपा के पक्ष में लाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.
आदिवासी बहुल सीटों से मिलेगी झारखंड की सत्ता की चाबी
झारखंड में लगभग 26% आदिवासी मतदाता हैं और कुल 81 सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.
2014 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से भाजपा और झामुमो दोनों ही 13-13 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि दो पर अन्य उम्मीदवार जीते थे. भाजपा ने इस चुनाव में कुल 37 सीटें जीती थी और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के छह विधायकों के समर्थन से भाजपा ने सरकार बनाई थी.
2019 विधानसभा चुनावों में भाजपा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीटों में से सिर्फ दो खूंटी और तोरपा ही जीत पाई थी और उसे सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा था.
भाजपा को इसी साल संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में भी राज्य की 5 आदिवासी बहुल सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था. ऐसे में भाजपा के लिए अनुसूचित जनजाति के वोटों को साधने की चुनौती होगी.
जेएमएम और बीजेपी दोनों ही महिला मतदाताओं को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं.
सत्ता पक्ष ने अगस्त 2024 से प्रदेश की 50 लाख से अधिक महिलाओं को मईया सम्मान योजना के तहत हर माह 1000 रुपये देने की योजना लागू की . हाल ही में हुई बैठक में इस राशि को दिसंबर 2024 में बढ़ाकर 2500 रुपये करने की घोषणा की है.
विपक्षी दल भाजपा ने भी महिला मतदाताओं के लिए गो गो दीदी योजना के नाम से सरकार बनने के बाद 2100 रुपए देने की घोषणा की है और इसके तहत भाजपा ने महिलाओं से फॉर्म भी भरवाना चालू कर दिया है.
किस पार्टी की कैसी है तैयारी?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा झारखंड में भाजपा के सह- चुनाव प्रभारी भी हैं.
उन्होंने सोमवार 14 अक्तूबर, 2024 को स्थानीय पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एनडीए में सीटों का बंटवारा लगभग पूरा हो चुका है और चुनाव की घोषणा के 48 घंटों के अंदर ज़्यादातर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी जाएगी.
वहीं, सत्तारूढ़ महागठबंधन के बीच भी सीटों के बंटवारे पर बात चल रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावों के मद्देनजर बीते एक महीने में दो बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं, इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी राज्य के दौरे पर आ चुके हैं.
झारखंड की अहम पार्टियां
- बीजेपी
- जेएमएम
- कांग्रेस
- आरजेडी
- जेडीयू
- सीपीएम
- सीपीआई(माले)
- बहुजन समाज पार्टी
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