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राजस्थान के बाड़मेर ज़िले की कलेक्टर टीना डाबी से जुड़ा एक विवाद इन दिनों सुर्ख़ियों में है. ज़िले के गर्ल्स पीजी कॉलेज में छात्र प्रदर्शन के दौरान टीना डाबी को रील स्टार कहे जाने का मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल है.
इस मामले के बाद पुलिस कार्रवाई और कुछ छात्रों को हिरासत में लिए जाने से मामला और ज़्यादा संवेदनशील हो गया है.
छात्राओं के आरोपों पर बीबीसी हिन्दी ने ज़िला कलेक्टर टीना डाबी, एडीएम राजेंद्र सिंह और एसडीएम यशार्थ शेखर से कई बार फ़ोन पर संपर्क के ज़रिए उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन ख़बर लिखे जाने तक किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका.
हालांकि टीना डाबी ने एक निजी चैनल को दिए लिखित बयान में कहा है कि ‘यह मुद्दा सिर्फ सोशल मीडिया पर ज़िंदा है. सोशल मीडिया पर जो चल रहा है, वह सिर्फ बदनाम करने और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश है.’
राजस्थान कैडर की आईएएस और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2015 की टॉपर रहने के बाद से ही टीना डाबी लगातार सुर्ख़ियों में रही हैं.
टीना डाबी कभी प्रशासनिक निर्णयों और कभी सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ी रील्स को लेकर चर्चा में रही हैं.
लेकिन इस बार स्टूडेंट के टीना डाबी को रोल मॉडल न मानने और उन्हें रील स्टार कहे जाने से उपजे विवाद में पुलिस कार्रवाई से विवाद बढ़ गया है.
क्या है विवाद
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जोधपुर विश्वविद्यालय ने बीते दिनों परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी की थी. जिसका छात्र लगातार विरोध कर रहे थे.
जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले बाड़मेर के पीजी गर्ल्स कॉलेज में भी छात्राएं परीक्षा शुल्क बढ़ोतरी का विरोध कर रही हैं.
इन धरना-प्रदर्शनों में छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पदाधिकारी और संगठन से जुड़े छात्र शामिल हैं.
कॉलेज से एमए हिस्ट्री की छात्रा और धरने में शामिल होकर पुलिस थाने पहुंचीं दीपू चौहान बीबीसी हिन्दी से कहती हैं, “हम 9 बजे से ही कॉलेज में शांतिपूर्वक धरना दे रहे थे. हमारी मांग थी कि बढ़ा हुआ शुल्क वापस लिया जाए. करीब चार घंटे हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण चलता रहा. इसके बाद एसडीएम मौक़े पर आए और आश्वासन दिया.”
धरना दे रही सभी छात्राओं ने मांग की थी कि, “हमारी कलेक्टर एक महिला हैं तो वह हमसे बात क्यों नहीं कर सकती हैं. उन्हें आना चाहिए और हमारी बात सुननी चाहिए.”
वह बताती हैं कि वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारी ने उनसे कहा, “आपको ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए. वह तो आपकी रोल मॉडल हैं. उनका एक प्रोटोकॉल होता है. वह ऐसे आकर बात नहीं कर सकती हैं.”
दीपू चौहान कहती हैं, “इस पर सभी छात्राओं ने कहा कि आप उन्हें हमारे ऊपर रोल मॉडल के तौर पर नहीं थोप सकते. अगर वह रोल मॉडल होतीं तो हमारे पास आकर हमारी मांग सुनतीं. रोल मॉडल वह होता है जो हमारे लिए प्रेरणा का स्वरूप बने. वह हमारी रोल मॉडल नहीं हैं.”
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धरने में शामिल छात्रा सुनीता जांगिड़ कहती हैं, “छात्राओं ने प्रशासनिक अधिकारी को कहा कि वह हमारी रोल मॉडल नहीं हैं. हमारी रोल मॉडल रानी अहिल्याबाई, रानी लक्ष्मीबाई, रानी पद्मिनी और पन्नाधाय जैसी वीरांगनाएं हैं, जिन्होंने समय-समय पर भारत के लिए योगदान दिया है.”
दीपू चौहान कहती हैं, “उन्होंने हमारी बात उस समय सुनकर आश्वासन देकर शांत करने का प्रयास किया. हम छात्राओं ने भी आश्वासन पर धरना समाप्त कर दिया और जाने लगे.”
छात्राओं के मुताबिक़, “प्रशासनिक अधिकारियों ने इसी दौरान मौक़े पर मौजूद अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने भीड़ कम होते देख हमसे कहा कि कलेक्टर के लिए आपने ऐसे कैसे बोल दिया. आपको ऐसा नहीं बोलना चाहिए था.”
आरोप लगाते हुए छात्रा बोलीं कि छात्राओं और संगठन के पदाधिकारियों पवन ऐचेरा, करण पाल सिंह और विजय शर्मा को पुलिस जीप में बैठाकर कोतवाली थाने ले जाया गया.
पुलिस थाने में पहुंचे एसपी
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छात्राओं का आरोप है कि उन्हें चार घंटे तक पुलिस थाने में रखा गया, लेकिन वहां कोई भी महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी.
छात्राओं ने पुलिस थाने में ही धरना दिया और मीडिया के सामने सवाल उठाया कि उनका क्या कसूर है. क्या वे अपनी बात नहीं रख सकतीं और क्या लोकतंत्र में छात्रों को अपनी मांगों के लिए धरना देने का अधिकार नहीं है.
मामला बढ़ता देख पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, एबीवीपी संगठन के पदाधिकारी और छात्राओं के परिजन भी पुलिस थाने पहुंचे.
इस दौरान बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा ने मामले को शांत कराने का प्रयास किया. इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें पुलिस अधीक्षक स्टूडेंट्स से कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, “हम मानते हैं कि गलती हो गई.”
छात्रा दीपू चौहान कहती हैं, “थाने में चार घंटे बैठने के बाद वहां एसडीएम, एडीएम और एसपी भी आए. सबके सामने उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और हमसे माफ़ी मांगी.”
वह कहती हैं, “लेकिन अब भी हमारा सवाल है कि माफ़ी तो मांग ली गई, लेकिन हमारा दोष क्या है?”
एक निजी टीवी चैनल को दिए लिखित बयान में टीना डाबी ने कहा कि किसी को भी न तो गिरफ्तार किया गया और न ही हिरासत में लिया गया.
उन्होंने कहा, “फीस बढ़ोतरी का मुद्दा सुलझ जाने के बावजूद कुछ छात्र सड़क रोक रहे थे और अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रहे थे. बातचीत करने और माहौल शांत करने के लिए हमारे अधिकारी उन्हें पुलिस थाने ले गए. करीब दो घंटे बाद वे वहां से चले गए.”
पुलिस ने क्या बताया?
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इधर, कोतवाली पुलिस थाना प्रभारी मनोज कुमार ने बीबीसी हिन्दी से फ़ोन पर बातचीत में कहा, “इस मामले में कोई शिकायत नहीं दी गई है. धरना स्थल पर हमने छात्रों से कहा था कि आप ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल न करें. छात्राओं को तो हम लाए भी नहीं थे. हमने उन्हें समझाकर वहीं से वापस भेज दिया था.”
वह कहते हैं, “छात्र-छात्राओं ने यह मुद्दा बनाया कि प्रशासन उनसे माफ़ी मांगे, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि उन्हें ज़बरदस्ती लाया गया हो या उन्हें हिरासत में रखा गया हो.”
वह कहते हैं, “एसपी भी पुलिस थाने में आए थे, जो वीडियो में नज़र आ रहे हैं. छात्रों को समझाया गया कि उनका मुद्दा फ़ीस से जुड़ा था. फ़ीस बढ़ोतरी या इस घटना में प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है.”
एबीवीपी के पदाधिकारी और कॉलेज से पुलिस थाने पहुंचे पवन ऐचेरा बीबीसी से कहते हैं, “पीजी कॉलेज और गर्ल्स कॉलेज दो बड़े कॉलेज हैं. यहां जर्जर भवन, खेल मैदान, हॉस्टल जैसे कई मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन हुए हैं. ज्ञापन भी दिए गए हैं और कलेक्टर के ज़रिये मुद्दों को आगे पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने छात्रों से मिलने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई.”
टीना डाबी इससे पहले भी कई बार चर्चा में रही हैं.
बीते दिनों बाड़मेर दिशा समिति की बैठक में सांसद और विधायक उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं दिखे थे. इस दौरान कलेक्टर को कहा गया था कि क्या यह बैठक समोसा खाने के लिए बुलाई गई है.
इससे पहले टीना डाबी को बाड़मेर में नमो बाड़मेर अभियान के लिए राष्ट्रपति से दिल्ली में सम्मानित किया गया था, जिसके बाद वह अपने प्रयासों के लिए चर्चा में रहीं.
सफ़ाई अभियान के दौरान टीना डाबी से जुड़ी कई वीडियो और रील्स सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिन्हें लाखों बार देखा गया. स्थानीय दुकानदारों और लोगों को सफ़ाई रखने की हिदायत देते हुए उनके तल्ख़ लहजे वाली वीडियो भी शेयर की गईं.
इससे पहले वह अपने कई प्रशासनिक फ़ैसलों को लेकर भी सुर्ख़ियों में रही हैं, जिनमें पाक विस्थापितों की अस्थायी बस्तियों पर बुलडोज़र कार्रवाई और अवैध क़ब्ज़े हटाने से जुड़े फ़ैसले शामिल हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.