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ट्रंप की जीत से क्यों बढ़ी चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की टेंशन, क्या भारत के साथ ‘दोस्ती’ निभाएगा अमेरिका?

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Nov 8, 2024


Trump Policy on India and neighboring countries डोनाल्ड ट्रंप के कार्यभार संभालते ही वैश्विक व्यवस्था में बड़े उथल-पुथल देखने को मिल सकते हैं क्योंकि विदेश नीति को लेकर उनके विचार उनके पूर्ववर्तियों से काफी अलग रहे हैं। भारत के पड़ोसी देशों को लेकर भी ट्रंप की सोच काफी अलग है ऐसे में भारत पर भी इसका असर पड़ेगा। जानिए क्या है ट्रंप की इन देशों को लेकर नीति।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। उनके पदभार संभालते ही विश्व व्यवस्था में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि ट्रंप की विदेश नीति अमेरिका के अन्य राष्ट्रपतियों से अलग रही है। चुनाव में जीत के तुरंत बाद ट्रंप ने एक बार फिर इसके संकेत दिए।

जहां अमेरिका का नया राष्ट्रपति आमतौर पर जीत के बाद पारंपरिक पश्चिमी सहयोगी देशों के नेताओं से बात करता है तो वहीं ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एवं अन्य वैश्विक नेताओं से बात की। यह दर्शाता है कि डोनाल्ड ट्रंप एशिया के साथ संबंध मजबूत करने को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे में उनके कार्यकाल में अमेरिका की विदेश नीति में और भी कई अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ ट्रंप की नीति क्या रह सकती है। जानकारों ने इसे लेकर

भारत

डोनाल्ड ट्रंप का पहला कार्यकाल भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के लिहाज से अच्छा रहा है। उनके और पीएम मोदी के बीच दोस्ताना संबंध भी देखने को मिले। ट्रंप कई मौकों पर भारत को एक शानदार देश और मोदी को शानदार इंसान बता चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते सबसे मजबूत थे। ट्रंप के नए कार्यकाल में भी भारत उनके प्राथमिकता में रहेगा। खासकर कि चीन को रोकने के लिए ट्रंप भारत का सहयोग बेहद अहम मानते हैं। क्वाड को भी फिर से एक्टिव करने की पहल ट्रंप ने शुरू की थी, जो कि इसे फिर से नई गति दे सकते हैं और इससे अमेरिका और भारत का और करीब आना तय है।

चीन

डोनाल्ड ट्रंप चीन को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं और उसके खिलाफ हमेशा मुखर रहे हैं। इस बार भी उन्होंने अपनी रैलियों में वादा किया है कि वह चीन से आयात होने वाले सामानों पर 60 फीसदी आयात शुल्क लगाएंगे, ऐसे में दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध बड़े स्तर पर बढ़ सकता है। पहले कार्यकाल में चीन के खिलाफ उठाए गए कदमों पर ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में दोगुना जोर दे सकते हैं। हांलाकि, दूसरी तरफ ट्रंप के चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ व्यावहारिक, लेन-देन संबंधी सौदों के लिए भी खुले रहने की संभावना है।

पाकिस्तान

पाकिस्तान को लेकर ट्रंप की नीति बाकी राष्ट्रपतियों से अलग रही है और उन्होंने कई मौकों पर खुलेआम पाक के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था। उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाते हुए 2018 में अमेरिका की ओर से दी जाने वाली सैन्य सहायता भी रोक दी थी। इस कदम से पाकिस्तान में ट्रंप के खिलाफ बेहद आक्रोश भी हुआ था। बाइडन के कार्यकाल में स्थिति बदली और उन्होंने फिर से पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता शुरू की, लेकिन ट्रंप की वापसी इस प्रगति को फिर बाधित कर सकती है। वह आतंकवाद पर दोहरा रवैया रखने का आरोप पाकिस्तान पर लगाते रहे हैं।

बांग्लादेश

बांग्लादेश के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव बेहद अहम था, क्योंकि अंतरिम सरकार के मौजूदा प्रमुख मोहम्मद युनूस डेमोक्रेट्स के करीबी माने जाते हैं और माना जाता है कि उन्हें बाइडन प्रशासन का समर्थन प्राप्त था। ऐसे में ट्रंप की जीत उनके लिए अच्छी खबर नहीं है, क्योंकि पूर्व में युनूस खुलेआम ट्रंप की आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप ने भी एक भाषण में युनूस पर निशाना साधा था। ऐसे में देखना होगा कि ट्रंप के आने से बांग्लादेश की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं।

अफगानिस्तान

ट्रंप के कार्यकाल में ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों को बुलाने का फैसला किया था और इसके बाद वहां फिर से तालिबान की सत्ता में वापसी हुई। इसिलिए तालिबान एक बार फिर से ट्रंप की वापसी को लेकर आशावादी है, लेकिन सतर्क भी है, क्योंकि ट्रंप अपने फैसलों से चौंकाते भी रहे हैं। हांलाकि, ट्रंप की अपरंपरागत नेताओं के साथ बातचीत करने की इच्छा दर्शाती है कि वह नए संबंधों के लिए हमेशा खुले रहते हैं। उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन के साथ बैठक करके भी उन्होंने ऐसा ही संदेश देने का प्रयास किया था।

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