व्हाइट हाउस में प्रशासन संभालने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने पहली आधिकारिक नियुक्ति कर दी है. उन्होंने सुसन समरॉल वाइल्स (सूज़ी वाइल्स) को अपना चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ बनाया है.
सुसन साल 2024 के ट्रंप के चुनावी अभियान की सह-अध्यक्ष थीं. नए चुने गए राष्ट्रपति की ट्रांज़िशन टीम व्हाइट हाउस में 20 जनवरी 2025 से उनकी वापसी से पहले कई उम्मीदवारों की जाँच में जुटी है.
इनमें से कई चेहरे ऐसे हैं, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान काम कर चुके हैं, मगर अब उनकी वापसी की कोई योजना नहीं है. अमेरिकी मीडिया में अफवाह है कि कुछ वफादार लोग वापसी कर रहे हैं.
78 वर्षीय रिपब्लिकन नेता ट्रंप भी नए सहयोगियों से घिरे हैं जो उनकी कैबिनेट का हिस्सा बन सकते हैं, व्हाइट हाउस में कर्मचारियों के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं और सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका प्राप्त कर सकते हैं.
यहां बात उन लोगों की जो व्हाइट हाउस में शीर्ष भूमिकाओं में नज़र आ सकते हैं.
चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़- सूज़ी वाइल्स
अमेरिका में कमला हैरिस के ख़िलाफ़ ट्रंप को मिली शानदार जीत के पीछे सूज़ी वाइल्स और उनके चुनाव अभियान के सह-अध्यक्ष क्रिस लसिविटा थे.
बुधवार को जब ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद भाषण दिया तो उन्होंने सूज़ी वाइल्स की ख़ूब तारीफ़ की. उन्होंने कहा कि वह बहुत शांत हैं. वह ‘पर्दे के पीछे रहते हुए काम करने में यक़ीन रखती हैं.’
अगले दिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में वाइल्स के नाम की घोषणा पहली नियुक्ति के तौर पर हुई. उनको व्हाइट हाउस में चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ की ज़िम्मेदारी मिली है. वह यह पद संभालने वाली पहली महिला होंगी.
चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ राष्ट्रपति का शीर्ष सहयोगी होता है. वो राष्ट्रपति के स्टाफ़ का प्रबंधन करने के अलावा वेस्ट विंग में उनके हर दिन के कामकाज की निगरानी करता है.
67 वर्षीय वाइल्स दशकों तक रिपब्लिकन राजनीति के लिए काम कर चुकी हैं. इनमें साल 1980 में रोनाल्ड रीगन के लिए चुनावी अभियान से लेकर साल 2010 में बिज़नेसमैन रिक स्कॉट को फ्लोरिडा का गर्वनर बनवाने तक की बातें शामिल हैं.
रिपब्लिकन्स ने कहा कि वाइल्स सम्मान की हक़दार हैं. उनमें यह योग्यता है कि वे ट्रंप के आसपास मौजूद लोगों के बीच न सिर्फ़ बेहतर तालमेल बिठा सकती हैं बल्कि अपना काम भी करवा सकती हैं. ऐसा उनके पहले रह चुके चारों चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ नहीं कर पाए थे.
अटॉर्नी जनरल
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण निर्णय डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस के प्रमुख की नियुक्ति से जुड़ा है.
दरअसल, ट्रंप के पहले कार्यकाल में अटॉर्नी जनरल रह चुके जेफ़ सेशंस और विलियम बार के साथ ट्रंप के रिश्ते असंतुलित रहे थे.
ऐसे में इस बार उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप ऐसे किसी व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त करेंगे जो न सिर्फ उनका विश्वसनीय हो, बल्कि उनके आलोचकों और विरोधियों को सज़ा देने के लिए एजेंसी की ताकत का इस्तेमाल करे.
कैबिनेट पद के लिए जो नाम सामने आए हैं, उनमें एक नाम टेक्सास के अटॉर्नी जनरल केन पैक्सटन का भी है, जिन पर महाभियोग भी चलाया गया था.
उनके अलावा मैथ्यू विटेकर का नाम है, जिन्होंने ट्रंप के पहले कार्यकाल में तीन महीने के लिए अटॉर्नी जनरल की भूमिका निभाई थी.
इनके अलावा माइक डेविस का नाम है, जो राइट विंग एक्टिविस्ट माने जाते हैं. वह सुप्रीम कोर्ट जज नील गोर्सच के लिए क्लर्क का काम करते थे. उन्होंने ट्रंप के आलोचकों और पत्रकारों को धमकी भी दी थी.
और एक नाम मार्क पाओलेटा का है, जो ट्रंप के बजट ऑफ़िस में काम कर चुके हैं. और वह तर्क देते हैं कि न्याय विभाग के निर्णयों से राष्ट्रपति को दूर रहने के लिए किसी तरह की क़ानूनी ज़रूरत नहीं है.
होमलैंड सेक्रेटरी
द सेक्रेटरी ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी की ज़िम्मेदारी अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर को सील करना और जिन अप्रवासियों के पास वैध दस्तावेज़ नहीं हैं, उनको देश से बाहर निकालने की व्यवस्था करना होगा.
ऐसा ही वादा ट्रंप ने चुनावी अभियान में किया भी था. इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं में सरकारी प्रयासों का नेतृत्व भी उनकी ज़िम्मेदारी होगी.
इनमें एक नाम टॉम होमन का है, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल में इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फ़ोर्समेंट विभाग में कार्यकारी निदेशक की भूमिका निभा चुके हैं. उनके चुने जाने की संभावनाएं ज़्यादा हैं.
62 वर्षीय होमन ने अवैध क्रॉसिंग को रोकने के लिए अप्रवासियों के बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने का समर्थन किया था और कहा था कि जो राजनेता इमिग्रेशन सेंचुरी पॉलिसीज़ का समर्थन करते हैं, उन पर अपराध का आरोप लगाया जाना चाहिए.
हालांकि, उन्होंने साल 2018 में ट्रंप के कार्यकाल के बीच ही पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. मगर, वे ट्रंप के समर्थक बने रहे थे.
चैड वुल्फ़, जिन्होंने साल 2019 से लेकर 2020 तक कार्यकारी होमलैंड सेक्रेटरी की भूमिका निभाई थी, जब तक उनकी नियुक्ति अवैध घोषित नहीं कर दी गई.
उनके अलावा चैड मिज़ेल भी इस दौड़ में हैं, जो होमलैंड विभाग के पूर्व कार्यकारी जनरल काउंसिल रह चुके हैं.
ट्रंप के इमिग्रेशन एजेंडा का शिल्पकार स्टीफ़न मिलर को माना जाता है. ऐसी उम्मीद है कि उनको एक बार फिर व्हाइट हाउस में वरिष्ठ सलाहकार की भूमिका दी जा सकती है.
सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट
अमेरिका में सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट (विदेश मंत्री) राष्ट्रपति के लिए विदेश संबंधी मामलों में प्रमुख सलाहकार की भूमिका निभाते हैं. वह देश से बाहर अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते समय शीर्ष राजनयिक के तौर पर काम करते हैं.
फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो का नाम महत्वपूर्ण कैबिनेट पद के लिए चर्चा में है. उनको उप-राष्ट्रपति बनाए जाने की भी चर्चा हुई थी.
53 साल के रुबियो ने 2016 में रिपब्लिकन प्राइमरी में ट्रंप का विरोध किया था, मगर बाद में मतभेदों को सुधार लिया. वह सीनेट के विदेशी मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य हैं और चेंबर के इंटेलिजेंस पेनल के उपाध्यक्ष हैं.
इस पद के लिए अन्य दावेदारों में ट्रंप के भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन, टेनेसी सीनेटर बिल हैगर्टी, ब्रायन हुक का नाम शामिल है.
हैगर्टी ट्रंप के पहले कार्यकाल में जापान में एंबेसडर रह चुके हैं. जबकि हुक ईरान में विशेष राजदूत रह चुके हैं.
इन नामों में रिचर्ड ग्रेनेल छुपे रुस्तम साबित हो सकते हैं. क्योंकि वो ट्रंप के भरोसेमंद हैं और जर्मनी में एंबेसडर की भूमिका निभा चुके हैं. साथ ही वो बॉल्कन्स में विशेष राजदूत और कार्यकारी राष्ट्रीय ख़ुफिया प्रमुख भी रह चुके हैं.
58 साल के ग्रेनेल 2020 में ट्रंप को मिली हार के परिणाम को पलटने की कोशिशों में शामिल थे. जब डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से सितंबर में मुलाक़ात की थी, तब भी ग्रेनेल उनके साथ मौजूद थे.
ग्रेनेल का काम करने का तरीका उनको नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र की भूमिका के लिए उपयुक्त बना सकता है. यह एक ऐसा पद है, जिसे सीनेट की अनुमति की ज़रूरत नहीं होती है.
इंटेलीजेंस-नेशनल सिक्योरिटी पोस्ट
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में बड़े पदों के लिए नेशनल इंटेलीजेंस के पूर्व डायरेक्टर जॉन रेटक्लिफ़, उप-राष्ट्रपति माइक पेंस के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र कीथ केलॉग, भूतपूर्व डिफ़ेंस डिपार्टमेंट अधिकारी एल्ड्रिज कॉल्बी, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के स्टाफ़ काश पटेल का नाम शामिल है.
पटेल व्हाइट हाउस में ट्रंप के अंतिम कुछ महीनों में चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ की भूमिका भी निभा चुके हैं. 44 वर्षीय पटेल को सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) का प्रमुख बनाया जा सकता है.
ट्रंप ने यह भी कहा था कि वह फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इंटेलीजेंस (एफ़बीआई) के निदेशक क्रिस रे को हटा देंगे.
उनको 2017 में ट्रंप ने नॉमिनेट किया था. लेकिन, फिर ट्रंप और रे के बीच मतभेद हो गए. अब ट्रंप उनकी जगह जेफ़री जेन्सन को नियुक्त करने का विचार कर रहे हैं.
डिफेंस सेक्रेटरी
जिन दो नामों पर चर्चा हो रही है, वे हैं फ्लोरिडा के सांसद माइकल वाल्ट्ज, जो अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स की सशस्त्र सेवा समिति में हैं और दूसरा नाम है रॉबर्ट ओ ब्रायन का.
ट्रंप ने माइक पोम्पिओ को निकाल दिया है, जिन्हें पेंटागन का नेतृत्व करने के लिए शुरू से ही सबसे पसंदीदा व्यक्ति माना जा रहा था.
सीआईए के पूर्व डायरेक्टर पोम्पिओ ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट का पद संभाला था.
इस दौरान उन्होंने मध्य पूर्व में प्रशासन के कूटनीतिक अभियान का नेतृत्व किया था.
यूएन के राजदूत
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, न्यूयॉर्क की कांग्रेस वुमन एलिस स्टेफ़ैनिक उदारवादी से एक मुखर ट्रंप समर्थक के तौर पर उभर कर सामने आईं.
वह चौथी रैंक वाली रिपब्लिकन नेता हैं, जो कैपिटल हिल पर ट्रंप के विश्वसनीय नेताओं में शुमार हैं. यह बात उनको संयुक्त राष्ट्र में ट्रंप का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयुक्त बनाती है.
मगर, हो सकता है कि उनको इसके लिए स्टेट डिपार्टमेंट की पूर्व प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टेगस, इसराइल में ट्रंप के राजदूत डेविड फ्रीडमन और कैली क्रॉफ्ट जो ट्रंप के कार्यकाल में यूएन एंबेसडर के तौर पर काम कर चुकी हैं. उनके साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ सकती है.
ट्रेज़री सेक्रेटरी
ट्रंप ट्रेज़री सेक्रेटरी के पद के लिए रॉबर्ट लाइटहाइज़र के नाम पर विचार कर रहे हैं. रॉबर्ट ने चीन के साथ ट्रेड वॉर का नेतृत्व किया था. तब वह चीफ़ फाइनेंशियल ऑफिसर की भूमिका में थे.
मगर, कम से कम चार नाम ऐसे हैं, जो इस पद के लिए चर्चा में आ सकते हैं. उनमें स्कॉट बेसेंट, जॉन पॉलसन, जे क्लेटन और लैरी कडलो का नाम शामिल है.
स्कॉट बेसेंट को राष्ट्रपति का वित्तीय सलाहकार बनाया जा सकता है. वह बड़े स्तर पर धन जुटाने वालों में अग्रणी रहे हैं. जॉन भी धन जुटाने वालों में महती भूमिका निभा चुके हैं.
जे क्लेटन सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन में पूर्व प्रमुख रह चुके हैं. जबकि लैरी कडलो ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल को चलाने में महती भूमिका निभाई थी.
कॉमर्स सेक्रेटरी
ट्रंप की ट्रांजिशन टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली लिंडा मैकमेहन का नाम अमेरिकी बिज़नेस और रोज़गार सृजन के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वालों में सबसे आगे है.
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान लिंडा ने छोटे व्यापार मामलों के प्रशासक की भूमिका निभाई थी.
अन्य नामों में ब्रुक रॉलिंस, रॉबर्ट लाइटहाइज़र और कैली लॉएफ्लर का नाम शामिल है. ये संपन्न बिज़नेसवुमन हैं, जो कुछ समय के लिए यूएस सीनेट में काम कर चुकी हैं.
इंटीरियर सेक्रेटरी
साउथ डकोटा गर्वनर क्रिस्टी नोएम ने विचित्र बात स्वीकार की थी कि उन्होंने अपने पालतू कुत्ते की हत्या की थी. इसके बाद उनको ट्रंप का सहयोगी चुना गया था.
ऐसी संभावना है कि उनको इंटीरियर सेक्रेटरी बनाया जा सकता है. यह विभाग सार्वजनिक भूमि और प्राकृतिक संसाधनों को संभालता है.
इस भूमिका के लिए उनको नॉर्थ डकोटा के गर्वनर डौग बर्गम के साथ मुकाबला करना पड़ सकता है.
एनर्जी सेक्रेटरी
डौग बर्गम एनर्जी डिपार्टमेंट का नेतृत्व करने के दावेदार हैं. वो यहां ट्रंप के उस वादे को लागू कर सकते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था, “ड्रिल बेबी ड्रिल”. वह अमेरिका एनर्जी पॉलिसी में बदलाव भी करेंगे.
वह एक सॉफ़्टवेयर एंटरप्रेन्योर हैं, जिन्होंने अपनी एक छोटी सी कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट को साल 2011 में बेच दी थी. बर्गम ने 2024 में रिपब्लिकन प्राइमरी में हिस्सा लिया था.
पूर्व एनर्जी सेक्रेटरी डैन ब्रोयलेट भी इस दौड़ में शामिल हैं.
प्रेस सेक्रेटरी
27 वर्षीय कैरोलिन लेविट ने ट्रंप को उनके चुनावी अभियान के दौरान नेशनल प्रेस सेक्रेटरी की भूमिका के रूप में प्रभावित किया है.
वह इससे पहले व्हाइट हाउस में प्रेस सेक्रेटरी के असिस्टेंट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. उनको प्रशासन का प्रवक्ता भी बनाया जा सकता है.
रॉबर्ट एफ़ केनेडी जूनियर
रॉबर्ट एफ़ केनेडी जूनियर को एक पर्यावरण वकील के तौर पर जाना जाता है. वह भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी के भतीजे हैं.
हालांकि उनका मुश्किलों भरा अतीत इसके आड़े आ सकता है कि वो कैबिनेट में अपनी जगह सुनिश्चित कर पाएं, लेकिन ट्रंप के अभियान ‘मेक अमेरिका हेल्दी अगेन’ को सफल बनाने के बाद ऐसी उम्मीद है कि उनको पब्लिक हेल्थ में मौका मिल सकता है.
हालांकि, उनके नाम के साथ कोई चिकित्सीय योग्यता नहीं जुड़ी है, मगर वह हेल्थ और ह्यूमन सर्विस विभाग, एग्रीकल्चर विभाग, पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी, सेंटर्स फॉर डिसिज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन, फूड एंड ड्रग सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन का प्रभावी संचालन कर सकते हैं.
एलन मस्क
दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने लाखों डॉलर्स ख़र्च किए हैं ताकि ट्रंप फिर से चुने जा सकें.
अब आलोचकों के मन में भय है कि अब मस्क के पास उन नियमों को कमजोर करने या उनका आकार बदलने की ताकत होगी, जो उनकी कंपनियां टेस्ला, स्पेस एक्स और एक्स को प्रभावित करते हैं.
मस्क और ट्रंप, दोनों का फोकस ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट इफिशियंसी’ के नेतृत्व करने से जुड़ा है. जहां वो कटौती करेंगे और चीजों को बेहतर बनाएंगे. जैसे कि वो हमेशा कहते हैं कि ‘नौकरशाही दमघोंटू’ व्यवस्था है.
53 वर्षीय मस्क वैश्विक कूटनीति में महती भूमिका निभा सकते हैं. जब ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से मुलाकात की थी तो वहां मस्क भी मौजूद थे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित