अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने ये चेतावनी दी कि अगर व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में जंग ख़त्म नहीं करेंगे तो वह रूस पर टैरिफ़ समेत कई कड़े प्रतिबंध लगा देंगे.
ट्रंप के इस बयान पर रूर और यूक्रेन दोनों की मीडिया में ख़ूब चर्चा है.
रूस में जहां अधिकांश लोगों ने इसे ट्रंप की ब्लैकमेलिंग बताते हुए ख़ारिज किया है तो वहीं यूक्रेन की मीडिया में ट्रंप के बयान का स्वागत किया जा रहा है.
ट्रंप पहले भी ये कह चुके हैं कि वह रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को बातचीत के लिए ज़रिए एक ही दिन में हल कर देंगे.
यूक्रेन में जंग ही प्राथमिकता
रूस के सरकारी टीवी चैनलों में 23 जनवरी के दिन के पॉलिटिकल शो, यूक्रेन में रूसी सेना को मिलती बढ़त से जुड़ी उत्साही ख़बरों से भरे थे.
हालांकि, रोसिया 1 और चैनल वन के प्रमुख कार्यक्रमों में दूसरी सबसे बड़ी ख़बर डोनाल्ड ट्रंप की ओर से यूक्रेन में जंग ख़त्म न करने पर रूस के ऊपर टैरिफ़ लगाने से जुड़ी ‘धमकी’ थी.
रोसिया 1 के कार्यक्रम 60 मिनट की होस्ट ओल्ग स्केबेयेवा ने कहा, “तो…डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को अल्टीमेटम दे दिया है…उन्होंने तारीफ़ों से शुरुआत की, रूसी लोगों के लिए अपना प्यार ज़ाहिर किया- हम इस प्यार के बिना कैसे रह पाते, मुझे नहीं पता… और फिर वह धमकियां देने लगे. ज़ाहिर है, ये सौदा उन बदनाम 100 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए. जैसा कि उन्होंने लिखा, ये अमेरिका और दूसरे देशों को रूसी निर्यात पूरी तरह से रोकने के बारे में है. वॉशिंगटन के साथ व्यापार व्यावहारिक रूप से होता ही नहीं है. पिछले साल ही, अमेरिका ने..ध्यान दीजिए- रूस पर 2 हज़ार 295 नए प्रतिबंध लगाए थे.”
उन्होंने जारी रखते हुए कहा, “इतिहास के बारे में ट्रंप की अज्ञानता की वजह से धमकी और भी बुरी हो गई है. ट्रंप की काल्पनिक दुनिया में, रूस ने द्वितीय विश्वयुद्ध को जीतने में अमेरिका की मदद की. आप और मैं जानते हैं कि सोवियत के लोगों ने महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध में 2.7 करोड़ लोगों को खो दिया, जो निश्चित तौर पर युद्ध को हमारे लिए भी भयावह बनाता है. मैं इसपर टिप्पणी भी नहीं करना चाहती कि किसने किसकी जीत में मदद की. जैसा कि हम जानते हैं अमेरिकी अंत तक ये इंतज़ार करते रहे कि पिछली सदी की सबसे भयानक लड़ाई कौन जीतेगा.”
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के लिए अमेरिका में संवाददाता इगोर नेमुशिन ने ट्रंप के बयान को ‘स्पष्ट ब्लैकमेल’ बताया.
60 मिनट कार्यक्रम में वह कहते हैं, “ये तो डोनाल्ड ट्रंप के पुराने पैंतरे हैं- अपमानजनक, ज़ोरदार और अकसर अतार्किक बयान देना, जबकि इसके साथ ही चुपके से मुद्दों को सुलझाने की कोशिश जारी रखना. लेकिन अगर हम उनके शब्दों का आकलन करें तो ट्रंप रूस के ख़िलाफ़ जो स्पष्ट ब्लैकमेलिंग का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें प्रतिबंध टैरिफ़ और कर लगाने की धमकी दे रहे हैं. वह दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका की भूमिका को लेकर उनके विकृत दृष्टिकोण से भी मेल खाता है. “
उन्होंने कहा, “रूस को सज़ा देने के लिए अमेरिकी प्रशासन की ओर से तीन साल के बिल्कुल बेकार प्रयासों के बाद रूसी अर्थव्यवस्था अभी भी पूरी तरह से चल रही है. सैन्य-औद्योगिक ढांचे विकसित हो रहे हैं और पाबंदियों का कोई असर नहीं पड़ा है.”
‘ट्रंप पर घरेलू दबाव’
रूस के चैनल वन के कार्यक्रम ‘व्रेम्या पोकाज़ेट’ में भी लोगों का लहज़ा लगभग नकारात्मक ही था.
मेज़मानों में से एक ओलेसा लोसेवा ने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन में संघर्ष को 24 घंटे में खत्म करने में विफल रहे. इसलिए, अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दूसरे दिन उन्होंने पूरी ताकत झोंकने का फ़ैसला किया.”
वहीं राजनीतिक वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर कज़ाकोव का कहना था कि ट्रंप ने ये धमकी इसलिए दी क्योंकि वह घरेलू और अंततरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव में थे.
कज़ाकोव कहते हैं, “ये बयान हम पर निशाना साधकर नहीं दिया गया है. असल में 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद वो चैन से नहीं बैठ पाए हैं. 24 घंटे तक तो वो कई ऐतिहासिक दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करते रह गए. उनसे कहा गया कि वो कुछ लिख दें. इसलिए उन्होंने कुछ लिख दया. इस पोस्ट में एक भी रचनात्मक सुझाव नहीं था, एक भी नहीं. ये बयान पूरी तरह से यूं ही दे दिया गया है, हो सकता है कि वो नशे में रहे हों.”
राजनीतिक टिप्पणीकार गेवोर्ग मिर्ज़ायन भी ये तर्क देते हैं कि ट्रंप का बयान मुख्य रूप से केवल पीआर के लिए था.
चैनल वन के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “ट्रंप ने जो अब किया है, वो बिल्कुल बेकार बातें हैं जो बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही कही जा रही हैं. ट्रंप के लिए ये सामान्य बात है. ये बताया ही जा चुका है कि ट्रंप का बयान क्यों केवल खुद के प्रमोशन के लिए है.”
रूस में बंटी राय
कुछ रूसी सरकार के समर्थकों ने ट्रंप की ओर से नए टैरिफ़ और प्रतिबंधों लगाने की आलोचना की है.
ऐसे ही एक टिप्पणीकार ओर्तसेव ने ट्रंप के रूस पर प्रस्तावित टैरिफ़ के असर पर सवाल उठाते हुए तंज़ भरे लहज़े में पूछा, “हम अमेरिका को ऐसा क्या बेचते ही हैं जिसके कारण हमें अपने कारोबारी संबंध ख़त्म होने के बारे में चिंता करनी चाहिए?”
उन्होंने ये भी रेखांकित किया कि जंग शुरू होने के बाद से अधिकांश यूरोपीय कंपनियां रूस से चली गईं, जबकि अधिकतर अमेरिकी कंपनियां यहीं हैं.
जंग में रिपोर्टिंग करने वाले अलेक्ज़ेंडर कोट्स ने ये कयास लगाया कि हमास के साथ सफलता ने शायद ट्रंप को ये एहसास दिला दिया है कि वह सर्वशक्तिमान हैं.
उन्होंने कहा, “लेकिन रूस गज़ा पट्टी नहीं है. शांति दूत का दर्जा पाने की आकांक्षा रखने वाले नेता के लिए यहां बातचीत की शुरुआत अल्टीमेटम से करना कोई ठीक कदम नहीं है. रूस कभी भी ब्लैकमेल या धमकियों के ज़रिए निर्देशित सौदों पर सहमत नहीं होगा.”
हालांकि, इस विषय पर सबकी राय एक सी नहीं है.
चर्चित रेबर चैनल ने कहा कि ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट को सतर्कता से देखने की ज़रूरत है.
वहीं, एक अन्य चैनल ने ये कहा है कि ट्रंप का बयान उकसावे वाला हो सकता है लेकिन असल में ये बातचीत के लिए उनके तैयार होने के भी संकेत देता है.
यूक्रेन में कैसी प्रतिक्रिया?
रूस के साथ जंग लड़ रहे यूक्रेन के टिप्पणीकारों ने डोनाल्ड ट्रंप की रूस पर टैरिफ़ लगाने वाली चेतावनी पर खुशी जताई है.
यूक्रेन की सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनी नाफ़्तोहाज़ के पूर्व सीईओ आंद्री कोबोलिएव ने ट्रंप के बयान में ‘बदलाव’ का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ट्रंप का प्रस्ताव ‘एक कारोबारी के लिए शुरुआती बिंदु था’. ये उस ‘नौकरशाह’ के रुख से बेहतर है, जो दो चरम स्थितियों के बीच झूलता रहता है.
हालांकि, कुछ विश्लेषकों को संदेह है कि ट्रंप के बताए कदम वाकई पुतिन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करेंगे.
राजनीतिक जानकार ओलेक्सांद्र मुसियेंको ने संदेह जताया कि पाबंदियों पहले से लगी हुई हैं, अब नए कदम सिर्फ़ ‘अतिरिक्त साधन’ के रूप में ही काम कर सकते हैं.
उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो में कहा कि सबसे अहम तो यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति, रूसी क्षेत्र पर लंबी दूरी वाले हथियारों से हमले और ईरान और उत्तर कोरिया के पास अमेरिकी नौसेना की उपस्थिति थी.
वहीं एक और जानकार विताली पोर्तोनिकोव ने यूट्यूब पर कहा, “ये चिंता की बात है कि ट्रंप ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के बारे में कुछ नहीं कहा.”
उन्होंने कहा कि पुतिन दबाव में रहकर काम नहीं करते हैं, जिसका मतलब है कि ट्रंप के पोस्ट ने रूस-अमेरिका के बीच किसी भी समझौते की संभावना पर विराम लगा दिया है.
ट्रंप से नाराज़गी भी
ट्रुथ सोशल पर एक लंबी पोस्ट में ट्रंप ने लिखा, “मैं रूस को नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोच रहा हूं. मैं रूसी लोगों को प्यार करता हूं और मैंने राष्ट्रपति पुतिन से हमेशा अच्छे रिश्ते बनाए रखे, बावजूद कि रेडिकल लेफ़्ट रशिया का हंगामा खड़ा किया गया.”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि रूस ने दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका का साथ दिया था और इसे भुलाया नहीं जा सकता है.
हालांकि, यूक्रेन में कुछ ब्लॉगर्स ट्रंप के रूसी लोगों से प्यार करने वाले बयान पर ग़ुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं. कुछ लोगों ने रूस के द्वितीय विश्व युद्ध में मदद देने और करीब 6 करोड़ लोगों के जान गंवाने वाले ट्रंप के दावे को भ्रामक बताया है.
स्वितान नाम के एक ब्लॉगर ने कहा, “ट्रंप इतिहास नहीं जानते क्योंकि वे बेलारूस और यूक्रेन थए जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई मौतों का दंश झेला था.”
इवान प्रिमाशेंको नाम के एक टिप्पणीकार ने लिखा है, “सोशल मीडिया यूज़र्स ट्रंप के पोस्ट का कारण मिस कर रहे हैं. असल में इसका अहम बिंदू यही है कि ट्रंप रूस को नए प्रतिबंध और टैरिफ़ लगाने की धमकी दे रहे हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.