• Tue. Feb 4th, 2025

24×7 Live News

Apdin News

ट्रंप के ट्रेड वार से कई देश सहमे, डॉलर के मुकाबले रुपया पहुंचा 87 के पार; RBI ने शुरू की निगरानी

Byadmin

Feb 4, 2025


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड वार से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं सहम उठी हैं। कई देशों की मुद्रा में भारी गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रुपये में 49 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई है। अब रुपया एक डॉलर के मुकाबले 87.11 पर पहुंच गया है। हालांकि कई अन्य देशों की तुलना में भारतीय रुपये का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है। सोमवार को रुपये में 49 पैसे की गिरावट दर्ज की गई और यह पहली बार 87 के स्तर को पार कर गया। दिन के कारोबार के दौरान एक समय एक डॉलर की कीमत 87.29 रुपये तक चली गई थी लेकिन बाजार बंद होने के समय यह 87.11 के स्तर पर था। रुपये में इस गिरावट के लिए दुनिया में एक नए ट्रेड वार की शुरुआत को वजह बताया जा रहा है।

शेयर बाजार में गिरावट

पिछले शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, मैक्सिको और कनाडा से होने वाले कई उत्पादों के आयात पर ज्यादा सीमा शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद कनाडा ने भी अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगा दिया, जबकि चीन व मैक्सिको की तरफ से भी ऐसे कदम उठाए जाने की संभावना है। इससे भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों के शेयर बाजार में गिरावट हुई है।

निगरानी में जुटा आरबीआई

रुपये की गिरावट पर वित्त सचिव और राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडे ने एक कार्यक्रम में चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत समेत सभी विकासशील देशों से डॉलर की निकासी होने और इन्हें किसी सुरक्षित जगह में निवेश किया जा रहा है, इस वजह से रुपये पर ज्यादा दबाव है। सरकार इस पूरे हालात पर नजर रखे हुए है, क्योंकि इसका असर मध्यावधि में देश की विकास दर पर भी हो सकता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि आरबीआई भी हालात की निगरानी कर रहा है।

मौद्रिक नीति पर सबकी निगाहें

दूसरे कई विशेषज्ञों ने भी कहा है कि अब मुद्रा बाजार में आरबीआई को ज्यादा सक्रियता दिखाने की जरूरत है। ऐसे में सभी की नजर सात फरवरी, 2025 को पेश होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक की घोषणाओं पर होगी।

सरकार तय नहीं करती रुपये की कीमत: सीतारमण

लोकससभा में रुपये में होने वाली गिरावट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है कि रुपये की कीमत बाजार की शक्तियां निर्धारित करती हैं और सरकार की तरफ से इसकी कीमत के स्तर को लेकर कोई लक्ष्य नहीं रखा जाता। कई घरेलू और वैश्विक वजहों से इसकी कीमत पर असर होता है।
जैसे डॉलर सूचकांक, निवेश का प्रवाह, ब्याज दरों का स्तर, कच्चे तेल की कीमतें, चालू खाते में घाटे की स्थिति आदि। उन्होंने आगे बताया है कि इस वित्त वर्ष 01 अक्टूबर, 2024 से 27 जनवरी, 2025 तक से डॉलर के सूचकांक में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि इस अवधि में भारतीय रुपये में सिर्फ 2.9 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

कई अन्य देशों की मुद्दा में भी गिरावट

हांगकांग डॉलर को छोड़ दिया जाए तो दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और मलेशिया की मुद्राओं में रुपये से ज्यादा गिरावट हुई है। अन्य जी-10 देशों की मुद्राओं में भी 5.5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट हुई है। इस दौरान अमेरिका में 10 वर्ष की परिवक्ता अविध के बांड्स की कीमत में 0.75 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जबकि इस अवधि वाले भारतीय बांड्स की कीमत स्थिर रही है।

अमेरिकी डॉलर का सूचकांक 109.50 को पार कर गया है, जिसका भारतीय करेंसी पर असर हुआ है। हालांकि आश्चर्य की बात यह है कि आरबीआई की तरफ से सक्रियता दिखाने के बावजूद रुपये में गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय इकोनमी की विकास दर के कम होने की संभावना को देखते हुए रुपये में गिरावट जारी रह सकती है। यह निकट भविष्य में 88-90 के बीच रह सकता है। -निश भट्ट, सीईओ, मिलवुड केन इंटरनेशनल।

यह भी पढ़ें: ‘हम पूरी तरह से विदेशी मदद बंद करेंगे’, एलन मस्क का वो प्लान जिससे पूरे अमेरिका में मची खलबली
यह भी पढ़ें: आखिरी दिन भाजपा के पूर्वांचली नेताओं ने झोंकी ताकत, झुग्गी बस्तियों में घर-घर दी दस्तक

देश-दुनिया की हर ताज़ा खबर और सटीक जानकारी, हर पल आपके मोबाइल पर! अभी डाउनलोड करें- जागरण ऐप

By admin