अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक नियुक्तियां करना शुरू कर दिया है.
20 जनवरी, 2025 को ट्रंप का राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसके बाद वो आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति पद की शक्तियां हासिल कर पाएंगे.
अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति करीब 4 हजार राजनीतिक नियुक्तियां करता है, जिसमें कई महीनों का वक़्त लगता है.
पहली आधिकारिक नियुक्ति के रूप में ट्रंप ने सुसन समरॉल वाइल्स (सूजी वाइल्स) को अपना चीफ़ ऑफ स्टाफ़ बनाया है. ट्रंप के इस चुनावी अभियान में सुसन सह अध्यक्ष थीं.
इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी सीमाओं की ज़िम्मेदारी के लिए टोम होमन, संयुक्त राष्ट्र में राजदूत के लिए एलिस स्टेफनिक और पर्यावरण संरक्षण एजेंसी प्रमुख के लिए ली जेल्डिन को चुना है.
कई ऐसे नाम हैं जिनके बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वे ट्रंप प्रशासन में बड़ी ज़िम्मेदारी निभा सकते हैं.
इन नामों में कई भारतीय मूल के भी हैं. विवेक रामास्वामी के अलावा एक बड़ा नाम कश्यप प्रमोद पटेल उर्फ़ काश पटेल का भी है.
44 साल के पटेल को डोनाल्ड ट्रंप के सबसे वफ़ादार लोगों में गिना जाता है.
मिल सकती है अहम ज़िम्मेदारी
मीडिया रिपोर्ट्स में चर्चा है कि ट्रंप प्रशासन में काश पटेल को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का प्रमुख बनाया जा सकता है.
सीआईए यानी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी वैश्विक मुद्दों और अलग-अलग देशों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करती है जिसे राष्ट्रपति, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और दूसरी संस्थाओं के साथ साझा किया जाता है. ये खुफिया जानकारियां अमेरिका को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निर्णय लेने में मदद करती हैं.
इसमें आतंकवाद से लड़ना, परमाणु और गैर परंपरागत हथियारों के विस्तार को रोकना, विदेशी जासूसों से देश की रक्षा करना और दूसरे देशों की जासूसी करना भी शामिल है.
अमेरिका के वर्जीनिया में सीआईए का मुख्यालय है. इस एजेंसी का निदेशक अमेरिका के राष्ट्रपति चुनते हैं जिसके लिए सीनेट की मंज़ूरी ज़रूरी होती है. सीआईए के निदेशक राष्ट्रीय खुफिया निदेशक को रिपोर्ट करते हैं.
इंटेलिजेंस के क्षेत्र में काम
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक काश पटेल अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम कर चुके हैं.
इससे पहले पटेल नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में राष्ट्रपति के डिप्टी असिस्टेंट और आतंकवाद निरोधक विभाग के वरिष्ठ निदेशक रहे हैं.
रक्षा विभाग के मुताबिक ट्रंप कार्यकाल के दौरान पटेल ने कई बड़े अभियानों में अहम भूमिका निभाई है. उनके रहते हुए ही आईएसआईएस के मुखिया अल बगदादी, अल क़ायदा के कासिम अल रिमी को मारने के अलावा अमेरिकी बंधकों की सुरक्षित वापसी हुई थी.
वे नेशनल इंटेलिजेंस के कार्यवाहक निदेशक के प्रिंसिपल डिप्टी भी रहे हैं. इस भूमिका में वे 17 खुफिया एजेंसियों के संचालन की देखरेख करते थे और हर रोज राष्ट्रपति को ब्रीफिंग देते थे.
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में शामिल होने से पहले पटेल ने खुफिया मामलों पर स्थायी चयन समिति के लिए वरिष्ठ वकील के तौर पर काम किया था.
यहां उन्होंने 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने के लिए कथित तौर पर रूसी अभियान की जांच का नेतृत्व किया था.
काश पटेल ने इंटेलिजेंस कम्युनिटी और यूएस स्पेशल ऑपरेशन फोर्स के लिए संवेदनशील कार्यक्रमों की देखरेख की है.
उन्होंने दुनिया भर में इंटेलिजेंस और काउंटर टेररिज्म को अरबों डॉलर फंड करने वाले क़ानून को बनाने में भी मदद की है.
खुफिया मामलों पर स्थायी चयन समिति के लिए काम करने से पहले पटेल ने अमेरिका के न्याय विभाग में आतंकवाद अभियोजक के रूप में काम किया.
उन्होंने अपना करियर एक वकील के रूप में शुरू किया, जहां उन्होंने हत्या, ड्रग्स से लेकर पेचीदा वित्तीय अपराधों के मामले अदालतों में लड़े.
काश पटेल का निजी जीवन
काश पटेल भारतीय प्रवासी के बेटे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ था और उनके पिता एक अमेरिकी एविएशन कंपनी में काम करते थे.
अमेरिका के रक्षा विभाग के मुताबिक पटेल न्यूयॉर्क के मूल निवासी हैं. उन्होंने रिचमंड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है. इसके बाद उन्होंने न्यूयॉर्क वापस आकर कानून की डिग्री हासिल की.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून में ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से सर्टिफिकेट भी लिया है. वे आइस हॉकी खेलना बहुत पसंद है.
काश पटेल त्रिशूल नाम से एक कंपनी चलाते हैं. साल 2023 में इस कंपनी ने ट्रंप की वेबसाइट ट्रूथ सोशल से कंसल्टिंग फीस के रूप में करीब एक करोड़ रुपये लिए थे.
त्रिशूल ने ट्रंप समर्थक सेव अमेरिका इकाई को भी परामर्श देने का काम किया है और यहां से भी पिछले दो सालों में एक करोड़ रुपये से ज्यादा लिए हैं.
अपनी किताब ‘गवर्नमेंट गैंगस्टर’ में काश पटेल लिखते हैं कि उनकी परवरिश अमेरिका के क्वींस और लॉन्ग आइलैंड में हुई.
वे लिखते हैं कि उनके माता पिता बहुत अमीर नहीं थे. उनके माता-पिता भारत से आए प्रवासी थे और बचपन में डिज्नी वर्ल्ड जाना उन्हें आज भी याद आता है.
वे लिखते हैं, “बहुत सारे आप्रवासी माता-पिता की तरह मेरी मां और पिता ने मुझे पढ़ाई पर ध्यान देने और अपने धर्म और विरासत को लेकर सचेत रहने को कहा. यही वजह है कि भारत के साथ मेरा बहुत गहरा रिश्ता रहा है.”
काश लिखते हैं, “चूंकि मेरा पालन-पोषण हिंदू परिवार में हुआ, इसलिए मेरा परिवार मंदिर जाता था और घर में बने मंदिर में पूजा करता था.”
उनका कहना है कि वे दिवाली और नवरात्रों को बहुत अच्छे से मनाते थे.
वे लिखते हैं, “बचपन में मुझे भारतीय शादियों में जाना याद है, जो दूसरी पार्टियों से अलग होती थीं. वहां 500 लोगों का एक हफ्ते तक जश्न मनाना एक छोटी बात मानी जाती थी.”
काश लिखते हैं कि उनकी मां घर में मांस नहीं लाने देती थी और शाकाहारी खाना परोसती थी, जिसकी वजह से मुझे और मेरे पिता को कभी-कभी बाहर जाकर खाना पड़ता था.
वे कहते हैं कि जब भी उन्हें बटर चिकन खाना होता था तो वे बाहर जाते थे, लेकिन इस बात का पता उनकी मां को चल जाता था.
काश फाउंडेशन
काश पटेल, काश फाउंडेशन नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं. यह एनजीओ सैन्य कर्मियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को वित्तीय मदद करती है.
अमेरिकी बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप और व्हिसलब्लोअर्स की मदद के लिए भी यह एनजीओ पैसा खर्च करती है.
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था यह एनजीओ उन लोगों की भी मदद कर रही है जिन पर साल 2021 में हुए कैपिटल हिल में हुए दंगे के आरोप हैं.
नवंबर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पलट देने का आह्वान करते हुए ट्रंप के समर्थकों ने कैपिटल हिल पर चढ़ाई कर दी थी. भीड़ उस सीनेट कक्ष तक भी पहुंच गई थी जहां कुछ मिनट पहले ही चुनाव परिणाम प्रमाणित किए गए थे. भीड़ इस बात से प्रेरित थी कि बाइडन को 2020 के चुनाव में जीत का सर्टिफिकेट ना मिल सके.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित