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बीते सप्ताह अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाक़ात बेनतीजा ख़त्म होने के बाद, इस सप्ताह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की अमेरिका पहुंचे.
ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच सोमवार को हुई इस मुलाक़ात में रूस-यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने को लेकर चर्चा हुई. इस बीच यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा के लिए कई यूरोपीय नेता भी अमेरिका पहुंचे.
अमेरिकी राष्ट्रपति ऑफ़िस में हुई इस बैठक को ज़ेलेंस्की ने युद्ध ख़त्म करने और यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी तय करने की दिशा में महत्वपूर्ण बताया.
वहीं इसके बाद ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर लिखा कि उन्होंने इस पर पुतिन से बात की है और उनसे कहा है कि वो ज़ेलेंस्की के साथ आमने-सामने की बातचीत के लिए तैयारी करें. ये एक त्रिपक्षीय चर्चा होगी जिसमें अमेरिका भी शामिल होगा.
इस फ़ैसले का यूरोपीय नेताओं ने स्वागत किया है. लेकिन इसके बाद अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि पुतिन, ज़ेलेंस्की और ट्रंप के बीच ये मुलाक़ात कहां होनी चाहिए.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों का कहना है कि इसके लिए जेनेवा ठीक है और वो एक तटस्थ जगह होगी.
इस बीच ब्रिटेन ने कहा है कि यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी पर चर्चा तुरंत शुरू होगी और इसके लिए उनकी टीमें जल्द अमेरिका पहुंच रही हैं.
वहीं ज़ेलेंस्की ने कहा कि सुरक्षा गारंटी को लेकर 10 दिनों के भीतर रूपरेखा तैयार की जाएगी और इसमें 99 अरब डॉलर के अमेरिका हथियारों की खरीद भी शामिल होगी.
ट्रंप और ज़ेलेंस्की की इस मुलाक़ात पर दुनियाभर के लोगों की और मीडिया की नज़र थी. इस पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया क्या कह रहा है, आइए जानते हैं.
अमेरिकी मीडिया क्या कह रहा?
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वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि पिछली बार की मुलाक़ात के कड़वे अनुभव के बाद इस बार ज़ेलेंस्की ने ये सुनिश्चित किया कि वो ट्रंप को बार-बार शुक्रिया कहें.
अख़बार लिखता है कि “उन्होंने व्हाइट हाउस में उन्हें और अन्य यूरोपीय नेताओं को बुलाने के लिए ट्रंप को शुक्रिया कहा, फिर उन्होंने अन्य गेस्ट और मीडिया के सामने उनका परिचय कराने के लिए ट्रंप का शुक्रिया कहा. “
“उन्होंने ‘बहुत सकारात्मक चर्चा के लिए ट्रंप का धन्यवाद किया, साथ ही उन्होंने अपने ही देश का एक मानचित्र देने के लिए भी शुक्रिया कहा.”
ट्रंप के साथ वॉशिंगटन में हुई ज़ेलेंस्की की पिछली मुलाक़ात अच्छी नहीं रही थी. ज़ेलेंस्की नाराज़ हो कर बैठक के बीच से ही चले गए थे.
ट्रंप और वेंस ने ज़ेलेंस्की से कहा था कि इतनी मदद के बावजूद ज़ेलेंस्की आभार व्यक्त नहीं कर रहे हैं.
अख़बार का कहना है कि इस बार ज़ेलेंस्की ने ये शिकायत दूर कर दी है. सोमवार को अपने साढ़े चार मिनट के सार्वजनिक भाषण में ज़ेलेंस्की ने 11 बार ट्रंप को शुक्रिया कहा.
वहीं अमेरिका से ही प्रकाशित होने वाले न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में सवाल किया है कि क्या ज़ेलेंस्की ट्रंप का भरोसा कर सकते हैं.
वेबसाइट पर एक लेख में ज़ोलान कैनो-यंग्स कहते हैं कि ट्रंप ने अस्पष्ट आश्वासन दिया कि अगर ज़ेलेंस्की युद्ध रोकने को लेकर पुतिन के साथ कोई समझौता करते हैं, तो अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी में भूमिका निभाएगा.
पुतिन और ज़ेलेंस्की की मुलाक़ात पर काफी कुछ निर्भर है लेकिन इसके लिए अभी जगह फ़ाइनल नहीं है.
इस लेख के अनुसार यह सवाल है कि ट्रंप की बात पर कितना भरोसा किया जा सकता है. ख़ासकर यूक्रेन और अन्य कूटनीतिक मुश्किलों पर उनके लगातार बदलते रुख़ को देखते हुए.
ज़ोलान कांनो-यंग्स अपने लेख में दो बातों का ज़िक्र करते हैं.
पहला, ये कि ट्रंप का सुरक्षा गारंटी पर बात करना ही अपने आप में अपने पहले के रुख़ से अलग है. पहले उन्होंने कहा था कि यूक्रेन की ज़िम्मेदारी यूरोप का मसला है.
दूसरा, कुछ दिन पहले पुतिन से मुलाक़ात से ठीक पहले ट्रंप ने कहा था कि अगर पुतिन युद्धविराम के लिए नहीं माने तो “नतीजे बेहद गंभीर” होंगे. लेकिन पुतिन से मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा कि युद्धविराम स्थायी हल नहीं है, दोनों नेताओं को स्थायी शांति के लिए बात करनी चाहिए.
यूरोप में किस तरह की चर्चा
ब्रितानी मीडिया वेबसाइट द गार्डियन ने विस्तार से उस पृष्ठभूमि की चर्चा की है जिसके बाद ट्रंप और ज़ेलेंस्की की मुलाक़ात हुई.
वेबसाइट ने लिखा है कि रूस की तरफ से ज़ेलेंस्की के साथ पुतिन की मुलाक़ात की किसी तरह की पुष्टि के बिना, यूक्रेन को लेकर सुरक्षा गारंटी पर यूरोपीय नेता चर्चा करने की तैयारी कर रहे हैं. यूरोपीय कूटनीति इस दिशा में है कि ट्रंप, पुतिन के साथ कड़ा रुख़ अपनाएं.
इस लेख के अनुसार व्हाइट हाउस में हुई बैठक के बाद इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि यूक्रेन नेटो का हिस्सा नहीं बनेगा, लेकिन पश्चिमी सहयोगी यूक्रेन के लिए “कलेक्टिव सिक्योरिटी क्लॉज़” के लिए प्रतिबद्ध होंगे.
इसके तहत यूक्रेन को अपने सभी साझेदारों (जिनमें अमेरिका भी शामिल है) का समर्थन मिलेगा और अगर उस पर दोबारा हमला होता है तो उसके साझेदार कार्रवाई के लिए तैयार रहेंगे.
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फ्रांसीसी सरकार के स्वामित्व वाली फ्रांस24 ने इस मुलाक़ात को लेकर कई रिपोर्टें छापी हैं. एक लेख में ख़ासकर ज़ेलेंस्की के कपड़ों पर टिप्पणी की गई है और इसे फैशन कूटनीति की कोशिश करार दिया है.
न्यूज़ वेबसाइट के अनुसार इस साल फरवरी में व्हाइट हाउस में हुई मुलाक़ात के दौरान ज़ेलेंस्की ने मिलिटरी-स्टाइल के कपड़े पहने हुए थे जिसकी अमेरिका के दक्षिणपंथी पत्रकारों ने काफी आलोचना की थी.
इस बार भी इस पर चर्चा गर्म थी कि ट्रंप से मुलाक़ात के लिए ज़ेलेंस्की क्या पहनने वाले हैं. छह महीने पहले की तुलना में कपड़ों की वजह से भी फर्क देखने को मिला.
लेख के अनुसार ट्रंप ने ज़ेलेंस्की की काले शर्ट के ऊपर पहनी काली जैकेट की तारीफ़ की और कहा, “मैं भरोसा नहीं कर पा रहा हूं, मुझे ये अच्छा लगा.” इसके जवाब में ज़ेलेंस्की ने कहा, “मेरे पास जो बेस्ट था वो ये है.”
एक अन्य लेख में वेबसाइट ने ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ की एक टिप्पणी का ज़िक्र किया है.
लेख के अनुसार विटकॉफ़ ने कहा है कि “हम यह रियायत हासिल करने में सफल रहे कि अमेरिका यूक्रेन को आर्टिकल 5 जैसी सुरक्षा दे सकता है. ये एक कारण है जिस वजह से यूक्रेन नेटो में शामिल होना चाहता है.”
जर्मनी की मीडिया वेबसाइट डॉयचे वेले में छपे एक लेख में ये समझने की कोशिश की गई है कि ट्रंप और ज़ेलेंस्की की मुलाक़ात से आख़िर यूरोप को क्या हासिल हुआ.
इसमें छपे टेसा वॉल्टर के एक लेख के अनुसार ज़ेलेंस्की इस बार जब व्हाइट हाउस गए तो उन्हें यूरोपीय नेताओं का समर्थन हासिल था.
यूरोपीय नेताओं का स्पष्ट उद्देश्य था कि ट्रंप सार्वजनिक तौर पर सुरक्षा गारंटी को लेकर वादा करें और ट्रंप ने ऐसा किया भी. उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका, यूरोप के साथ समन्वय करेगा.
नेटो से महासचिव मार्क रट ने यूक्रेन को नेटो सदस्यता से इनकार किया लेकिन उसके लिए आर्टिकल 5 जैसी गारंटी की बात की.
वेबसाइट के अनुसार ये दोनों बयान यूरोप के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थे क्योंकि यूरोप को ये डर था कि अलास्का में पुतिन के साथ मुलाक़ात के बाद ट्रंप कहीं रूस की तरफ न झुक जाएं.
टेसा वॉल्टर अपने लेख में कहती हैं कि यूरोप को अहसास है कि वो चुपचाप खड़े होकर देख नहीं सकते, उन्हें आगे बढ़कर कुछ करना होगा. यूरोप के पास कोई विकल्प नहीं है, उन्हें हर हाल में एकजुट रहना ही होगा.
चीनी मीडिया में किस बात की चर्चा
ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में कहा है कि ट्रंप से मुलाक़ात के मद्देनज़र यूरोपीय नेताओं ने ज़ेलेंस्की का साथ देने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल बनाया था.
अख़बार लिखता है कि यूरोप की चिंता समझी जा सकती है, यूक्रेन संकट को तीन साल से अधिक का समय हो चुका है और ये सुलझ नहीं रहा है.
सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भरता, रणनीतिक तौर पर अमेरिका को बढ़त देना और नेटो पर अंधा भरोसा करना भी बड़े कारण हैं कि क्यों ये संकट सुलझने का नाम नहीं ले रहा.
जानकारों के हवाले से अख़बार लिखता है कि यूक्रेन के लिए अपने दरवाज़े खोलने की नेटो की योजना इस संकट का मूल कारण है. बीते सालों में अमेरिका और रूस के बीच रणनीतिक स्थिरता को लेकर बातचीत नहीं होने से स्थिति और बिगड़ी है.
बीते तीन सालों में संकट सुलझाने के मौक़े आए लेकिन अमेरिका ने इसका इस्तेमाल रूस को कमज़ोर करने और यूरोप को नियंत्रित करने में किया.
इसके अलावा अमेरिका के नेतृत्व वाले नेटो के पूर्व की तरफ बढ़ने की रणनीति को वो समझ नहीं पाए और इस कारण संकट सुलझने की बजाय उलझता चला गया.
अख़बार लिखता है कि यूक्रेन संकट यूरोप के लिए महंगी मिली सीख जैसी है, इसने उसे अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर सोचने को मजबूर किया है. और अगर यूरोप इसमें सक्रिय भूमिका निभाता है तो ये ज़रूरी है वो इस संकट के मूल कारणों को सुलझाए.
रूसी मीडिया क्या कह रहा है
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रूसी अख़बार स्पुतनिक ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा विशेषज्ञ माइकल वॉल्टरसन के हवाले से कहा है कि पुतिन के साथ हुए शांति प्रस्ताव पर ट्रंप का रुख़ बदलने में ज़ेलेंस्की कामयाब नहीं हो सके हैं.
वॉल्टरसन का कहना है कि अगर यूरोप को यूक्रेन की चिंता है तो उन्हें ज़ेलेंस्की पर पीस डील मान लेने के लिए दबाव बनाना चाहिए. इससे यूक्रेन को अधिक इलाक़ों का नुक़सान नहीं झेलना पड़ेगा और उसे जानमाल का नुक़सान भी नहीं होगा.
रूसी समाचार एजेंसी ताश ने रूसी सुरक्षा परिषद के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव का बयान छापा है जिसमें उन्होंने यूरोपीय मुल्कों के “कोआलिशन ऑफ़ द विलिंग” (इच्छुक सदस्यों का गठबंधन) को रूस विरोधी कहा है.
एजेंसी के अनुसार ये गठबंधन अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद ट्रंप को मनाने में नाकाम रहा.
व्हाइट हाउस में यूरोपीय नेताओं के ज़ेलेंस्की के समर्थन में आने पर तंज कसते हुए मेदवेदेव ने सवाल किया है, “वह सुरक्षा गारंटी और क्षेत्रों के बारे में घर लौटकर जब वह फिर से सेना की अपनी हरी वर्दी पहनेंगे, किस धुन पर बात करेंगे.”
उन्होंने कहा कि इस बातचीत के ख़त्म होने के बाद ट्रंप ने पुतिन को फ़ोन किया और दोनों के बीच 40 मिनट लंबी चर्चा हुई.
यूक्रेन में इस बैठक को लेकर क्या बात हो रही है
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यूक्रेन की मीडिया में ट्रंप के बयान का स्वागत किया जा रहा है. हालांकि कई विश्लेषक इस बात पर संदेह जता रहे हैं कि क्या पुतिन, ज़ेलेंस्की के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार होंगे और क्या वो शांति समझौते की शर्तों पर हामी भरेंगे.
ज़ेलेंस्की के आलोचक और यूक्रेनी टिप्पणीकारों ने राहत व्यक्त की है कि ट्रंप और यूरोपीय नेता यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी पर सहमत दिखे और बैठक का स्वर आम तौर पर सकारात्मक था.
ज़ेलेंस्की के आलोचक और पूर्व सांसद बोरिस्लाव बेरेज़ा ने फे़सबुक पर लिखा, “वॉशिंगटन में कोई आपदा नहीं आई, जिसकी संभावना थी. यह बहुत अच्छी बात है.”
पत्रकार तेत्याना त्रोशचिन्स्का ने युद्धविराम और नेटो अनुच्छेद 5 जैसी सुरक्षा गारंटी, साथ ही ज़ेलेंस्की, ट्रंप, पुतिन और यूरोप के बीच चार-तरफ़ा बैठक की बात उठाने के लिए यूरोपीय नेताओं की प्रशंसा की है और इसे “यूरोप की अद्भूत कूटनीति” कहा है.
विश्लेषक विक्टर तारन ने फ़ेसबुक पर लिखा, “इस दौर की वार्ता यूक्रेन ने जीत ली है. हमें यूरोप और अमेरिका से स्पष्ट समर्थन मिला है, लेकिन यह अभी अंतिम जीत नहीं है.”
प्रेयामी टीवी को दिए एक इंटरव्यू में अलेक्सी कोशेल ने कहा, “बैठक में कोई ख़ास सफलता नहीं मिली, लेकिन यह एक अच्छी प्रक्रिया है. अलास्का में बैठक के बाद उभरी कई समस्याओं को सुलझाने में ज़ेलेंस्की कामयाब रहे. यूक्रेन के लिए बड़ी बात यह है कि पहली बार सार्वजनिक रूप से सुरक्षा गारंटी पर चर्चा की गई.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित