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वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के नज़दीक हुए हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह सभी “थर्ड वर्ल्ड देशों” से अमेरिका में आने वाले प्रवासियों को “स्थायी रूप से रोकेंगे.”
अपने सोशल मीडिया ट्रुथ सोशल पर उन्होंने लिखा कि अमेरिकी व्यवस्था “पूरी तरह रिकवर” कर सके इसके लिए यह कदम ज़रूरी है.
इसके बाद अब माना जा रहा है कि अमेरिका प्रवासियों के लिए नियम कड़े कर सकता है.
इधर यूएस सिटिज़नशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज़ ने कहा है कि 19 देशों के नागरिकों के ग्रीन कार्ड की फिर से जांच होगी.
ट्रंप का यह बयान वॉशिंगटन डीसी में गोलाबारी की घटना के बाद आया है. इस घटना में नेशनल गार्ड के दो सदस्यों को गोली लगी थी, जिनमें से एक की मौत हो गई है.
ट्रंप ने इस घटना को “आतंकी घटना” करार दिया था और कहा था कि यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े ख़तरे को दर्शाती है.
इस घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति की पहचान एक अफ़ग़ान नागरिक, रहमानुल्ला लकनवाल के रूप में की गई थी जो प्रवासी के तौर पर अमेरिका आए थे.
होमलैंड सिक्योरिटी ने अपने बयान में रहमानुल्ला को “अफ़ग़ानिस्तान से आया एक क्रिमिनल प्रवासी” बताया था.
अमेरिका ने 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के बाद ‘ऑपरेशन एलायज़ वेलकम’ योजना के तहत हज़ारों अफ़ग़ानों को प्रवेश दिया था. यह कार्यक्रम देश के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में चलाया गया था.
ट्रंप ने क्या लिखा?
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ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपने पूर्ववर्ती जो बाइडन पर निशाना साधते हुए लिखा कि पिछली सरकार की नीतियों ने अमेरिकी नागरिकों के “फायदों और जीवन स्तर” को नुक़सान पहुंचाया है.
उन्होंने लिखा, “जो लोग अमेरिका के लिए ऐसेट नहीं हैं, जो हमारे देश से प्रेम करने में असमर्थ हैं, हमारे देश के गैर-नागरिकों को मिलने वाले सभी लाभ और सब्सिडी ख़त्म किए जाएंगे. शांति को भंग करने वाले प्रवासियों को निकाला जाएगा और ऐसे विदेशी नागरिक जो सार्वजनिक बोझ हैं, सुरक्षा जोखिम हैं, या पश्चिमी सभ्यता के अनुकूल नहीं हैं, उन्हें निर्वासित किया जाएगा.”
हालांकि उन्होंने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि ये प्रतिबंध किन देशों पर लागू होगा.
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान से एयरलिफ्ट कराकर लाए गए लोगों की तस्वीर पोस्ट की और साथ ही लिखा, “लाखों लोगों को बिना किसी जांच-पड़ताल और बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में लाया गया. हम इसे ठीक कर देंगे.”
राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान इमिग्रेशन पर उनके पहले से ही सख़्त रुख़ को और कड़ा बनाता है.
19 देशों के नागरिकों के ग्रीन कार्ड की फिर होगी जांच
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वॉशिंगटन में हुई गोलीबारी के बाद ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका में “किसी भी देश का कोई भी विदेशी जो यहां का नहीं है” उसे बाहर कर दिया जाएगा.
उसी दिन अमेरिका ने सुरक्षा और वेरिफ़िकेशन प्रोटोकॉल की समीक्षा को लंबित बताते हुए अफ़ग़ान नागरिकों के सभी इमिग्रेशन रिक्वेस्ट की प्रोसेसिंग को निलंबित कर दिया था.
गुरुवार को यूएस सिटिज़नशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज़ (यूएससीआईएस) ने कहा कि उन लोगों के ग्रीन कार्ड की दोबारा जांच की जाएगी जो 19 हाई-रिस्क देशों से अमेरिका आए थे.
इस बयान में बुधवार को हुई गोलीबारी की घटना का सीधा ज़िक्र किया गया है.
बीबीसी के पूछे जाने पर एजेंसी ने व्हाइट हाउस के जून 2025 के एक आदेश का हवाला दिया जिसमें 12 देशों के नागरिकों के प्रवेश पर पूरी तरह और 7 देशों के नागरिकों पर आंशिक प्रतिबंध लगाया गया था.
जिन 12 देशों के नागरिकों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया था वे हैं—अफ़ग़ानिस्तान, म्यांमार (बर्मा), चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन.
जिन 7 देशों के नागरिकों के प्रवेश पर आंशिक प्रतिबंध लगाया था, वे हैं—बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेज़ुएला.
हालांकि यूएससीआईएस ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि ग्रीन कार्ड की दोबारा जांच किस तरह से की जाएगी.

‘थर्ड वर्ल्ड देश’
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने शरणार्थियों को अमेरिका में “सामाजिक अव्यवस्था” बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार बताया और कहा कि वे “किसी भी ऐसे व्यक्ति” को निकाल देंगे जो अमेरिका के लिए “नेट एसेट” नहीं है.
“हैप्पी थैंक्सगिविंग” के संदेश के रूप में की गई इस पोस्ट में ट्रंप ने तीखी भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने दावा किया कि “सोमालिया से आए लाखों शरणार्थी मिनेसोटा को पूरी तरह अपने कब्ज़े में ले रहे हैं” और राज्य के डेमोक्रेट नेताओं को “निशाना” बना रहे हैं.
उन्होंने लिखा, “मैं सभी थर्ड वर्ल्ड देशों से माइग्रेशन को स्थायी रूप से रोक दूंगा ताकि अमेरिकी व्यवस्था पूरी तरह से ठीक हो सके.”
“थर्ड वर्ल्ड” शब्द का इस्तेमाल पहले ग़रीब, विकासशील देशों के लिए किया जाता था.
व्हाइट हाउस और यूएससीआईएस ने ट्रंप की इस घोषणा को लेकर अभी अधिक जानकारी नहीं दी है और ट्रंप ने भी अपने पोस्ट में इसे सीधे तौर पर वॉशिंगटन में हुई गोलीबारी की घटना से नहीं जोड़ा है.
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी कई मुस्लिम-बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था.
अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जेरमी मैककिनी ने कहा कि वॉशिंगटन में हुई फ़ायरिंग की घटना के बाद राष्ट्रपति ट्रंप की प्रतिक्रिया “प्रवासियों को बलि का बकरा बनाने” जैसी है.
जेरमी मैककिनी ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के न्यूज़डे कार्यक्रम में कहा कि अब तक हमलावर के इरादे के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है.
उन्होंने कहा, “ऐसे मामले रंग, नस्ल या राष्ट्रीयता नहीं देखते. मानसिक बीमारी या उग्र विचारधारा किसी भी पृष्ठभूमि के व्यक्ति में विकसित हो सकती है.”

क्या भारत पर हो सकता है असर?
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ट्रंप के फ़ैसले पर पूर्व राजनयिक वीना सीकरी का कहना है कि भारत का नाम सूची में नहीं है, इसलिए भारत के लिए चिंता करने की कोई बात नहीं है.
उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “उन्होंने (ट्रंप) ने कहा कि वे थर्ड वर्ल्ड देशों से आने वाले लोगों पर भी प्रतिबंध लगाएंगे. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी ऐसा किया था, जब पाकिस्तान और अन्य देश ऐसे प्रतिबंधों वाली सूची में थे.”
उन्होंने कहा कि इस बार पहले से एक लिस्ट मौजूद है, लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें कौन-कौन शामिल होंगे.
वीना सीकरी ने कहा, “पाकिस्तान का नाम पहले वाली लिस्ट में नहीं है और फिर हाल के वक्त में पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में बदलाव आया है.”
वह कहते हैं, “आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बीते 10 सालों में 12 लाख लोगों को या तो गोली मारी गई है या वे ऐसी घटनाओं में मारे या घायल हुए हैं. इन 10 सालों में मास शूटिंग की घटनाओं में हमलावर की पहचान व्हाइट पुरुष के रूप में की गई है.”
ब्रह्मा चेलानी कहते हैं, “लेकिन एक अफ़ग़ान शरणार्थी जिसने पहले सीआईए के लिए काम किया था, उसके द्वारा अंजाम दी गई एक घटना ने राष्ट्रपति ट्रंप को नाराज़ कर दिया. वे इतना नाराज़ हुए कि उन्होंने सोशल मीडिया पर थर्ड वर्ल्ड देशों से माइग्रेशन रोकने को लेकर घोषणा कर दी.”
उन्होंने कहा, “उन्होंने सोमालिया के लोगों पर गुस्सा उतारा जबकि उनका कोई नाता संदिग्ध व्यक्ति से नहीं है. एक व्यक्ति के किए काम के लिए उन्होंने सभी अफ़ग़ानों को दोषी ठहराया है.”
वॉशिंगटन डीसी हमले के संदिग्ध के बारे में जानकारी
अधिकारियों के मुताबिक़ रहमानुल्ला लकनवाल 2021 में अमेरिका आए थे. वे उन अफ़गानों के समूह में थे जिन्हें अमेरिकी सेना के साथ काम करने के कारण विशेष सुरक्षा दी गई थी.
2021 में अमेरिकी सेना की अफ़गानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान के सत्ता में लौटने पर उनके लिए ख़तरा बढ़ गया था.
सीआईए के निदेशक ने बताया कि लकनवाल पहले सीआईए के साथ काम कर चुके थे.
अमेरिका में बीबीसी के सहयोगी चैनल सीबीएस के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि लकनवाल ने 2024 में शरण के लिए आवेदन किया था और इस साल की शुरुआत में उनका आवेदन मंज़ूर हो गया था. हमले के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.