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इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के ग़ज़ा में नए सैन्य अभियान की योजना को लेकर सैन्य नेतृत्व ने चेतावनी दी है.
इसके साथ ही ग़ज़ा में और फ़लस्तीनियों के मारे जाने की आशंका बढ़ गई है.
इससे इसराइल के और भी अलग-थलग पड़ने का ख़तरा पैदा हो गया है.
नेतन्याहू ने फ़ॉक्स न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “हम पूरे ग़ज़ा पर नियंत्रण चाहते हैं. अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम वहां (ग़ज़ा) से हमास को हटाना चाहते हैं…हम ग़ज़ा को हमास के आतंक से मुक्त करना चाहते हैं.”
“हम चाहते हैं कि ग़ज़ा को ऐसे नागरिक प्रशासन को सौंपा जाए, जो न तो हमास हो और न ही ऐसा कोई जो इसराइल के विनाश की वकालत करता हो.”
इसके साथ ही नेतन्याहू ने ये भी कहा कि वे ग़ज़ा को अपने पास नहीं रखना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, “हम एक सुरक्षा दायरा चाहते हैं. हम इस पर शासन नहीं करना चाहते. हम वहां प्रशासनिक निकाय के रूप में नहीं रहना चाहते. हम इसे अरब सेनाओं के हाथों में सौंपना चाहते हैं.”
इसराइल में हुए सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई है कि अधिकांश इसराइली जनता बंधकों की रिहाई और युद्ध ख़त्म करने के लिए हमास के साथ समझौता करने के पक्ष में है.
इसराइली सेना के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ लेफ़्टिनेंट जनरल इयाल ज़मीर ने नेतन्याहू से कहा कि ग़ज़ा पर पूर्ण कब्ज़ा करना “एक ट्रैप में फंसने के समान” है.
रिपोर्टों के अनुसार, ज़मीर ने चेतावनी दी कि इस हमले से 20 बंधकों और थके हुए सैनिकों के जीवन पर ख़तरा बढ़ जाएगा.
कई बंधक परिवार भी इस बात से सहमत हैं और उनका कहना है कि बंधकों की रिहाई की गारंटी का एकमात्र तरीका हमास के साथ समझौता है.