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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका परमाणु परीक्षण करेगा, क्योंकि पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया सहित अन्य देश भी परमाणु परीक्षण करते रहते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने साक्षात्कार के दौरान दावा किया कि अन्य देश भी परमाणु परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन दुनिया इसके बारे में बात नहीं कर रही है.
पाकिस्तान सहित अन्य देशों ने अभी तक राष्ट्रपति ट्रंप के दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
ग़ौरतलब है कि पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी युद्ध विभाग को अन्य देशों की तरह परमाणु परीक्षणों की तैयारी शुरू करने का आदेश दिया था.
साक्षात्कार के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से उनकी घोषणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हां, हम अन्य देशों की तरह परमाणु परीक्षण करेंगे.”
‘हमें भी टेस्ट करने हैं’
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इस पर सीबीएस की पत्रकार ने पूछा, “वर्तमान में परमाणु परीक्षण करने वाला एकमात्र देश उत्तर कोरिया है. चीन और रूस नहीं.”
इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया, “नहीं, नहीं. रूस परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है. और चीन भी उनका परीक्षण कर रहा है. आपको बस इसकी जानकारी नहीं है.”
इस पर मेज़बान ने कहा, “यह निश्चित रूप से बड़ी खबर है. मेरी जानकारी के अनुसार, रूस ने हाल ही में जो परीक्षण किया, वह मूलतः एक परमाणु हथियार वितरण प्रणाली थी, मूलतः एक मिसाइल थी…”
इस पर राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि “रूस परीक्षण कर रहा है और चीन भी कर रहा है, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते हैं.”
उन्होंने कहा कि अमेरिका में लोकतांत्रिक प्रणाली है और “हम उनसे अलग हैं. हम इसके बारे में बात करते हैं, हमें इसके बारे में बात करनी ही होगी, क्योंकि अन्यथा आप लोग इस पर रिपोर्ट करेंगे, उनके पास ऐसे रिपोर्टर नहीं हैं जो इसके बारे में लिख सकें, लेकिन हमारे यहां ऐसा है.”
अमेरिकी राष्ट्रपति कहते हैं, “हम भी परीक्षण करेंगे क्योंकि वे परीक्षण करते हैं और अन्य देश भी करते हैं. और निश्चित रूप से उत्तर कोरिया भी परीक्षण कर रहा है, पाकिस्तान भी परीक्षण कर रहा है.”
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने दावों को आगे स्पष्ट करते हुए कहा, “दुनिया बहुत बड़ी है और आपको शायद पता नहीं होगा कि वे कहां टेस्ट कर रहे हैं.”
“वे भूमिगत रूप से प्रयोग करते हैं, जहां लोगों को पता ही नहीं होता कि वास्तव में क्या परीक्षण किया जा रहा है.”
“आपको थोड़ी हलचल महसूस होती है. वे टेस्ट कर रहे हैं और हम नहीं. हमें भी यह करना होगा.”
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि रूस ने हाल ही में एक प्रकार की धमकी दी थी जब उन्होंने कहा था कि वे कई तरह के टेस्ट करने जा रहे हैं.
जब उनसे दोबारा पूछा गया कि क्या वे (अमेरिका) वास्तव में परमाणु परीक्षण करेंगे, तो उन्होंने कहा, “आपने परमाणु हथियार बना लिए हैं और आप उनका परीक्षण नहीं करते. आपको कैसे पता कि वे काम करेंगे? हमें ये टेस्ट करने ही होंगे.”
ट्रंप की की घोषणा का दुनिया के लिए क्या मायने?
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संयुक्त राज्य अमेरिका ने आखिरी बार साल 1992 में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था. यह परीक्षण नेवादा राज्य में भूमिगत रूप से किया गया था.
राष्ट्रपति ट्रंप की परमाणु परीक्षण की घोषणा के बाद, वॉशिंगटन में आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक डेरिल कैम्पबेल ने कहा कि नेवादा स्थल को परमाणु परीक्षण के लिए दोबारा तैयार करने में अमेरिका को कम से कम 36 महीने लगेंगे.
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका वर्तमान में अपने परमाणु हथियारों के परीक्षण के लिए कंप्यूटर सिमुलेशन और अन्य गैर-विस्फोटक तरीकों का उपयोग करता है, इसलिए अमेरिका के पास उन्हें विस्फोट करने का कोई व्यावहारिक औचित्य नहीं है.
कार्नेगी एंडोमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल पीस के फ़ेलो जेमी वांग का कहना है कि भूमिगत परमाणु परीक्षण में भी कई चुनौतियां हैं, क्योंकि आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि ज़मीन के ऊपर कोई विकिरण प्रभाव न हो या भूजल दूषित न हो.
रूढ़िवादी अमेरिकी थिंक टैंक द हेरिटेज फ़ाउंडेशन के रिसर्च फ़ेलो रॉबर्ट पीटर्स ने कहा कि हालांकि हथियारों के परीक्षण का कोई वैज्ञानिक या तकनीकी कारण नहीं हो सकता है, लेकिन उन्होंने कहा कि इसका ‘प्राथमिक कारण विरोधियों को एक राजनीतिक संदेश भेजना है.’
उन्होंने कहा, “कभी-कभी किसी राष्ट्रपति को अपनी शक्ति प्रदर्शित करने के लिए परमाणु हथियारों का परीक्षण करना आवश्यक हो सकता है. चाहे वह डोनाल्ड ट्रंप हों या कोई और.”
लेकिन दूसरी ओर कई अन्य विशेषज्ञ मौजूदा हालात को बेहद गंभीर बता रहे हैं. अमेरिका ने पहली बार 1945 में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था.
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे समय में जब स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि विश्व परमाणु हथियारों की दौड़ की ओर बढ़ रहा है, ऐसे परीक्षणों की घोषणा से इसमें और तेजी आएगी.

विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस दौड़ को तेज़ नहीं कर रहा है, लेकिन उनका कहना है कि दुनिया के सामने परमाणु ख़तरे बढ़ रहे हैं.
जेमी वांग का कहना है, “उत्तर कोरिया के अलावा, परमाणु हथियार संपन्न देशों ने दशकों से परमाणु परीक्षण नहीं किए हैं, इसलिए चिंता है कि इस घोषणा का अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा.”
उन्होंने कहा, “यह एक चिंताजनक पल है. अमेरिका, रूस और चीन संभावित रूप से ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं जो हथियारों की होड़ को जन्म दे सकता है.”
लेकिन लंदन स्थित थिंक टैंक ‘रोसी’ की वरिष्ठ फ़ेलो दरिया डोलज़िकोवा के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप के बयान से कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा.
उनका कहना है, “वैश्विक स्तर पर कई अन्य कारण हैं, जिन्होंने पिछले कई दशकों की तुलना में परमाणु हथियारों के प्रसार के जोखिमों को बहुत अधिक बढ़ा दिया है.”
उनके अनुसार, ट्रंप की घोषणा “एक बड़ी बाल्टी में एक बूंद की तरह है. और कई वैध चिंताएं हैं जिनसे लगता है कि ये बाल्टी जल्द ही भरने वाली है.”
विशेषज्ञ अधिक सक्रिय परमाणु शक्तियों से जुड़े बढ़ते संघर्षों की ओर इशारा करते हैं. जैसेकि यूक्रेन में छिड़ा युद्ध. इसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई अवसरों पर परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकी दी है.
हाल के दिनों में, पाकिस्तान और भारत, ईरान और इसराइल के बीच झड़पें और हमले हुए हैं. ये तनाव अभी भी मौजूद हैं.
इसराइल ने कभी भी औपचारिक रूप से परमाणु हथियार होने की घोषणा या खंडन नहीं किया है.
ईरान पर परमाणु हथियार विकसित करने का आरोप है.
अमेरिका और रूस के बीच परमाणु समझौता, जिसके तहत दोनों देश परमाणु हथियारों की तैनाती को सीमित करने पर सहमत हुए थे, अगले वर्ष फ़रवरी में समाप्त हो रहा है.
अपने बयान में, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के पास किसी भी देश की तुलना में सबसे ज़्यादा परमाणु हथियार हैं. राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों से अलग है.
किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
एसआईपीआरआई के अनुसार, रूस के पास सबसे अधिक 5,459 परमाणु हथियार हैं, उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 5,177 तथा चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं.
अन्य थिंक टैंकों के आंकड़े भी कमोबेश ऐसे ही हैं.
रूस ने हाल ही में एक नई परमाणु हथियार प्रणाली का परीक्षण किया.
रूस ने कहा कि उसकी एक मिसाइल अमेरिकी सुरक्षा को भेद सकती है, जबकि दूसरी भूमिगत रूप से अमेरिकी तट तक पहुंच सकती है.
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के इस कदम के कारण ही राष्ट्रपति ट्रंप ने यह घोषणा की है, हालांकि रूस ने कहा है कि उसके परीक्षण ‘न्यूक्लियर नहीं थे.”
दूसरी ओर, विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका चीन पर बहुत बारीकी से नजर रख रहा है और उसे चिंता है कि वह उसके बहुत करीब तक पहुँच सकता है. इससे अमेरिका के लिए ‘दोतरफ़ा परमाणु खतरा’ पैदा हो जाएगा.
अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण शुरू करेगा तो चीन और रूस को भी ऐसा करने के लिए बढ़ावा मिलेगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.