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मिस्र के शर्म अल-शेख़ में हुए सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिस्र, क़तर और तुर्की के नेताओं के साथ ग़ज़ा में शांति बहाल करने के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं.
एक तरफ जहां दुनियाभर की नज़र इस शिखर सम्मेलन पर थी वहीं शर्म अल-शेख़ में भारत और पाकिस्तान की भी चर्चा हुई.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा, “भारत एक महान देश है जहां सत्ता के शीर्ष पर मेरे एक अच्छे मित्र हैं और उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है.”
हालांकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए, उनकी तरफ से विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह शर्म अल-शेख़ पहुंचे.
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ट्रंप ने इस शिखर सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान कहा, “भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे से रहेंगे.”
ट्रंप इतना कहने के बाद अपने पीछे खड़े पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की तरफ मुड़े. वीडियो में देखा जा सकता है कि शहबाज़ ने इस पर मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया दी.
हालांकि ट्रंप ने सोमवार को एक बार फिर से दोहराया है कि उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए संघर्ष को रुकवाया.
ख़बरों के मुताबिक़ ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध जारी रखने पर 100,150 और 200% तक टैरिफ़ लगाने की धमकी दी थी.
जयराम रमेश ने कहा है कि पीएम इस मुद्दे पर लगातार खामोश हैं ग़ज़ा के मुद्दे पर ट्रंप का जय-जयकार कर रहे हैं.
ट्रंप ने की आसिम मुनीर की तरीफ़
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शर्म अल-शेख़ में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत के साथ मई महीने में हुए संघर्ष का ज़िक्र किया. यह संघर्ष भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हुआ था, जिसे भारत ने पहलगाम हमले में पर्यटकों के मारे जाने के बाद शुरू किया था.
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, “पाकिस्तान ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सबसे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रुकवाने में उनके असाधारण योगदान के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामिनेट किया था.”
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान पाकिस्तानी फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तारीफ़ की जो शर्म अल-शेख़ में मौजूद नहीं थे.
उन्होंने कहा, “मेरे फ़ेवरेट पाकिस्तानी फ़ील्ड मार्शल यहां मौजूद नहीं हैं.” ट्रंप ने इसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ को पोडियम तक बुलाया और कुछ बोलने को कहा.
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, “अगर ये (ट्रंप) नहीं होते तो कौन जानता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. अगर उन्होंने अपनी शानदार टीम के साथ उन चार दिनों के दौरान दखल नहीं दिया होता तो जंग और बड़े स्तर तक फैल जाती.”
उन्होंने कहा, “इसी तरह मध्य-पूर्व के इस हिस्से में आपके और राष्ट्रपति सीसी (मिस्र) के योगदान को इतिहास याद करेगा.”
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि वो बार फिर से राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नोमिनेट करना चाहते हैं.
भारत ने क्या कहा?
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भारत ने मिस्र में आयोजित शिखर सम्मेलन में ग़ज़ा शांति योजना पर हुए हस्ताक्षर का स्वागत किया है.
इस योजना पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र, क़तर और तुर्की के नेताओं ने हस्ताक्षर किए.
भारत की ओर से इस सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह शामिल हुए. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तेह अल-सीसी से भी मुलाक़ात की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत इस ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करता है और इससे क्षेत्र में स्थायी शांति की आशा करता है.”
शशि थरूर ने उठाए सवाल
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले निमंत्रण के बावजूद भारत की तरफ से विदेश राज्य मंत्री को शर्म अल-शेख़ भेजे जाने पर टिप्पणी की है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “क्या यह रणनीतिक संयम है या एक खोया हुआ अवसर?”
थरूर के मुताबिक़, “यह किसी व्यक्ति विशेष (कीर्ति वर्धन सिंह) की योग्यता का सवाल नहीं है, लेकिन जब वहां इतने राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री मौजूद हैं तो भारत की ओर से इस तरह का प्रतिनिधित्व हमारी आवाज़ और पहुंच को सीमित कर सकता है.”
“केवल प्रोटोकॉल की वजहों से शिखर सम्मेलन में पुनर्निर्माण और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दों पर भारत की आवाज़ को उतना महत्व नहीं मिल सकता, जितना मिलना चाहिए. एक ऐसे क्षेत्र में जो खुद को नया आकार दे रहा है, हमारी अपेक्षाकृत अनुपस्थिति हैरान करने वाली है.”
ग़ज़ा शांति समझौता
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शर्म अल-शेख़ में समझौते पर हस्ताक्षर के बाद ट्रंप ने कहा, “एक नया और खूबसूरत दिन निकल रहा है और अब फिर से निर्माण शुरू होगा.”
उन्होंने इसराइल और हमास के बीच संघर्षविराम कराने में भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय नेताओं की भी सराहना की.
इससे पहले, इसराइल की संसद ‘क्नेसट’ को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, “एक लंबे और दर्दनाक सपने का आख़िरकार अंत हुआ है.”
ग़ज़ा शांति समझौते के तहत इसराइल ने 250 फ़लस्तीनी कैदियों और ग़ज़ा में दो साल तक चली सैन्य कार्रवाई के दौरान पकड़े गए 1,700 से अधिक अन्य फ़लस्तीनियों को रिहा करने पर सहमति दी है.
इसके बदले हमास ने 20 जीवित इसराइली बंदियों को छोड़ने का समझौता किया है.
यह अदला-बदली ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण का हिस्सा है, जिसमें 28 मृत इसराइली बंदियों के शवों की वापसी भी शामिल है.
समारोह के दौरान ट्रंप मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल-सीसी और दुनियाभर के 20 से अधिक अन्य नेताओं के साथ मुस्कुराते नज़र आए.
उन्होंने कहा, “सब खुश हैं. मैंने पहले भी बड़े समझौते किए हैं, लेकिन यह तो रॉकेट की तरह उड़ान भर गया. इस मुकाम को पाने में 3,000 साल लगे, क्या आप यकीन कर सकते हैं? और यह अब कायम रहेगा.”
समारोह के बाद राष्ट्रपति अल-सीसी ने ट्रंप को ‘ऑर्डर ऑफ़ द नाइल’ सम्मान से नवाज़ा- यह मिस्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है.
उन्होंने इस दिन को “इतिहास में एक मील का पत्थर” बताया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित