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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ़ को लेकर एक बार फिर भारत को निशाना बनाया है और हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल का उदाहरण देते हुए भारत पर एकतरफ़ा टैरिफ़ लगाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका पर दुनिया का सबसे अधिक टैरिफ़ लगा रखा है जबकि अमेरिकी बाज़ार भारतीय उत्पादों के लिए खुले हुए थे.
एक दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था कि “भारत ने अपना टैरिफ़ ज़ीरो करने की पेशकश की है और कहा कि उसे ये पहले ही कर देना चाहिए था.”
उधर, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कल एक कार्यक्रम में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बातचीत जारी है और नवंबर तक समझौता होने की उम्मीद है.
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ट्रंप ने रूस से तेल ख़रीद को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगा दिया है, जिससे भारतीय वस्तुओं पर कुल टैरिफ़ 50 प्रतिशत हो गया.
ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो कह चुके हैं कि अगर भारत रूस से तेल ख़रीदना बंद कर दे तो अतिरिक्त टैरिफ़ ख़त्म हो जाएगा.
ट्रंप ने दिया हार्ले-डेविडसन का उदाहरण
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बुधवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफ़िस में राष्ट्रपति ट्रंप पत्रकारों से बात कर रहे थे.
उस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका रिश्ते को एकतरफ़ा बताया और हार्ले-डेविडसन का उदाहरण दिया, जो दुनिया की जानी-मानी बाइक कंपनी है.
उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध रखते हैं, लेकिन आपको समझना होगा कि कई सालों तक यह रिश्ता एकतरफ़ा रहा. केवल अब, जब मैं आया और हमारे पास टैरिफ़ की ताक़त आई, तब इसमें बदलाव आया.”
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “भारत हमसे बहुत ऊँचे टैरिफ़ वसूल रहा था, दुनिया में सबसे अधिक. दरअसल, वे नंबर वन (टैरिफ़ में) थे. इसी वजह से हम भारत के साथ ज़्यादा कारोबार नहीं कर रहे थे, लेकिन भारत हमारे साथ कारोबार कर रहा था क्योंकि हम उन पर टैरिफ़ नहीं लगाते थे. हमने टैरिफ़ वसूल नहीं किया था.”
“इसलिए वे अपने उत्पादों को बड़े पैमाने पर अमेरिका भेजते थे. जो भी वे बनाते, भेज देते थे. इसका नकारात्मक असर यह हुआ कि वे चीज़ें यहां नहीं बनती थीं. वहीं हम भारत में कुछ नहीं भेज पाते थे क्योंकि वे हमसे 100% टैरिफ़ लेते थे.”
उन्होंने हार्ले-डेविडसन का उदाहरण देते हुए कहा, “भारत में हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल नहीं बेच पा रही थी क्योंकि उस पर 200% टैरिफ़ था. नतीजा यह हुआ कि हार्ले-डेविडसन ने भारत जाकर मोटरसाइकिल प्लांट बनाया. अब उन्हें टैरिफ़ नहीं देना पड़ता, ठीक वैसे ही जैसे हमें नहीं देना पड़ता.”
ट्रंप ने कहा, “हमारे यहाँ कई कार फ़ैक्टरियों का निर्माण चल रहा है या उनकी डिज़ाइनिंग हो रही है. ये कंपनियां चीन से आ रही हैं, मेक्सिको से आ रही हैं और कनाडा से भी बहुत कंपनियां आ रही हैं. वे सब अमेरिका में अपने उद्योग लगाना चाहते हैं.”
हालांकि ट्रंप ने ऐसा पहली बार नहीं कहा है. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी हार्ले-डेविडसन का मुद्दा उठाया था.
ताज़ा बयान में ट्रंप ने दावा किया कि भारत पहले हार्ले-डेविडसन पर 200% टैरिफ़ लगाता था. लेकिन असल में यह 100% था, जिसे घटाकर 50% किया गया था.
हार्ले-डेविडसन पर पुराना है विवाद
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इस कंपनी की बाइक सुपरबाइक कही जाती है और ज़ाहिर है कि ऊँचे दाम की वजह से ये रईस और ख़ास तबके की पहली पसंद हैं.
जाने-माने ऑटो एक्सपर्ट टुटू धवन ने 2018 में बीबीसी को बताया था, “ये न केवल आज बल्कि सौ साल पहले की भी सबसे ख़ास बाइक थी. पहली वर्ल्ड वॉर हो या दूसरी, हार्ले-डेविडसन बाइक ने दोनों में अहम भूमिका निभाई है.”
उन्होंने कहा, “उस समय साफ़ सड़कें तो होती नहीं थीं, ऐसे में ये बाइक अपने अलग-अलग इस्तेमाल और मज़बूती की वजह से काफ़ी फ़ायदेमंद साबित होती थी. दूरदराज़ के इलाकों में यही मोटरसाइकिल पहुंचा करती थी.”
इन मोटरसाइकिलों के दाम लाखों में हैं. जो इन्हें ख़रीदते हैं वे ख़ास हैं, और जो नहीं ख़रीद सकते, वे भी इनका ख़्वाब देखते हैं. यही वजह है कि इनका क्रेज़ बना हुआ है.
टुटू धवन बताते हैं, “भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इन्हें लेकर दीवानगी है और इसकी वजह है इनका सबसे अलग दिखना. दिल्ली जैसे शहर में फ़रारी लेकर क्या करेंगे? न तो ठीक से चला पाएंगे, न दौड़ा पाएंगे, फिर भी लोग इन्हें ख़रीदते हैं. ऐसा ही हार्ले-डेविडसन के साथ है.”
साल 1903 में अमरीकी शहर विस्कॉन्सिन के मिलवॉकी में विलियम एस. हार्ले और आर्थर-वाल्टर डेविडसन भाइयों ने मिलकर एक छोटे से शेड में हार्ले-डेविडसन कंपनी की नींव रखी.
ये मोटरसाइकिल जिस जगह बनी, वह 10 बाई 15 फ़ुट का एक कमरा था, जिस पर लकड़ी की छत थी और दरवाज़े पर लिखा था: हार्ले-डेविडसन मोटर कंपनी. शुरुआत विलियम और आर्थर ने की थी और उनके भाई वॉल्टर भी आगे चलकर इसमें शामिल हो गए.
जब मोटरबाइक तैयार हुई तो उसका पहला ख़रीदार हेनरी मेयर बना, जो इन नौजवानों का सहपाठी था. उसने 1903 का पहला मॉडल सीधे संस्थापकों से ख़रीदा.
जानकार बताते हैं कि हार्ले-डेविडसन विश्व युद्ध के दौरान बेहद ख़ास हो गई थी. इसका सबूत साल 1917 है, जब उस साल बनी कंपनी की एक-तिहाई बाइक सेना को दी गईं.
1918 में भी कुछ ऐसा ही हुआ. पहले विश्व युद्ध के दौरान हार्ले-डेविडसन की क़रीब आधी मोटरसाइकिल सेना को दी गई थी. सेना ने कुल 20 हज़ार बाइक इस्तेमाल कीं, जिनमें ज़्यादातर हार्ले थीं.
साल 1920 में हार्ले-डेविडसन दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी बन गई. उस दौर में 67 मुल्कों में दो हज़ार से ज़्यादा डीलर हार्ले-डेविडसन बेच रहे थे.
हर जंग से इस कंपनी को बार-बार फ़ायदा मिला.
दोनों ओर टैरिफ़ को लेकर चिंता
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बीते 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर अमेरिका का 50% टैरिफ़ लागू हो गया है और इसको लेकर दोनों ही देशों में असहजता देखी जा रही है.
भारत ने इस टैरिफ़ को “अनुचित और अव्यवहारिक” बताया है.
हाल ही में अमेरिका की एक अदालत ने राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से लगाए गए अधिकांश टैरिफ़ को अवैध करार दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए ट्रंप प्रशासन को 14 अक्तूबर तक मोहलत दी गई है.
टैरिफ़ को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पूर्व विदेश मंत्री ने ट्रंप प्रशासन को चेतावनी दी है, जबकि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी की नेता निकी हेली ने भी चिंता जताई है.
उधर, भारत की विपक्षी पार्टियों ने भी इस पर सवाल उठाया है.
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों कहा था कि अगर अमेरिका ने टैरिफ़ लगाया है तो भारत को भी उस पर जवाबी 100% टैरिफ़ लगा देना चाहिए.
ट्रेड डील को लेकर पीयूष गोयल ने क्या कहा
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केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है.
उन्होंने मंगलवार को कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में यह बात कही.
पीयूष गोयल ने कहा, ”भारत दुनिया भर में अपने कारोबारी संबंधों का विस्तार कर रहा है. मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, एफ्टा ब्लॉक, यूके और यूएई के साथ समझौते हो चुके हैं.”
”यूरोपियन यूनियन, चिली, पेरु, न्यूजीलैंड और ओमान के साथ बातचीत जारी है.”
उन्होंने कहा, ”भारत अमेरिका के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहा है.”
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