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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में अहम मुलाक़ात हुई.
इस मुलाक़ात को यूक्रेन युद्ध में शांति की ओर एक अहम क़दम माना जा रहा था. लेकिन युद्धविराम नहीं हुआ और नतीजे में सिर्फ़ मॉस्को आने का न्योता मिला.
लगभग तीन घंटे चली इस मुलाक़ात ने सवाल ज़्यादा खड़े कर दिए और जवाब कम दिए.
इस रिपोर्ट में अलास्का में हुई मुलाक़ात से जुड़ी पाँच अहम बातें जानिए.
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1.रेड कार्पेट से दुनिया के मंच पर पुतिन की वापसी
शुक्रवार को जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का पहुँचे तो यहाँ आसमान बादलों से ढका हुआ था. जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन (अमेरिकी सैन्य अड्डा) पर रेड कार्पेट बिछाए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनका इंतज़ार कर रहे थे.
जैसे ही पुतिन आगे बढ़े, ट्रंप ने ताली बजाई. दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाए और मुस्कुराए.
यह पल पुतिन के लिए बेहद अहम था. पश्चिमी देशों ने उन्हें 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से अलग-थलग कर दिया था. तब से उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राएँ सिर्फ़ उत्तर कोरिया और बेलारूस जैसे रूस-समर्थक देशों तक सीमित थीं.
अलास्का सम्मेलन का होना ही पुतिन के लिए जीत थी. लेकिन यह स्वागत शायद रूस की कल्पना से भी परे था. सिर्फ़ छह महीने में पुतिन को पश्चिमी देशों की ओर से ‘पराया’ कहे जाने से लेकर अमेरिका की ज़मीन पर मेहमान और साथी के तौर पर स्वागत मिला.
इस सब के बीच एक अप्रत्याशित पल भी आया. पुतिन ने अपनी मॉस्को-प्लेटेड राष्ट्रपति कार छोड़कर ट्रंप की बख़्तरबंद लिमोजिन में एयरबेस जाने का फ़ैसला किया.
जैसे ही गाड़ी चली, कैमरों ने पीछे की सीट पर बैठे और हँसते हुए पुतिन का क्लोज़-अप शॉट लिया.
2. पुतिन से वे सवाल पूछे गए जो कभी नहीं पूछे जाते
रूस में 25 साल से सत्ता पर क़ाबिज़ पुतिन ने मीडिया पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया है. पत्रकारिता की आज़ादी को कुचलकर उन्होंने सूचना की जगह प्रोपेगैंडा थोप दिया है. रूस में उनसे कभी असहज सवाल नहीं पूछे जाते हैं.
लेकिन अलास्का पहुँचते ही एक पत्रकार ने उनसे पूछा- “क्या आप आम लोगों की हत्या रोकेंगे?” पुतिन ने बिना प्रतिक्रिया दिए नज़रें फेर लीं.
थोड़ी देर बाद फ़ोटो-सेशन में फिर सवाल पूछे गए. एक रूसी पत्रकार ने पूछा कि क्या पुतिन राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से त्रिपक्षीय बैठक करेंगे. जवाब में पुतिन सिर्फ़ हल्की सी मुस्कान के साथ चुप रहे.
3. बातचीत जल्दी ख़त्म होने पर क्या कहा गया
दुनिया भर की मीडिया प्रेस कॉन्फ़्रेंस की उम्मीद कर रही थी. लेकिन दोनों नेताओं ने सिर्फ़ बयान दिए और किसी सवाल का जवाब नहीं लिया.
सामान्य से अलग, सबसे पहले पुतिन बोले. उन्होंने बातचीत को ‘सम्मानजनक’ बताते हुए अलास्का के रूसी इतिहास का ज़िक्र करना शुरू कर दिया.
कई मिनट बाद जाकर उन्होंने ‘यूक्रेन की स्थिति’ पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि एक ‘समझौता’ हुआ है, लेकिन असली ‘कारण’ ख़त्म किए बिना शांति नहीं हो सकती.
इस बयान ने यूक्रेन और दूसरे देशों के लिए ख़तरे की घंटी बजा दी होगी. 2022 से युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन बार-बार यही मांग रखते आए हैं– क्राइमिया, दोनेत्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन पर रूसी संप्रभुता की मान्यता, यूक्रेन को हथियार उपलब्ध न कराना, विदेशी सेनाओं की ग़ैर-मौजूदगी और यूक्रेन में नए सिरे से चुनाव कराना.
सीधे शब्दों में, यह यूक्रेन की हार और समर्पण की शर्तें थीं जो यूक्रेन के लिए अस्वीकार्य हैं लेकिन रूस के लिए युद्ध के साढ़े तीन साल गुज़र जाने के बाद अब भी अहम हैं.
इससे साफ़ हो गया कि कोई ठोस समझौता नहीं हुआ.
4.और क्या नहीं कहा गया
मीटिंग की असली वजह और संदर्भ को देखते हुए यह चौंकाने वाली बात थी कि ट्रंप ने न यूक्रेन का नाम लिया और न युद्धविराम का. बस इतना कहा कि ‘हर हफ़्ते पाँच-छह-सात हज़ार लोग मारे जाते हैं’ और पुतिन भी ख़ून-ख़राबा ख़त्म करना चाहते हैं.
आम तौर पर बहुत बोलने वाले ट्रंप इस बार पुतिन से भी कम बोले. उनका बयान छोटा था, जो असामान्य था और सबसे ज़्यादा बयान की अस्पष्टता ने खींचा. ट्रंप ने कहा कि ‘बहुत से मुद्दों पर हमारी सहमति बनी’ और जोड़ा कि ‘बेहद कारगर बैठक’ में ‘बड़ी प्रगति’ हुई.
लेकिन उन्होंने कोई विवरण नहीं बताया और ऐसा नहीं लगा कि यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने की दिशा में कोई ठोस क़दम उठाया गया. न कोई बड़ा समझौता हुआ और न ही राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ त्रिपक्षीय बैठक की घोषणा हुई.
रूस के लिए राहत की बात है कि ट्रंप ने उन ‘गंभीर परिणामों’ का भी ज़िक्र नहीं किया जिनकी धमकी उन्होंने युद्धविराम न होने पर लागू होने पर दी थी.
ट्रंप ने माना, “हम वहाँ तक (युद्धविराम) नहीं पहुँचे.”
फिर उन्होंने उम्मीद जताई, “लेकिन हमारे पास वहाँ पहुँचने का बहुत अच्छा मौक़ा है.”
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5. ‘नेक्स्ट टाइम इन मॉस्को’
भले ही यूक्रेन युद्ध पर कोई स्थाई समाधान नहीं निकला, लेकिन इस मीटिंग ने रूस और अमेरिका के रिश्तों में फिर से नज़दीकी ला दी.
दोनों नेताओं की बार-बार हाथ मिलाते और मुस्कुराते तस्वीरें सोशल मीडिया पर छा गईं. अमेरिकी सैनिकों की वे तस्वीरें भी चर्चा का विषय बनीं, जब वे पुतिन के विमान से उतरते समय रेड कार्पेट बिछा रहे थे.
पुतिन ने अपने बयान में ट्रंप के उस पुराने दावे का हवाला भी दिया कि अगर वे सत्ता में होते तो यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता.
हालाँकि ‘बड़ी प्रगति’ की बात कही गई, लेकिन अलास्का सम्मेलन से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. फिर भी दोनों नेताओं ने रूस में अगली मुलाक़ात की गुंजाइश खुली छोड़ी.
ट्रंप ने कहा, “मैं शायद आपसे बहुत जल्द फिर मिलूंगा.”
बिना कोई वादा, रियायत या समझौता किए पुतिन शायद इतने सहज हुए कि अंग्रेज़ी में मज़ाक़ कर दिया- “नेक्स्ट टाइम इन मॉस्को.”
ट्रंप हँसते हुए बोले – “ओह, यह दिलचस्प है. इसके लिए मुझे आलोचना झेलनी पड़ेगी. लेकिन हाँ, मैं इसे मुमकिन मान सकता हूँ.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित