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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान को निशाने पर लिया और कहा कि ख़ान वहां ‘शरिया कानून’ लाना चाहते हैं.
दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप का संयुक्त राष्ट्र महासभा में ये पहला भाषण है. डोनाल्ड ट्रंप के लिए 15 मिनट आवंटित किए गए थे. हालांकि, उनका भाषण करीब एक घंटे तक चला.
अपने भाषण में ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र पर ही पश्चिमी देशों में घुसपैठ को ‘बढ़ावा’ देने के आरोप भी लगाए और साथ ही एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाने का श्रेय लिया.
मगर सादिक़ ख़ान को लेकर की गई उनकी टिप्पणी पर अब ब्रिटेन में भी तीख़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री वेस स्ट्रीटिंग ने ट्रंप के दावे को ख़ारिज करते हुए कहा कि सादिक़ ख़ान राजधानी लंदन में शरिया लागू करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. वहीं, लंदन मेयर कार्यालय की ओर से भी इस मामले में बयान जारी किया गया है.
सादिक़ ख़ान के बारे में और क्या कहा?
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यूरोप में प्रवासियों के संकट पर ट्रंप ने अपनी बात रखी और उसी दौरान कहा, “मैं लंदन को देखता हूं, जहां एक बेहद खराब मेयर हैं.एक बहुत ही खराब मेयर. लंदन पूरी तरह बदल चुका है.अब वे शरिया क़ानून की ओर जाना चाहते हैं. यह सच में एक अलग देश बन गया है, आप ऐसा नहीं कर सकते.”
यहां ये ध्यान देने वाली बात है कि लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान ने शहर में शरिया क़ानून लागू करने जैसा कोई बयान नहीं दिया है. इसलिए अभी तक ये साफ़ नहीं है कि ट्रंप किस बात का ज़िक्र कर रहे थे.
हालांकि, ट्रंप ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए ये ज़रूर कहा कि, “अगर फ़ौरन कुछ नहीं किया गया तो आव्रजन और ऊर्जा को लेकर आत्मघाती नीतियां पश्चिमी यूरोप का पतन कर देंगी.”
ट्रंप पहले भी लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान को प्रवासियों के मुद्दे पर घेरते रहे हैं.
बीते सप्ताह ही डोनाल्ड ट्रंप ब्रिटेन के दौरे पर थे. उस समय भी उन्होंने यह कहा था कि वह नहीं चाहते कि उनके स्वागत भोज में सादिक़ ख़ान आएं.
ब्रिटेन दौरे पर पहुंचे ट्रंप ने कहा था, “मुझे लगता है कि लंदन के मेयर ख़ान (सादिक) दुनिया के सबसे खराब मेयर में से हैं. मुझे लगता है उन्होंने बहुत खराब काम किया है. लंदन में अपराध चरम पर है. मैंने उनसे वहां (स्वागत) न रहने को कहा है. वह आना चाहते थे, जैसा कि मुझे लगता है, लेकिन मैं नहीं चाहता कि वह आएं.”
ट्रंप के बयान पर ब्रिटेन का जवाब
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सादिक़ ख़ान लंदन के पहले मुस्लिम मेयर हैं.
लंदन के मेयर कार्यालय से ट्रंप के शरिया क़ानून वाले दावे के बारे में सवाल किया गया.
इस पर मेयर ऑफ़िस के प्रवक्ता ने कहा, “हम उनके घृणा से भरे और संकीर्ण सोच वाले बयानों को जवाब देकर अहमियत नहीं देना चाहते. लंदन दुनिया का सबसे बेहतरीन शहर है, जो प्रमुख अमेरिकी शहरों की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित है. हमें ख़ुशी है कि रिकॉर्ड संख्या में अमेरिकी नागरिक यहां बसने आ रहे हैं.”
वहीं ट्रंप के बयान के बाद ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री वेस स्ट्रीटिंग ने भी प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “सादिक़ ख़ान, लंदन में शरिया क़ानून लागू करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. यह ऐसे मेयर हैं जो प्राइड मार्च में शामिल होते हैं, जो अलग-अलग पृष्ठभूमि और विचारों के लिए खड़े होते हैं, जो हमारे परिवहन, हवा, सड़कों, सुरक्षा और अवसरों को बेहतर बनाने की ओर केंद्रित हैं. गर्व है कि वह हमारे मेयर हैं.”
सादिक़ ख़ान और ट्रंप
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पाकिस्तानी मूल के सादिक़ ख़ान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की लेबर पार्टी के नेता हैं.
सादिक़ ख़ान साल 2015 से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर रहे हैं.
उस समय सादिक़ ख़ान ने ट्रंप की ओर से अमेरिका में मुसलमानों के आने पर पाबंदी वाले सुझाव की खुलकर आलोचना की थी. इसके एक साल बाद ही ट्रंप ने सादिक ख़ान को अपना आईक्यू टेस्ट करवाने की चुनौती दी थी.
साल 2019 में जब ट्रंप राष्ट्रपति के तौर पर अपनी पहली ब्रिटेन यात्रा पर थे तब, सादिक़ ख़ान ने ‘ट्रंप बेबी’ नाम के एक विशाल गुब्बारे को उड़ाने की मंज़ूरी दी थी. यह गुब्बारा ट्रंप पर व्यंग्य था, जो लंदन में खासी चर्चा का विषय बना था.
पिछले साल पांच नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक पॉडकास्ट में ट्रंप के हमलों पर सादिक़ ख़ान ने अपनी बात रखी थी.
उन्होंने कहा, “अगर मेरा रंग ये न होता, अगर मैं इस्लाम मानने वाला न होता, तो वह (ट्रंप) मेरे पीछे न पड़ते.”
भारत पर क्या बोले ट्रंप?
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यूएन के 80वें सत्र में बोलते हुए ट्रंप ने कहा, “चीन और भारत रूस-यूक्रेन युद्ध के फंडर हैं क्योंकि वे रूस से तेल ख़रीद रहे हैं. लेकिन शर्मनाक रूप से, नेटो देश भी रूसी ऊर्जा और प्रोडक्ट की ख़रीद को पूरी तरह बंद नहीं कर पाए हैं. इसके बारे में मुझे दो हफ़्ते पहले ही पता चला और मैं ख़ुश नहीं था. वे ख़ुद के ख़िलाफ़ चल रहे युद्ध को ही फंड कर रहे हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा.”
ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर रूस युद्ध ख़त्म करने के लिए समझौता करने को तैयार नहीं होगा, तो अमेरिका और अधिक सख़्त टैरिफ़ लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है. मुझे भरोसा है कि इससे ख़ून-ख़राबा ख़त्म हो जाएगा. उन टैरिफ़ को प्रभावी बनाने के लिए यूरोपीय देशों को भी हमारे साथ मिलकर बिल्कुल ऐसे ही क़दम उठाने होंगे.”
ट्रंप ने अमेरिका की ताकत और उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि अमेरिका के पास सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्था, सीमाएं, सैन्य शक्ति और मित्र देश हैं. उन्होंने इसे ‘अमेरिका का गोल्डन एज’ बताया.
ट्रंप का कहना है कि उन्होंने दुनिया भर में सात युद्ध रुकवाए हैं और इसमें भारत-पाकिस्तान की जंग भी शामिल है.
यूएन के मंच से यूएन की आलोचना
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ट्रंप ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र से अब तक सिर्फ़ दो ही चीज़ें मिली हैं. एक ख़राब एस्केलेटर और दूसरा टूटा हुआ टेलीप्रॉम्पटर.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह सात युद्धों को समाप्त करने के लिए वार्ता कर रहे थे, तब संयुक्त राष्ट्र उनके साथ नहीं था.
उन्होंने महासभा से पूछा, “संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य क्या है? इसमें जितनी क्षमता है, यह उसके करीब भी नहीं पहुंच पाया है. इसके खोखले शब्द युद्धों को ख़त्म नहीं करते. “
ट्रंप ने और क्या-क्या कहा?
- खुली सीमाओं के असफल प्रयोग को अब ख़त्म करने का वक़्त आ गया है. ट्रंप ने यूरोपीय देशों के लिए कहा, “आपके देश नर्क की ओर जा रहे हैं.”
- जर्मन जेलों में लगभग 50% कैदी विदेशी, ऑस्ट्रिया में 53%, ग्रीस में 54% और ख़ूबसूरत स्विट्ज़रलैंड में 72% विदेशी कैदी हैं.
- यूरोप भारी संकट में है. अवैध प्रवासी भारी संख्या में घुस रहे हैं और यूरोपीय देश इस बारे में कुछ नहीं कर रहे हैं. क्योंकि वे पॉलिटकली करेक्ट दिखने की कोशिश में हैं.
- इसराइल और ईरान, पाकिस्तान और भारत, रवांडा और कांगो, थाईलैंड-कंबोडिया, आर्मीनिया और अज़बैजान, मिस्र और इथियोपिया, सर्बिया और कोसोवो समेत सात कभी न ख़त्म होने वाली जंग रोकीं.” किसी भी राष्ट्रपति ने आज तक ऐसा नहीं किया.” ट्रंप ने यह भी कहा कि यूएन ने इनमें से एक भी जंग रुकवाने की कोशिश तक नहीं की.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित