जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। समय और तकनीक के साथ बदल रहे रोजगार के बाजार पर निगाह जमाए मोदी सरकार अपने कौशल विकास के कार्यक्रमों में भी लगातार बदलाव कर रही है। इसी क्रम में सरकार अब कौशल विकास के महत्वपूर्ण अंग अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षुता) की योजनाओं में भी कुछ प्रमुख सुधार और बदलाव करने जा रही है।
सोमवार को होगी 38वीं बैठक
केंद्रीय प्रशिक्षुता परिषद (सीएसी) की अंतिम बैठक जून 2021 में हुई थी। फिर उसे कुछ बदलाव करते हुए वर्ष 2024 में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने परिषद का पुनर्गठन किया। अब इतने समय बाद उस परिषद की 38वीं बैठक सोमवार को होने जा रही है। इसमें केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों, उद्योग जगत, शिक्षा जगत आदि के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
कौशल विकास और उद्यमिता के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रशिक्षुता केवल एक योजना नहीं है, यह एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह समय के साथ विकसित हो, अंतिम छोर तक पहुंचे।
– जयन्त चौधरी, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
डाटा साइंस, मशीन लर्निंग पर फोकस
- जुलाई 2025 में लांच होने जा रहे इस कार्यक्रम का लक्ष्य डाटा साइंस, मशीन लर्निंग और एप्लिकेशन डेवलपमेंट जैसे अत्याधुनिक डोमेन में एक लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित करना है। इसके साथ ही अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) को गेमचेंजर मान रहा मंत्रालय स्नातक स्तर पर आन द जाब ट्रेनिंग को औपचारिक रूप से जोड़ने जा रहा है।
- अपने इन सुधार के प्रयासों को धरातल पर उतारने के लिए 2025-26 में 4000 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों को अप्रेंटिसशिप ईकोसिस्टम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने प्रशिक्षुता को बढ़ावा देने के लिए अब तक जो प्रयास किए, उससे भी प्रशिक्षुता बढ़ी।
- वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पीएम-एनएपीएस के तहत 35,53,942 और एनएटीएस योजना में 12,94,206 युवाओं को अप्रेंटिसशिप दिलाई जा चुकी है, लेकिन यह आंकड़ा सरकार की आशा के अनुरूप नहीं है। कुछ चुनौतियों को चिन्हित कर अब कौशल विकास और शिक्षा मंत्रालय ने साझा रोडमैप पर काम करने का निर्णय लिया गया है।
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