इमेज कैप्शन, परिवार का कहना, साइबर अपराधियों की प्रताड़ना से महिला की जान गई (प्रतीकात्मक तस्वीर)….में
Author, अमरेन्द्र यारलागड्डा
पदनाम, बीबीसी तेलुगु
‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर हैदराबाद की 76 साल की रिटायर्ड मेडिकल अफ़सर के साथ धोखाधड़ी किए जाने का मामला सामने आया है.
इस मामले में हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने केस दर्ज किया है.
साइबर अपराधियों के झांसे में आई महिला की मौत कार्डियक अरेस्ट से हो गई.
हैदराबाद साइबर क्राइम विभाग की डीसीपी कविता ने बीबीसी से पुष्टि की कि इस मामले की जांच चल रही है. उन्होंने बताया, “1669/2025 नंबर से केस दर्ज किया गया है. जांच जारी है.”
डीसीपी ने कहा कि महिला का नाम और परिवार से जुड़ी जानकारी साझा नहीं की जा सकती.
उनका कहना था कि साइबर अपराध के मामलों में पीड़ितों की पहचान गोपनीय रखी जाती है और उनके ब्योरे नहीं दिए जा सकते.
वीडियो कैप्शन, डिजिटल अरेस्ट क्या है और इससे कैसे बचें?
शेल अकाउंट में ट्रांसफ़र किया गया पैसा
हैदराबाद के यूसुफ़गुडा इलाके में सितंबर के पहले हफ़्ते में हुई यह घटना अब जाकर सामने आई है. साइबर अपराधियों के झांसे में आई महिला एक अस्पताल में मेडिकल ऑफ़िसर के रूप में काम करती थीं.
डीसीपी कविता ने बताया कि 5 से 8 सितंबर के बीच इस महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर धमकाया और प्रताड़ित किया गया.
पुलिस के मुताबिक़, साइबर अपराधियों ने उन्हें पहली बार 5 सितंबर को फ़ोन किया.
अगले दिन यानी 6 सितंबर को उनके बैंक अकाउंट से महाराष्ट्र के एक बैंक खाते में 6 लाख 60 हज़ार 543 रुपये ट्रांसफ़र किए गए. पुलिस का कहना है कि यह खाता एक ‘शेल अकाउंट’ था.
जांचकर्ताओं के मुताबिक़ साइबर अपराधी सबसे पहले ठगी का पैसा शेल अकाउंट में डालते हैं, फिर उसे अलग-अलग बैंक खातों में भेजकर क्रिप्टो करेंसी में बदल देते हैं और इस तरह रकम ग़ायब कर देते हैं.
मौत के बाद भी फ़ोन पर आते रहे मैसेज़
परिवार के सदस्यों ने पुलिस को बताया कि 8 सितंबर को उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उनकी मौत हो गई. अगले दिन उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
लेकिन परिवार ने देखा कि उनकी मौत के बाद भी उनके फ़ोन पर लगातार मैसेज आ रहे थे. तब उन्हें शक हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हुई थीं. इसी आधार पर उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
परिवार ने अपनी शिकायत में कहा कि साइबर अपराधियों की प्रताड़ना और धमकियों को न सह पाने की वजह से उनकी मौत हुई.
पुलिस ने बताया, “हमने पाया कि उनकी मौत के बाद भी साइबर अपराधियों ने उनके फ़ोन पर कुछ मैसेज भेजे. ये मैसेज उसी नंबर से नहीं आए थे जिससे पहली बार कॉल आया था, बल्कि किसी दूसरे नंबर से कॉल्स भी किए गए थे.”
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इस घटना पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पीड़िता ने इस फ़ोन नंबर को ‘जयशंकर सर’ के नाम से सेव कर रखा था. उसे वॉट्सऐप पर नक़ली कोर्ट नोटिस भी मिला था और कई वीडियो कॉल्स भी आए थे.
डीसीपी कविता ने कहा कि जांच जारी रहने की वजह से इस वक्त और जानकारी साझा नहीं की जा सकती.
इमेज कैप्शन, डीसीपी कविता ने कहा, डिजिटल अरेस्ट केस में जांच जारी है और पूरा ब्योरा नहीं दिया जा सकता
डिजिटल गिरफ़्तारी क्या है?
साइबर अपराध हर दिन नया रूप ले रहे हैं. लोगों में इन अपराधों को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अपराधी भी उतनी ही तेज़ी से तरीक़े बदल रहे हैं.
डिजिटल गिरफ़्तारी के बारे में जागरूकता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्तूबर 2024 में ख़ास तौर से बात की थी.
इसमें अपराधी पुलिस स्टेशन या किसी जांच एजेंसी के दफ़्तर जैसा नक़ली बैकग्राउंड बनाते हैं, ताकि वीडियो कॉल में वह असली लगे. वे पुलिस जैसी वर्दी पहनते हैं, नक़ली आईडी कार्ड दिखाते हैं और अपने आपको सीबीआई, आईटी, कस्टम्स, नारकोटिक्स ब्यूरो या आरबीआई जैसी सरकारी संस्थाओं का अधिकारी बताते हैं.
फिर वे लोगों को डराते हैं कि उनके भेजे पार्सल में ड्रग्स मिले हैं या उनके फ़ोन से अवैध काम हो रहे हैं. कई बार ऐसे मामलों में डीप फ़ेक वीडियो और नक़ली गिरफ़्तारी वारंट भी इस्तेमाल किए जाते हैं.
इसके बाद पीड़ितों के बैंक खातों से पैसे ट्रांसफ़र कराकर ठगी की जाती है.
शिकायत कैसे करें?
डीसीपी कविता ने बताया कि अगर किसी को साइबर अपराध के बारे में जानकारी है या वे ख़ुद इसका शिकार हुए हैं तो वे तुरंत 1930 नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
यह केंद्र गृह मंत्रालय के तहत चलने वाली नेशनल साइबर क्राइम सेल की हेल्पलाइन संख्या है.