इमेज स्रोत, Getty Images
इस साल की शुरुआत में, रैचेल उस शख़्स से बात साफ़ करना चाहती थीं जिसे वह डेट कर रही थीं, ताकि दोबारा अपने दोस्तों के साथ मिलने से पहले सब कुछ साफ़ हो जाए.
रैचेल (बदला हुआ नाम) इंग्लैंड के शेफ़ील्ड में रहती हैं. उन्होंने कहा, “मैंने नौकरी ढूंढने के लिए चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया, लेकिन सुना था कि कोई और इसे डेटिंग सलाह के लिए भी इस्तेमाल करता है.”
उन्होंने कहा, “मैं उस समय बहुत परेशान थी और मुझे किसी तरह की सलाह चाहिए थी. लेकिन मैं अपने दोस्तों को इसमें शामिल नहीं करना चाहती थी.”
फ़ोन पर बात करने से पहले उन्होंने मदद के लिए चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया.
उन्होंने चैट जीपीटी से पूछा, “इस बातचीत को कैसे संभालूं ताकि मैं डिफ़ेंसिव न लगूं.”
चैट जीपीटी ने क्या जवाब दिया?
रैचेल बताती हैं, “चैट जीपीटी तो अक्सर ऐसा करता है, लेकिन उस समय उसने कुछ ऐसा कहा– ‘वाह, यह बहुत आत्म-जागरुक सवाल है. आप काफ़ी इमोशनली मैच्योर हैं जो इस तरह सोच रही हैं. यहां कुछ टिप्स हैं’.”
उन्होंने कहा, “यह मुझे ऐसा लगा जैसे वो (चैट जीपीटी) मेरी तरफ़ से चीयर कर रहा हो, जैसे मैं सही और वो ग़लत.”
कुल मिलाकर, रैचेल कहती हैं कि यह “काम का” था. लेकिन इसकी भाषा “काफ़ी थेरेपी जैसी” लगी, जिसमें ऐसे शब्द शामिल थे जिसकी सीमाएं थी.
रैचेल ने कहा, “असल में मैंने बस यही सीखा कि मुझे अपनी शर्तों पर बात करने में ठीक लगना चाहिए. लेकिन मैंने इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया.”
रिश्तों को समझने और संभालने के लिए रैचेल अकेली नहीं हैं जो एआई की मदद ले रही हैं.
ऑनलाइन डेटिंग कंपनी ‘मैच’ के एक शोध के मुताबिक़, अमेरिका की जेन ज़ी (यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मे लोग) में से लगभग आधे लोगों ने माना है कि उन्होंने डेटिंग सलाह के लिए चैट जीपीटी जैसे बड़े भाषा मॉडल्स का इस्तेमाल किया है. यह आंकड़ा बाकी सभी पीढ़ियों से ज़्यादा है.
लोग एआई का सहारा ब्रेकअप मैसेज लिखने में, अपने डेटिंग पार्टनर के साथ हुई बातचीत को समझने में और रिश्तों की समस्याओं को सुलझाने में ले रहे हैं.
‘विकास में आ सकती है रुकावट’
इमेज स्रोत, Anastasia Jobson
मनोवैज्ञानिक और रिश्तों की विशेषज्ञ डॉक्टर ललिता सुग्लानी का कहना है कि एआई एक उपयोगी साधन हो सकता है, ख़ासकर उन लोगों के लिए जो रिश्तों में बातचीत को लेकर दबाव या असमंजस महसूस करते हैं.
उन्होंने कहा, “एआई लोगों को मैसेज लिखने, किसी उलझन भरे संदेश को समझने या दूसरी राय लेने में मदद कर सकता है. यह उन्हें तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय थोड़ा रुककर सोचने का मौका देता है.”
डॉक्टर सुग्लानी का कहना है कि एआई आपकी सोच को दिशा देने या समस्या पर विचार करने में सहायता कर सकता है, यह मददगार हो सकता है अगर इसे सिर्फ़ एक साधन की तरह इस्तेमाल किया जाए, न कि इंसानी रिश्तों की जगह लेने के लिए.”
इमेज स्रोत, Getty Images
हालांकि उन्होंने इसके साथ ही कुछ चिंताएं भी ज़ाहिर की हैं.
उनका कहना है, “एलएलएम्स (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) को मददगार और सहमत दिखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. यह अक्सर वही दोहराते हैं जो आप साझा करते हैं. इसलिए, अगर सवाल (प्रॉम्प्ट) पक्षपाती है, तो वह अनजाने में ख़राब आदतों को सही ठहरा सकते हैं या आपकी धारणाओं को दोहरा सकते हैं. इसकी समस्या यह है कि यह ग़लत कहानियों को मज़बूत कर सकता है या टालने की आदत को बढ़ावा दे सकता है.”
उदाहरण के तौर पर, वह कहती हैं कि एआई से ब्रेकअप मैसेज लिखवाना शायद इस असहज स्थिति से बचने का एक तरीक़ा हो. इससे व्यक्ति अपनी असली भावनाओं के साथ बैठकर सोचने के बजाय टालमटोल वाला व्यवहार करने लगेगा. एआई पर निर्भरता व्यक्ति के अपने विकास में भी रुकावट डाल सकती है.
उन्होंने कहा, “अगर कोई हर बार असमंजस की स्थिति में या भावनात्मक तौर पर असुरक्षित महसूस करते समय एलएलएम का सहारा लेता है, तो धीरे-धीरे वह अपनी सहज समझ, भावनात्मक भाषा और रिश्तों को समझने की क्षमता दूसरों पर छोड़ सकता है.”
डॉक्टर का यह भी कहना है कि एआई से बने संदेश अक्सर भावनात्मक रूप से खाली से लगते हैं और बातचीत को बनावटी बना देते हैं, जिसे पढ़ना सामने वाले के लिए असहज हो सकता है.
एआई टूल पर कैसे टिप्स लेते हैं लोग?
इमेज स्रोत, Es Lee
चुनौतियों के बावजूद, रिश्तों पर सलाह देने वाली नई सेवाएं लगातार सामने आ रही हैं.
‘मे’ एक मुफ़्त एआई-आधारित सेवा है. इसे ‘ओपनएआई’ की तकनीक से प्रशिक्षित किया गया है और यह रिश्तों से जुड़ी उलझनों का जवाब बातचीत की तरह देती है.
न्यूयॉर्क स्थित इसके संस्थापक एस ली कहते हैं, “इसका मक़सद यह है कि लोग तुरंत रिश्तों को संभालने में मदद ले सकें, क्योंकि हर कोई दोस्तों या परिवार से बात नहीं कर पाता, उन्हें जज किए जाने का डर होता है.”
ली के मुताबिक़, इस एआई टूल पर आने वाली आधी से ज़्यादा समस्याएं सेक्स से जुड़ी होती हैं, एक ऐसा विषय जिस पर लोग दोस्तों या थेरेपिस्ट से खुलकर बात करने से कतराते हैं.
वह कहते हैं, “लोग एआई का इस्तेमाल केवल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मौजूदा सेवाएं उनकी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पा रही हैं.”
उनके मुताबिक़, एक और आम इस्तेमाल यह है कि किसी संदेश को दोबारा किस तरह लिखा जाए या रिश्ते में आई समस्या को कैसे सुधारा जाए. यह कुछ ऐसा है जैसे लोग चाहते हैं कि एआई उनके मुद्दे को मान्यता दे.
इमेज स्रोत, Getty Images
हालांकि, रिश्तों पर सलाह देने में सुरक्षा के मुद्दे भी सामने आ सकते हैं. एक इंसानी काउंसलर जानता है कि कब हस्तक्षेप करना है और किसी क्लाइंट को संभावित ख़तरनाक स्थिति से बचाना है.
क्या कोई रिलेशनशिप ऐप वही सुरक्षा उपाय प्रदान कर सकता है?
इस सवाल पर ‘मे’ के संस्थापक एस ली भी मानते हैं कि सुरक्षा को लेकर चिंताएं हैं. वह कहते हैं, “मुझे लगता है कि एआई में दांव ज़्यादा बड़े हैं, क्योंकि यह हमारे साथ निजी स्तर पर जुड़ सकता है, जिस तरह कोई और तकनीक नहीं कर पाती.”
लेकिन उनका कहना है कि ‘मे’ में पहले से ही “गार्डरेल्स” यानी सुरक्षा उपाय शामिल किए गए हैं.
उन्होंने कहा, “हम पेशेवरों और संगठनों का स्वागत करते हैं कि वह हमारे साथ साझेदारी करें और हमारे एआई उत्पादों को सही दिशा देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.”
चैट जीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपन एआई का कहना है कि उसके नए मॉडल ने उन क्षेत्रों में सुधार दिखाया है जहां अस्वस्थ भावनात्मक निर्भरता और ज़्यादा चापलूसी (हां में हां मिलाना) का जोखिम था.
कंपनी ने अपने बयान में कहा, “लोग कभी-कभी संवेदनशील पलों में चैट जीपीटी का सहारा लेते हैं, इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह सही ढंग से जवाब दे और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में रहे. इसमें ज़रूरत पड़ने पर लोगों को पेशेवर मदद की ओर भेजना, संवेदनशील अनुरोधों पर मॉडल की प्रतिक्रियाओं के लिए सुरक्षा उपायों को मज़बूत करना और लंबी बातचीत के दौरान ब्रेक लेने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है.”
क्या प्राइवेसी को कोई ख़तरा है?
इमेज स्रोत, Getty Images
एक और बड़ा मुद्दा प्राइवेसी को लेकर है. ऐसे ऐप्स बहुत संवेदनशील डेटा इकट्ठा कर सकते हैं, जो अगर हैकर्स के हाथ लग जाए तो नुकसानदेह हो सकता है.
इस पर एस ली कहते हैं, “यूज़र की प्राइवेसी को लेकर हर फ़ैसले के मोड़ पर हम वही रास्ता चुनते हैं, जो प्राइवेसी को बनाए रखे और केवल वही जानकारी इकट्ठा करे जिसकी हमें अच्छी सेवा देने के लिए ज़रूरत है.”
उनके मुताबिक़, ‘मे’ की नीति है कि वह ईमेल पते के अलावा किसी भी ऐसी जानकारी की मांग नहीं करता जिससे किसी व्यक्ति की पहचान हो सके.
वह यह भी बताते हैं कि चैट्स केवल गुणवत्ता जांच के लिए अस्थायी रूप से सेव की जाती हैं और 30 दिन बाद हटा दी जाती हैं. उन्होंने कहा, “वह अभी स्थायी रूप से किसी डेटाबेस में सेव नहीं होतीं.”
कुछ लोग एआई को इंसानी थेरेपिस्ट के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
कोरिन (बदला हुआ नाम) ने पिछले साल के आख़िर में एक रिश्ता ख़त्म करने के बारे में चैट जीपीटी से सलाह लेना शुरू किया.
लंदन में रहने वाली कोरिन कहती हैं कि उनके रूममेट ने जब डेटिंग सलाह के लिए एआई के अच्छे अनुभव साझा किए, जिनमें ब्रेकअप को संभालने के टिप्स भी थे, तो वह भी इसे इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हुईं.
वह बताती हैं कि वह चैट जीपीटी से कहती थीं कि उनके सवालों के जवाब सोशल मीडिया पर मशहूर रिलेशनशिप एक्सपर्ट जुलियन तुरेकी या डॉक्टर निकोल लपेरा जैसे अंदाज़ में दें.
जब इस साल की शुरुआत में कोरिन ने फिर डेटिंग शुरू की तो उन्होंने फिर से अपने पसंदीदा रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स की शैली में सलाह मांगते हुए चैट जीपीटी का सहारा लिया.
वह कहती हैं, “जनवरी के आसपास मैं एक लड़के के साथ डेट पर गई थी. वह मुझे शारीरिक रूप से आकर्षक नहीं लगा लेकिन हम दोनों की बनती थी. तो मैंने चैट जीपीटी से पूछा कि क्या दूसरी डेट पर जाना सही रहेगा. मुझे पता था कि वह ‘हां’ कहेंगे क्योंकि मैंने उनकी किताबें पढ़ी हैं, लेकिन अच्छा लगा कि सलाह मेरी स्थिति के मुताबिक़ थी.”
कोरिन के पास अपना एक थेरेपिस्ट भी है, वो कहती हैं कि थेरेपिस्ट के साथ हुई चर्चाएं उनके बचपन तक जाती हैं, जबकि चैट जीपीटी से वह सिर्फ़ डेटिंग या रिश्तों के हल्के-फुल्के सवाल पूछती हैं.
वह मानती हैं कि वह एआई की सलाह को “थोड़ा फ़ासला रखकर” लेती हैं.
उनका कहना है, “मुझे लगता है लोग रिश्ता ख़त्म कर सकते हैं या शायद अपने पार्टनर से ऐसी बातें कर सकते हैं जो उन्हें अभी नहीं करनी चाहिए , क्योंकि जो आप सुनना चाहते हैं चैट जीपीटी वही दोहराता है.”
कोरिन ने कहा, “यह ज़िंदगी के तनावपूर्ण पलों में अच्छा है और जब दोस्त पास नहीं हों तो यह मुझे शांत कर देता है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.