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‘कौन बनेगा करोड़पति’ के सीज़न 16 के एक एपिसोड में प्रतियोगी ऋतिका सिंह ने जेन ज़ी की डेटिंग संस्कृति पर कार्यक्रम के होस्ट अमिताभ बच्चन से चर्चा की.
ऋतिका दिल्ली की रहने वाली हैं और पेशे से पत्रकार हैं. उन्होंने शो में अपने शौक के बारे में बताया और कहा कि वह ख़ाली समय में अपने दोस्तों को रिश्तों से जुड़ी सलाह देती हैं.
ऋतिका ने अमिताभ बच्चन को ‘ब्रेडक्रंबिंग’ और ‘बेंचिंग’ जैसे शब्दों से परिचित कराया और बताया कि आज के युवाओं को मानवीय रिश्तों में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
जब अमिताभ बच्चन ने मज़ाक में पूछा, “ब्रेडक्रंबिंग का मतलब रोटी खाना होता है?”, तो सभी दर्शक हँस पड़े. इसके बाद ऋतिका ने उन्हें इस शब्द का सही अर्थ समझाया.
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मैंने भी ये शब्द पहली बार सुने थे. अब तक हम प्रेम, विवाह और लिव-इन रिलेशन्स के बारे में सुनते आए हैं, लेकिन ब्रेडक्रंबिंग और बेंचिंग जैसे शब्दों को जानने के लिए मैंने गूगल पर इसकी तलाश की.
यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आती है कि सिर्फ़ यही दो शब्द नहीं, बल्कि कई अन्य नए शब्द भी चलन में हैं, जो रिश्तों की दुनिया को एक नई परिभाषा दे रहे हैं.
इसका अर्थ जानने के बाद ऐसा लगा जैसे रिश्तों का स्वरूप ही बदल रहा है.
डेटिंग, प्रेम, विवाह, लिव-इन या सिंगल- इन पारंपरिक रिश्तों ने एक लंबा सफ़र तय किया है, और अब ये विभिन्न रूपों में बदलकर ब्रेडक्रंबिंग, बेंचिंग और सिचुएशनशिप जैसे नए नामों में ढल गए हैं.
यह रिश्ता किस तरह का है, उसके आधार पर नए शब्दों का जन्म हो रहा है.
आइए, ऐसे कुछ शब्दों पर एक नज़र डालते हैं.
सिचुएशनशिप
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जब दो लोग एक अनिश्चित रिश्ते में होते हैं, तब उसे सिचुएशनशिप कहा जाता है. सिचुएशनशिप में न तो प्यार होता है और न ही दोस्ती. इस संबंध के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं होते. यह डेटिंग भी नहीं होती. इसमें दोनों एक-दूसरे के साथ का आनंद ले रहे होते हैं- बस इतना ही.
इस संबंध में वे भावनात्मक रूप से एक-दूसरे के क़रीब रहने का प्रयास करते हैं. वे प्रेम, मित्रता, विवाह जैसे किसी भी पारंपरिक रिश्ते में बंधे नहीं होते.
यह स्पष्ट नहीं होता कि उनका कोई संबंध है या नहीं, लेकिन वे एक-दूसरे के क़रीब होते हैं.
फ़िल्म अभिनेत्री जान्हवी कपूर ने एक बार कहा था कि यह एक अर्थहीन रिश्ता है. वह ऐसे रिश्तों को नहीं समझतीं जो एक-दूसरे के लिए न हों.
इंडिया टुडे मैगज़ीन को साल 2024 में दिए गए एक साक्षात्कार में जान्हवी ने अपनी फ़िल्म के संदर्भ में यह बात कही थी. उन्होंने कहा था कि प्रेम और विवाह के बीच कोई स्पष्ट रास्ता ही नहीं है.
अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा ने जून 2022 में फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह एक समय सिचुएशनशिप में थीं.
हालांकि कुछ समय के अनुभव के बाद उन्हें समझ में आया कि यह उनके और उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है.
सान्या ने सलाह दी थी, “अगर कोई आपको पसंद है तो उसके साथ डेट पर जाएं, लेकिन उसके पीछे भागें नहीं.”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब कभी ऐसी स्थिति में नहीं आएंगी.
ब्रेडक्रंबिंग
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किसी में रुचि दिखाना, फ़्लर्ट भरे मैसेज भेजना और ऐसा व्यवहार करना जैसे दो लोग एक-दूसरे को पसंद करते हों. लेकिन यह रिश्ता केवल शब्दों तक सीमित होता है. ऐसे लोग किसी गंभीर रिश्ते में पड़ना नहीं चाहते.
जो लोग अकेले होते हैं या चाहते हैं कि कोई ऐसा हो जो उनकी मौजूदगी का एहसास दिलाए, वे इस तरह के मैसेज भेजते हैं.
डिजिटल दुनिया में ऐसे मामले अधिक देखने को मिलते हैं.
कुछ लोग ऐसे मैसेज देखकर धोखा खा जाते हैं कि उन्हें प्यार हो गया है, क्योंकि सामने वाला व्यक्ति बार-बार उन पर ध्यान देता है.
वे कभी-कभी मिलते भी हैं या केवल ऑनलाइन संपर्क में रहते हैं.
वे कुछ ऐसी बातें करते हैं, “मैं तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ” या “चलो मिलते हैं”, लेकिन वास्तव में मिलने नहीं आते.
उन्हें रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं होती. यह भी ब्रेडक्रंबिंग का एक उदाहरण है.
बेंचिंग क्या है?
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यह एक तरह से कुछ कॉरपोरेट कंपनियों की तरह का व्यवहार है. कई कंपनियाँ कुछ कर्मचारियों को “बेंच पर (रिज़र्व में)” रखती हैं.
इसका मतलब होता है कि इन कर्मचारियों को भविष्य में काम पर रखा जा सकता है या हटाया जा सकता है. ऐसे कर्मचारियों के पास तत्काल कोई ख़ास काम नहीं होता.
कई कंपनियाँ भविष्य में प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने के इरादे से भर्ती प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए ऐसी नीति अपनाती हैं.
इसी तरह, कुछ लोग ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वे किसी के साथ रिश्ते में हैं, जैसे कि वे उससे प्यार करते हों- लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता.
इसे ही बेंचिंग कहा जाता है.
दूसरी ओर, वे किसी अन्य साथी की तलाश में रहते हैं.
डेटिंग ऐप्स और तकनीक लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि वे किसी ख़ास रिश्ते में हैं, जबकि हक़ीक़त कुछ और होती है.
जेन ज़ी और जेन अल्फ़ा अपने रिश्तों को लेकर काफ़ी स्पष्ट हैं.
साल 1997 से 2012 के बीच जन्मे लोगों को जेन ज़ी कहा जाता है, जबकि साल 2013 से 2024 के बीच जन्मे लोगों को जेन अल्फ़ा कहा जाता है.
वे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ समझौता नहीं करना चाहते जिसे केवल दिखावे के लिए पसंद किया जा रहा हो.
वे अपने ख़ुद को ज़्यादा महत्व देते हैं और किसी कठोर बंधन में बंधने में दिलचस्पी नहीं रखते.
रिश्तों की इस नई प्रवृत्ति को समझने के लिए मैंने जेन ज़ी की निहारिका वर्मा से बात की. वो हैदराबाद की एक निजी कंपनी में ऑडिटर के रूप में कार्यरत हैं.
निहारिका ने कहा, “सिचुएशनशिप और बेंचिंग जैसे शब्दों का जन्म रिश्तों के भारी दबाव की वजह से हुआ है. मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, लेकिन मेरे दोस्त और रूममेट्स मुझसे बार-बार पूछते हैं कि मैं सिंगल क्यों हूँ? बिना यह समझे कि रिश्ता क्या होता है, लोग केवल दिखावे के लिए किसी के साथ जुड़ जाते हैं.”
“लोग कहते हैं- ‘यह बहुत आसान है. तुम कोशिश क्यों नहीं करती? तुम बॉयफ्रेंड ढूंढ सकती हो.’ लेकिन मुझे प्रेमी की तलाश और उसे पाने का विचार ही समझ में नहीं आता.”
निहारिका ने कहा, “ऐसा करना सही है या ग़लत- यह मैं नहीं कह सकती, क्योंकि यह व्यक्तिगत ख़ुशी और पसंद का मामला है. उम्र के साथ सोच भी बदलती है. किशोरावस्था में जब घर में कई तरह के दबाव और ज़िम्मेदारियाँ होती हैं.”
“तब हमें लगता है कि अपनी भावनाओं को साझा करने के लिए एक दोस्त, एक प्रेमी या एक साथी की ज़रूरत है. लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमें लगता है कि हमें एक स्थिर रिश्ते की ज़रूरत है.”
बहुत से लोग ख़ुद को ज़्यादा महत्व देते हैं. ख़ुद को पसंद करना, अपने करियर, शौक, रुचियों और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
वे केवल टाइमपास वाले रिश्तों को महत्व नहीं देते.
वे अपनी इच्छाओं को खुलकर व्यक्त करते हैं और आपसी सम्मान की उम्मीद रखते हैं.
अब प्रेम के नियम फिर से परिभाषित हो रहे हैं. वे अपना अस्तित्व खोना नहीं चाहते. रिश्ता केवल रोमांस के लिए नहीं होता- वह भावनात्मक सुरक्षा, आपसी सम्मान, महत्व, और एक-दूसरे की पसंद को स्वीकार करने के लिए भी होता है.
ऑर्बिटिंग
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किसी के साथ रिश्ता टूटने (ब्रेकअप) के बाद भी अगर कोई आप पर ध्यान देता है, तो यह अक्सर सोशल मीडिया के माध्यम से होता है.
वे आपकी स्टोरीज़ देखते हैं, आपकी पोस्ट को लाइक करते हैं- लेकिन बात नहीं करते.
वे केवल यह जताना चाहते हैं कि उन्हें आप में रुचि है.
यह व्यवहार कई बार दूसरे व्यक्ति को भ्रम में डालने वाला हो सकता है.
इस विषय पर बात करते हुए लेखिका एना लाविन कहती हैं, “वे एक-दूसरे की परवाह करने के लिए बहुत क़रीब होते हैं, लेकिन बातचीत करने के लिए बहुत दूर.”
2018 में ‘बेटर बाय टुडे’ मैगज़ीन में प्रकाशित ऑर्बिटिंग पर एक लेख में टेलर डेविस ने कहा था, “ऐसा केवल पार्टनर्स के साथ ही नहीं होता, बल्कि दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी होता है.”
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ‘दूसरों के जीवन में झांकना और यह जानना कि उनके जीवन में क्या चल रहा है, यह इंसानी स्वभाव है. इस पर हम कुछ नहीं कर सकते. लेकिन ऐसा व्यवहार कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.’
कुशनिंग
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जब कोई व्यक्ति एक रिलेशन में होते हुए भी किसी अन्य के साथ इस तरह फ़्लर्ट करता है जैसे वह उससे प्रेम करता हो या उसे पसंद करता हो- लेकिन वह अपने प्रेम को खुलकर व्यक्त नहीं कर सकता.
ऐसे व्यवहार को कुशनिंग कहा जाता है.
यह तब होता है जब व्यक्ति को डर होता है कि उसका मौजूदा रिश्ता टूट सकता है, इसलिए वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह उसका विकल्प हो.
यह एक तरह का “भावनात्मक सुरक्षा जाल” होता है.
लव बॉम्बिंग
इसे एक्स्ट्रीम लव (अत्यधिक प्यार) भी कहा जा सकता है.
इसमें बेहिसाब प्यार का प्रदर्शन, ढेर सारे गिफ्ट्स और लगातार एक-दूसरे के पीछे भागना शामिल होता है.
यह व्यवहार कभी प्रेम के कारण होता है, कभी ध्यान खींचने के लिए, और कभी सामने वाले को कंट्रोल करने के लिए.
लव बॉम्बिंग शुरू में तो अच्छा लगता है, लेकिन कुछ समय बाद यह काफ़ी बिगड़ भी सकता है.
सिमर डेटिंग
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आज कई शहरों में युवा सिमर डेटिंग को अपना रहे हैं. इसका मतलब है कि रिलेशनशिप में आने का कोई भी फ़ैसला अचानक नहीं लिया जाता.
इसमें दोनों साथ समय बिताते हैं, एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं.
जब उनके बीच मनोवैज्ञानिक जुड़ाव बनता है, तब वे तय करते हैं कि अपने रिश्ते को आगे कैसे बढ़ाना है.
कई लोग मानते हैं कि इस प्रकार के रिश्तों में स्थिरता होती है.
सोशल डेटिंग
इस प्रकार की डेटिंग में दो लोग साथ मिलकर घर का काम करते हैं, खाना बनाते हैं, साथ शॉपिंग करते हैं.
वे केवल रोमांटिक रिश्ते में नहीं होते, बल्कि एक ऐसे डेटिंग रिश्ते में होते हैं जिसमें वे ज़िम्मेदारियाँ और रोज़मर्रा के काम साझा करते हैं.
नेनॉशिप
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ज़्यादातर लोग रोमांटिक रिश्तों में कुछ ही दिनों तक टिक पाते हैं.
जब तक वे ऐसे रिश्ते में होते हैं, तब तक एक-दूसरे से एक प्रकार की मानसिक स्थिरता पाते हैं. उन्हें लगता है- “तुम मेरे साथ हो और मैं तुम्हारे साथ.”
निहारिका ने अपने दोस्तों और आसपास के अनुभवों के आधार पर कहा,
“एक बात तो सच है- जेन ज़ी और जेन अल्फ़ा इस सोच से बाहर आ चुके हैं कि सच्चा प्यार तो एक ही बार होता है और प्यार अमर होता है.”
वो कहती हैं, “ऐसा अब बहुत कम लोग सोचते हैं कि रिश्ता टूट जाए तो जीवन ख़त्म हो गया. सिंगल रहने में कोई बुराई नहीं है.”
फ़ॉर्च्यून पत्रिका में फ़रवरी 2025 में प्रकाशित एक लेख में द टाइम्स के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया गया कि जेन ज़ी स्थिर रिश्तों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है.
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