जांच में खुला फर्जीवाड़े का खेल
पूरा मामला जयपुर जिले के चौमूं थाना इलाके का है, जहां सचिन गोरा नाम के युवक ने कभी नीट की परीक्षा दी ही नहीं लेकिन आज AIIMS जोधपुर में MBBS का फाइनल ईयर कर रहा है। ये कैसे मुमकिन हुआ? इसका जवाब चौंकाने वाला है। नीट परीक्षा में सचिन की जगह अजीत गोरा नामक युवक ने डमी कैंडिडेट बनकर एग्जाम दिया और 667 अंक झट से कमा लिए।
60 लाख में हुई थी सौदेबाजी
डीसीपी (वेस्ट) अमित कुमार ने बताया कि सचिन गोरा ने साल 2020 में डॉक्टर सुभाष सैनी से संपर्क किया था। 60 लाख रुपये में एग्जाम पास कराने और सीट दिलाने की डील हुई। डॉक्टर सैनी ने अजीत गोरा को डमी कैंडिडेट बनाकर नीट दिलवाया, आवेदन में फोटो तक बदल दी गई। नतीजा? सचिन का एडमिशन एम्स जोधपुर में हो गया, और खुद कभी उसने एग्जाम दिया ही नहीं।
गिरफ्त में आए तीनों खिलाड़ी
पुलिस ने डॉक्टर सुभाष सैनी मेडिकल स्टूडेंट अजीत गोरा (इंटर्न, भरतपुर मेडिकल कॉलेज), और खुद को डॉक्टर कहलवाने वाले MBBS स्टूडेंट सचिन गोरा को गिरफ्तार किया है। सचिन फिलहाल AIIMS जोधपुर में फाइनल ईयर में है। अब आगे क्या होगा, ये जांच तय करेगी।
कैसे हुआ भंडाफोड़?
इस हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी की परतें खुलीं तब जब 15 मई को एक व्यक्ति ने चौमूं थाने में रिपोर्ट दी। पुलिस ने मेडिकल कॉलेजों के रिकॉर्ड खंगाले, जिसमें सामने आया कि एडमिट कार्ड से लेकर परमिशन लेटर तक, सबमें फोटो बदला गया था। जोधपुर और भरतपुर पुलिस की मदद से दस्तावेज जुटाए गए और केस की गुत्थी सुलझाई गई।