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अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान प्रशासन के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी भारत पहुंच गए हैं.
यह 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के दोबारा क़ब्ज़े के बाद किसी मंत्री का पहला भारत दौरा है. भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है.
पिछले शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में तालिबान सरकार को मान्यता देने के बारे में सवाल पूछा गया था.
लेकिन प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया था.
तालिबान सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों ने अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया है.
ऐसे में अमीर ख़ान मुत्तक़ी के भारत दौरे पर दुनियाभर की नज़रें टिकी हैं.
पड़ोसी पाकिस्तान में भी मुत्तक़ी के इस दौरे की चर्चा ज़ोरों पर है और वहां के मीडिया में यह ख़बर सुर्ख़ियों में है.
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों में दरार
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मुत्तक़ी के दौरे के बीच पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों के आरोप और अफ़ग़ान शरणार्थियों की बड़े पैमाने पर वापसी का अभियान चर्चा में है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सितंबर 2025 में अफ़ग़ान तालिबान को सख़्त चेतावनी दी थी.
उन्होंने कहा था, “आज मैं अफ़ग़ानिस्तान को साफ़ संदेश देना चाहता हूं कि वो पाकिस्तान और टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) में से किसी एक को चुने.”
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि असीम इफ्तिख़ार अहमद ने भी 17 सितंबर 2025 को अफ़ग़ानिस्तान पर हुई बैठक में कहा था, “तालिबान प्रशासन को आतंकवाद विरोधी अपनी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों को निभाना चाहिए. अफ़ग़ानिस्तान से फैल रहा आतंकवाद पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बना हुआ है.”
वहीं, अफ़ग़ानिस्तान ने पाकिस्तान के सभी आरोपों को “बेवजह” बताया है.
विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी ने सात अक्तूबर को मॉस्को में हुई बैठक में कहा था, “अफ़ग़ानिस्तान में कोई भी आतंकी संगठन सक्रिय नहीं है और न ही वो किसी पड़ोसी देश के लिए ख़तरा है.”
‘अफ़ग़ानिस्तान कल भी भारत के साथ था, आज भी है और कल भी रहेगा’
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समा टीवी के 7 अक्तूबर के एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने अमीर ख़ान मुत्तक़ी के भारत दौरे पर अपनी बात रखी.
उनका कहना था कि अफ़गानिस्तान के साथ पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से ‘खट्टे और कड़वे रहे हैं’ जो अब और ख़राब हो चुके हैं.
इस बातचीत में ख़्वाजा आसिफ़ ने कहा, ”आप इतिहास में पीछे जाएं, अफ़ग़ानिस्तान आख़िरी मुल्क था जिसने पाकिस्तान को मान्यता दी थी. उस वक़्त से लेकर अब तक कोई एक ऐसा मौक़ा नहीं रहा जब अफ़ग़ानिस्तान ने पाकिस्तान से दोस्ती या भाईचारे का रिश्ता निभाया हो. एक धर्म, एक मज़हब होने के बावजूद उन्होंने कभी ऐसा रिश्ता नहीं निभाया.”
उन्होने कहा, ”असल में, अफ़ग़ानिस्तान हमारे ख़िलाफ़ साज़िश कर रहा है. हमारे जवान रोज़ शहीद हो रहे हैं. कई सैनिकों ने इस जंग में अपने हाथ-पैर खो दिए हैं. कई अपने बच्चों से बिछड़ गए हैं. क्या यही हमसाए का रिश्ता है?”
भारत के साथ अफ़ग़ानिस्तान के रिश्ते पर वह कहते हैं, ”हक़ीक़त यह है कि अफ़ग़ानिस्तान कल भी भारत के साथ था, आज भी भारत के साथ है और कल भी रहेगा.”
‘भारत-अफ़ग़ान रिश्ते और बदलता क्षेत्रीय संतुलन’
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पाकिस्तान के अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में प्रकाशित एक संपादकीय की हेडलाइन है – भारत-अफ़ग़ान रिश्ते और बदलता क्षेत्रीय संतुलन.
आर्टिकल में लिखा गया है, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति द्वारा अफ़ग़ान तालिबान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी पर लगे यात्रा प्रतिबंध को अस्थायी रूप से हटाया जाना, दक्षिण एशिया की कूटनीति में एक अहम क्षण है.”
आर्टिकल में लिखा गया है, “मुत्तक़ी का भारत दौरा यह दिखाता है कि अफ़ग़ानिस्तान अब अपने क्षेत्रीय रिश्तों को दोबारा संतुलित करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है.”
“पाकिस्तान के लिए यह घटनाक्रम रणनीतिक, मानवीय और सुरक्षा दृष्टि से कई परतों वाला है. ख़ासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान अफ़ग़ान शरणार्थियों की वापसी की लंबे समय से रुकी प्रक्रिया को शुरू कर चुका है.”
पाकिस्तान को लेकर लिखा गया है, “पाकिस्तान ने दशकों तक अफ़ग़ानिस्तान का बोझ उठाया है. अब उसे केवल औपचारिक धन्यवाद नहीं, बल्कि सम्मान, बराबरी और ज़िम्मेदारी चाहिए.”
आख़िर में आर्टिकल में लिखा गया है, “शरणार्थियों की वापसी त्याग नहीं, बल्कि एक ज़रूरी सुधार है. अगर अफ़ग़ानिस्तान सच में शांति चाहता है, तो उसे शुरुआत अपने घर को ठीक करने से करनी होगी.”
अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों की बैठक के बाद दौरे के मायने
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पाकिस्तान के अख़बार डॉन ने अपनी वेबसाइट पर न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी की एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें मुत्तक़ी के भारत दौरे की जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट में लिखा है, “मुत्तक़ी का यह दौरा उस क्षेत्रीय बैठक के एक दिन बाद हो रहा है जो मॉस्को में हुई थी. इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देश, पाकिस्तान, ईरान, चीन और मध्य एशिया के कई देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था.”
रिपोर्ट के मुताबिक, “इस बयान में क्षेत्र में किसी भी विदेशी सैन्य ढांचे की तैनाती का विरोध किया गया. इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस एलान के जवाब के तौर पर देखा गया, जिसमें उन्होंने काबुल के पास बगराम एयरबेस पर फिर से नियंत्रण हासिल करने की बात कही थी.”
अफ़ग़ान विशेषज्ञों की नज़र में मुत्तक़ी का भारत दौरा
अफ़ग़ान अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ वहीद फ़क़ीरी ने टोलो न्यूज़ से कहा, “तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते कुछ हद तक तनावपूर्ण हो गए हैं.”
उनके मुताबिक़, “भारत इस स्थिति का अपने हित में फ़ायदा उठाना चाहता है, और यही वजह है कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के संबंध अब सुधरते नज़र आ रहे हैं.”
जर्मनी में रह रहे अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राजनयिक मोहम्मद आज़म नूरिस्तानी ने रेडियो लिबर्टी से कहा, “भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा, पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव और आतंकवाद के ख़तरे की चिंता है.”
उन्होंने कहा, “तालिबान के साथ बातचीत भारत के लिए जोखिमों को समझने और अफ़ग़ानिस्तान में शक्ति संतुलन को परखने का एक ज़रिया हो सकती है.”
नूरिस्तानी ने यह भी कहा कि भारत तालिबान से “सीमित और व्यावहारिक बातचीत” कर सकता है, लेकिन “मान्यता देने” की संभावना अभी नहीं है.
इसी चैनल से बातचीत में अफ़ग़ान विश्लेषक ग़ाउस जानबाज़ ने कहा, “भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन से भारत के ख़िलाफ़ कोई ख़तरा या उकसावे की कार्रवाई न हो.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.