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तुर्की में राष्ट्रपति रेचेप तैयप्प अर्दोआन के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी इकरम इमामोअलू की गिरफ़्तारी के बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं.
प्रदर्शनकारी छठी रात भी उनके ख़िलाफ़ डटे रहे. जबकि अर्दोआन ने कहा है कि विपक्षी दल ‘हिंसक आंदोलन’ को हवा दे रहे हैं.
प्रदर्शन पिछले बुधवार को इंस्ताबुल में शुरू हुए थे. प्रदर्शनकारी इंस्ताबुल के मेयर और अर्दोआन के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी इकरम इमामोअलू की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे.
इकरम इमामोअलू ने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. जबकि अर्दोआन ने कहा कि इमामओलू झूठ बोल रहे हैं.
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तुर्की के मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) ने रविवार को इमामोअलू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है.
पार्टी ने कहा है उनका प्रदर्शन मंगलवार को ख़त्म होगा. हालांकि उसने ये नहीं बताया कि आंदोलन के दौरान उसका अगला कदम क्या होगा.
तुर्की में क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन
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इमामोअलू विपक्षी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के सबसे बड़े नेता और इंस्ताबुल के मेयर हैं.
उन्हें अर्दोआन के सबसे ताक़तवर प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखा जाता है. 23 मार्च को अर्दोआन सरकार ने उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और चरमपंथी समूह को मदद करने का आरोप दाखिल किया.
प्रदर्शनकारियों ने इमामोअलू की हिरासत को गैरक़ानूनी और राजनीति से प्रेरित बताया है.
इमामोअलू ने अपनी गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा,” ये लोगों की इच्छा पर की गई चोट है. मुझे गिरफ़्तार करने सैकड़ों पुलिसकर्मी मेरे दरवाजे पर पहुंच गए. लेकिन मुझे लोगों पर भरोसा है.”
हालांकि अदालत ने कुर्दिश राष्ट्रवादी संगठन पीकेके को समर्थन करने के आरोप में उनके ख़िलाफ़ दूसरा गिरफ़्तारी वारंट जारी करने से इनकार कर दिया है. पीकेके 1980 से ही तुर्की सरकार से लड़ रहा है.
तुर्की, अमेरिका और ब्रिटेन ने पीकेके को आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया है.
कौन हैं प्रदर्शनकारी
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इमामोअलू की गिरफ़्तारी बाद दसियों हजार प्रदर्शनकारी सरकार के प्रतिबंधों की अनदेखी कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
सोमवार को तुर्की के गृह मंत्री अली येरलिकाया ने बताया कि कम से कम 133 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
प्रदर्शनकारियों में छात्रों की एक बड़ी तादाद है. अभी तक उन्होने अर्दोआन के अलावा किसी को सत्ता में देखा ही नहीं हैं
अर्दोआन पिछले 22 साल से सत्ता में हैं. पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति के तौर पर.
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पुलिस प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करने की धमकी दी रही है लेकिन लोग बड़ी तादाद में सड़कों पर डटे हुए हैं. कई जगह पुलिस के साथ उनका टकराव भी हुआ है.
गृह मंत्री येरलिकाया ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जारी प्रदर्शन दरअसल प्रदर्शन के अधिकार का उल्लंघन हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर कानून-व्यवस्था को पटरी से उतारने का आरोप लगाया.
उन्होंंने कहा कि प्रदर्शनकारी लोगों को भड़का रहे हैं और पुलिस पर हमला कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ फ़िलहाल तुर्की के 81 में से 55 प्रांतों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
प्रदर्शन में शामिल एक युवा महिला ने बीबीसी कहा,” हमें ये तय करने का हक है कि देश की सत्ता पर कौन बैठेगा.”
” सत्ता में कौन बैठेगा ये तय करने का हक जनता को है. लेकिन राष्ट्रपति अर्दोआन ये हक हमसे छीन लेना चाहते हैं.”
इसी प्रदर्शन में शामिल एक युवक ने कहा,” हम लोकतंत्र चाहते हैं. हम चाहते हैं लोग अपना प्रतिनिधि चुनें. हम जेल नहीं जाना चाहते. हमें अपने प्रतिनधियों को चुनने की आज़ादी मिलनी चाहिए.”
अब तक प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे. प्रदर्शनकारी ऐसे पोस्टर लिए हुए दिखे जिनमें राष्ट्रपति को मज़ाक उड़ाया गया था, फिर न्याय की मांग की गई थी.
लेकिन रविवार की रात को काफी हंगामा हुआ. इसे पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय का सबसे बड़ा हंगामा बताया जा रहा है.
प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए सुरक्षा बलों को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. पुलिस ने पेपर-स्प्रे और रबड़ की गोलियों का भी इस्तेमाल किया.
कई प्रदर्शनकारी खुद को बचाने के लिए एन 95 मास्क और मुंह पर रूमाल बांधे दिखे.
इमामोअलू को क्यों गिरफ़्तार किया गया
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पर्यवेक्षक इमामोअलू की गिरफ़्तारी को प्रमुख विपक्षी दल सीएचपी के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं.
पार्टी के भीतर 23 मार्च को चुनाव होना था और उम्मीद की जा रही थी इसमें इमामोअलू को उनकी पार्टी की ओर राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा.
2028 के राष्ट्रपति चुनाव में वो अर्दोआन के ख़िलाफ़ लड़ेंगे. क्योंकि विपक्ष की ओर से वही एक उम्मीदवार थे.
रविवार की रात को डेढ़ करोड़ लोग इमामोअलू को प्रतीकात्मक तौर पर वोट देने के लिए लाइन में खड़े रहे.
इमामोअलू की गिरफ़्तारी के बाद भी लोग लाइन में लगे रहे.
क्या गिरफ़्तार होने के बावजू़द इमामोअलू राष्ट्रपति उम्मीदवार बन सकते हैं
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गिरफ़्तारी इमामोअलू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने से नहीं रोक सकती. लेकिन अगर उन पर कोई आरोप साबित हो जाता है तो वो राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
18 मार्च को इंस्ताबुल यूनिवर्सिटी ने उनकी डिग्री रद्द कर दी थी. अगर अदालत ने इंस्ताबुल यूनिवर्सिटी का ये फै़सला रद्द नहीं किया तो वो राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
तुर्की के संविधान के मुताबिक़ राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार की उच्च शिक्षा जरूरी है.
तुर्की की सर्वोच्च चुनाव परिषद ये फ़ैसला करेगी कि इमामोअलू राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं या नहीं.
अर्दोआन ने 2023 में तीसरी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था.
संविधान के मुताबिक़ वो 2028 के बाद राष्ट्रपति नहीं बन सकते. लेकिन उनके आलोचकों का कहना है कि वो एक और बार राष्ट्रपति बनने के लिए संविधान बदल सकते हैं.
अगला राष्ट्रपति चुनाव 2028 में निर्धारित है. लेकिन इससे पहले भी चुनाव हो सकता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.