इमेज कैप्शन, अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस की निदेशक तुलसी गबार्ड भारत के दौरे पर हैं और वह पीएम मोदी के लिए तुलसी की माला लेकर आई थीं
अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गबार्ड भारत में हैं.
सोमवार को तुलसी ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ कथित उत्पीड़न को लेकर चिंता जताई थी.
तुलसी गबर्ड ने कहा था कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे हिन्दू, बौद्ध, ईसाई और अन्य के साथ लंबे समय से दुर्भाग्यपूर्ण प्रताड़ना और उत्पीड़न ट्रंप प्रशासन के लिए चिंता के अहम विषय हैं.
बांग्लादेश ने तुलसी गबार्ड के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. बांग्लादेश में प्रोफ़ेसर मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने कहा कि तुलसी गबार्ड का आरोप साक्ष्यों पर आधारित नहीं है.
मोहम्मद युनूस के कार्यालय ने अपने बयान में कहा है, ”तुलसी गबार्ड ने पूरे देश को एक ही खांचे में डाल दिया. उनका बयान तथ्यों से परे है और बांग्लादेश की छवि को नुक़सान पहुँचाने वाला है. एक देश जो पारंपरिक रूप से इस्लाम का पालन करता है, जो समावेशी और शांतिपूर्ण समाज के लिए जाना जाता है, वो बांग्लादेश अतिवाद और आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में हमेशा से आगे रहा है.”
तुलसी गबार्ड ने इंटरव्यू में कहा था, ”बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, हत्या और इस्लामिक आतंकवादियों से ख़तरा यहाँ की इस विचारधारा में निहित है कि इस्लामिक तरीक़े से शासन होना चाहिए.”
तुलसी गबार्ड ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से हाल ही में इन मुद्दों पर बातचीत शुरू की है. तुलसी ने कहा कि ये बातचीत अभी शुरुआती दौर में है.
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इमेज कैप्शन, पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को उपहार में गंगाजल दिया है
बांग्लादेश की तीखी प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस के कार्यालय ने कहा कि बेबुनियाद तरीक़े से बांग्लादेश को इस्लामिक ख़िलाफ़त से जोड़ना उन बांग्लादेशियों का अपमान है तो शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कार्यालय ने कहा कि इस्लामिक ख़िलाफ़त से जोड़ने की किसी भी कोशिश की वो निंदा करते हैं.
मोहम्मद युनूस के कार्यालय ने कहा, ”नेताओं और अहम पदों पर बैठे लोगों को ख़ास कर संवेदनशील मुद्दों पर कोई बयान देते वक़्त सतर्क रहना चाहिए. हमें किसी भी तरह के स्टीरियोटाइप को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. ऐसे बयानों से सामुदायिक तनाव बढ़ता है.”
तुलसी गबार्ड भारत के तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को आई थीं. तुलसी ने इस्लामिक ख़िलाफ़त और वैश्विक आतंकवाद पर अपनी बात रखी थी.
बांग्लादेश ने कहा, ”कई देशों की तरह बांग्लादेश भी अतिवाद की चुनौती का सामना कर रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ हम इस पर मिलकर काम कर रहे हैं. इस लड़ाई में हम अमेरिका के भी साथ हैं.”
तुलसी गबार्ड के इस बयान पर बांग्लादेश में तीखी बहस हो रही है.
मोहम्मद युनूस के समर्थक इसकी निंदा कर रहे हैं तो पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेता इसका समर्थन कर रहे हैं.
अवामी लीग के नेता और सांसद मोहम्मद ए. अराफ़ात ने एक्स पर लिखा है, ”पिछले सात महीनों में युनूस ने न केवल शीर्ष के जिहादियों को जेल से बाहर किया है बल्कि उन सुरक्षाकर्मियों को प्रताड़ित किया है जो आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्ती बरत रहे थे. सरकार के इस रुख़ के कारण ही अतिवादी इस्लामिक समूहों को मौक़ा मिला है. ये बांग्लादेश में फिर से मज़बूती हासिल कर रहे हैं. हिज़बुत तहरीर ढाका में भर्ती रैलियों का आयोजन कर रहा है. ये सब सुरक्षा बलों की नाक के नीचे हो रहा है. युनूस के नेतृत्व में बांग्लादेश अतिवाद और तालिबानीकरण की ओर बढ़ रहा है.”
मोहम्मद युनूस के एक समर्थक मेजर दिलावर हुसैन (रिटायर्ड) ने तुलसी गबार्ड का इंटरव्यू शेयर करते हुए लिखा है, ”यह शर्मनाक है कि ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का निदेशक बनाया है. जब वह बांग्लादेश में हिन्दुओं को लेकर बयान देती हैं तो तथ्यों का भी ख़्याल नहीं रखती हैं. तुलसी हिन्दू हैं लेकिन यह भूल जाती हैं कि वह अमेरिका का प्रतिनिधित्व करती हैं.”
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इमेज कैप्शन, मोहम्मद युनूस ने सत्ता में आने के बाद जमात से प्रतिबंध हटा लिया था
ट्रंप ने भी उठाया था बांग्लादेश का मुद्दा
इससे पहले ट्रंप ने भी राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ कथित नाइंसाफ़ी का मुद्दा उठाया था. पीएम मोदी जब पिछले महीने व्हाइट हाउस में मेहमान बनकर गए थे, तब भी बांग्लादेश का मुद्दा उठा था.
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप मुलाक़ात के बाद मीडिया से मुख़ातिब हो रहे थे तभी पत्रकारों ने बांग्लादेश को लेकर सवाल पूछा था. ट्रंप से एक पत्रकार ने सवाल किया था कि वो बांग्लादेश के मुद्दे पर क्या कहना चाहेंगे और बांग्लादेश के हालात पर डीप स्टेट ने क्या भूमिका निभाई थी?
इस पर उन्होंने जवाब दिया था ‘हमारे डीप स्टेट की इसमें कोई भूमिका नहीं थी. इस पर प्रधानमंत्री (मोदी) काफ़ी लंबे समय से काम करते रहे हैं. मैं इसके बारे में पढ़ रहा हूँ लेकिन मैं बांग्लादेश को प्रधानमंत्री के लिए छोड़ता हूँ.’
यहां डीप स्टेट का मतलब है कि किसी वैसे प्रभाव से जो अनाधिकारिक रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं.
भारत के कई विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश में शेख़ हसीना की बेदख़ली और मोहम्मद युनूस के आने के पीछे बाइडन प्रशासन का हाथ था. भारत के पत्रकारों ने इसी डीप स्टेट का हवाला देते हुए सवाल पूछा था.
ट्रंप का जवाब साफ़ नहीं था. बांग्लादेश में इसका अलग अर्थ निकाला जा रहा था और भारत में अलग.
बांग्लादेश के लोगों का कहना था कि ट्रंप ने बांग्लादेश से जुड़ा सवाल पीएम मोदी के लिए छोड़ दिया जबकि भारत में कई लोगों ने अर्थ निकाला कि ट्रंप ने बांग्लादेश को भारत पर छोड़ दिया है कि जैसे हैंडल करना है करो.
बांग्लादेश में जब से शेख़ हसीना की सरकार गई है, तब से भारत के साथ संबंध सामान्य नहीं हो पाए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित