तेलंगाना की एक आईएएस अधिकारी की स्कूलों में छात्रों द्वारा टॉयलेट साफ करने की टिप्पणी पर विवाद हो गया है। विपक्षी बीआरएस ने अधिकारी को हटाने की मांग की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नोटिस जारी कर मामले पर रिपोर्ट मांगी है। आईएएस अधिकारी अलगू वर्सिनी ने सफाई दी कि यह जीवन कौशल के बारे में है। बीआरएस ने इस निर्देश की आलोचना की है।
पीटीआई, हैदराबाद। तेलंगाना की एक आइएएस अधिकारी ने छात्रों द्वारा अपने स्कूलों में टॉयलेट साफ करने के बारे में टिप्पणी करके एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्षी बीआरएस ने अधिकारी को हटाने की मांग की है, जबकि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति (एससी)आयोग ने नोटिस जारी कर मामले पर विस्तृत जानकारी मांगी है।
आयोग ने 31 मई को तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर संस्थानों में अनुसूचित जाति के छात्रों के खिलाफ आइएएस अधिकारी द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों के संबंध में 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, आइएएस अधिकारी वी एस अलगू वर्सिनी ने स्पष्ट किया कि यह जीवन कौशल के बारे में है, श्रम के बारे में नहीं।
BRS ने तीखी आलोचना
हाल ही में हुई एक समीक्षा बैठक में तेलंगाना सामाजिक कल्याण आवासीय शैक्षणिक संस्थान सोसायटी की सचिव आइएएस अधिकारी अलगू वर्सिनी द्वारा प्रधानाचार्यों को टायलेट, छात्रावास के कमरों की सफाई करने तथा भोजन पकाने में छात्रों को शामिल करने का निर्देश देने का एक आडियो क्लिप प्रसारित हो हुआ है, जिसकी बीआरएस ने तीखी आलोचना की है।
कर्मचारियों को मिले थे 40,000 रुपये
बीआरएस एमएलसी के कविता ने कहा है कि उनकी पार्टी के शासनकाल के दौरान प्रत्येक समाज कल्याण स्कूल को सफाई कार्यों के लिए चार अस्थायी कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए 40,000 रुपये प्रति माह मिले थे।
उन्होंने कहा कि इस साल मई से कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया है। बीआरएस नेता ने इस व्यवहार को भेदभावपूर्ण, शोषणकारी बताया और कहा कि यह बाल अधिकारों और सम्मान के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।