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तेल का खेल… अमेरिका और रूस की ‘लड़ाई’ में बढ़ी भारत की मुश्किलें, बैन से सता रहा महंगाई का डर – us sanctions russian oil companies and ships impact on india

Byadmin

Jan 14, 2025


नई दिल्ली: अमेरिका और रूस के बीच की ‘लड़ाई’ की तपिश भारत तक आ गई है। अमेरिका में नियमों का उल्लंघन मानते हुए पिछले हफ्ते रूस की दो तेल निर्यातक कंपनियों Gazprom Neft और Surgutneftegas पर बैन लगा दिया था। साथ ही रूस के तेल की सप्लाई करने वाले 183 जहाजों पर भी बैन लगा दिया है। इसका असर भारत पर भी दिखाई दे सकता है। वह इसलिए क्योंकि भारत रूस ने काफी मात्रा में तेल खरीद रहा है।
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अमेरिका ने क्यों लगाया बैन?

अमेरिका की जो बाइडन सरकार ने रूस की इन कंपनियों पर बैन लगाया है। दरअसल, साल 2022 में जी7 देशों ने रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस लिमिट लगाई थी। साथ ही यूक्रेन युद्ध के कारण रूस तेल को यूरोप से निकाल एशिया में बेचने लगा। रूस भारत और चीन का काफी मात्रा में तेल की सप्लाई कर रहा था।अमेरिका का आरोप है कि रूस तेल बेचकर जो कमाई कर रहा है, उसका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा रहा है। इस वजह से भी रूसी तेल कंपनियों पर बैन लगाया है। अमेरिका इस बैन के जरिए रूस की अर्थव्यवस्था को तोड़ना चाहता है।

क्या है रूस के पास विकल्प?

ऐसा नहीं है अमेरिका के इस बैन से रूस की अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी। जानकारों के मुताबिक रूस अपने बेड़े के उन जहाजों का इस्तेमाल कर सकता है जिन पर बैन नहीं लगा है। जानकारों की मानें तो रूस के इस बेड़े में करीब 600 टैंकर शामिल हैं। बैन के बाद से रूस के करीब 65 टैंकरों ने रूस और चीन समेत कई तटों पर लंगर डाल रखा है।
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भारत पर क्या पड़ेगा असर?

रूस भारत को रियायती दरों पर तेल मुहैया करा रहा था। हाल ही में रूसी कच्चे तेल पर छूट लगभग 3 डॉलर प्रति बैरल थी। अमेरिका की ओर से बैन लगाने के बाद भारतीय रिफाइनरियों ने इन प्रतिबंधित कंपनियों के साथ काम करना बंद कर दिया है। रूस अब भारत को तेल की सप्लाई नहीं कर पाएगा। ऐसे में भारत को अमेरिका समेत दूसरे देशों से महंगी दर पर तेल खरीदना होगा। ऐसे में रिफाइनिंग मार्जिन पर असर पड़ेगा।

हालांकि दो महीने तक अभी कोई परेशानी नहीं होगी। रॉयटर्स के मुताबिक भारत ने जिन रूसी तेल जहाजों को 10 जनवरी से पहले बुक किया है, वे बैन के दायरे में नहीं आएंगे। हालांकि इसमें शर्त है कि ये जहाज 12 मार्च तक भारत आ जाने चाहिए। भारत 10 जनवरी से पहले ही दो महीने तक के कोटे का तेल बुक करा चुका है।

क्या बढ़ेगी महंगाई?

भारत दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। रूस पर बैन के बाद भारत को दूसरे देशों से महंगी दर पर तेल खरीदना होगा। तेल का भुगतान अमेरिकी डॉलर में करना होता है। अभी डॉलर की कीमत 86 रुपये से ऊपर है।

वहीं अभी कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा है। सोमवार को मार्च डिलीवरी के लिए ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.82% बढ़कर 81.21 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी जो चार महीने का उच्चतम स्तर है। अगर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक 80 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा रहती है तो यह भारत के लिए अच्छी खबर नहीं होगी।

ऐसे में भारतीय तेल कंपनियां तेल (पेट्रोल, डीजल आदि) की कीमतों में इजाफा कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो कई चीजें महंगी हो सकती हैं। ऐसा होने पर देश में महंगाई और बढ़ जाएगी जिसका असर आम इंसान पर भी पड़ेगा।

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