संस्थानों की ओर से प्रस्तुत प्रेजेंटेशन में फोटो और नक्शों के जरिए यह बताया गया कि किस तरह से अस्पताल परिसर की जमीन पर अवैध निर्माण, झुग्गियां, मंदिर, मस्जिद, दुकानों और स्कूलों ने कब्जा जमा रखा है। बैठक के दौरान एलजी वी.के. सक्सेना ने राजधानी के सबसे बड़े मेडिकल कॉम्प्लेक्स की बदहाली पर हैरानी जताई। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि मौजूदा हालत दरअसल सालों से चली आ रही अनदेखी और अतिक्रमणकारियों को मिली शह का परिणाम है।
पीडब्ल्यूडी को दिया निर्देश
बैठक में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया गया कि वह तुरंत 4000 स्टूडेंट्स और डॉक्टरों के लिए हॉस्टल और बाकी बेसिक सुविधाओं की योजना तैयार कर उसकी लागत का आकलन पेश करें। दिल्ली पुलिस को परिसर में पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने और आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया। शराब तस्करी और नशे के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए तुरंत अभियान चलाने के आदेश भी जारी किए गए।

दिल्ली में इस तरह के कमरे में रहते हैं रेजिडेंट डॉक्टर्स
जमीन का सर्वे करने का आदेश
इसके अलावा सभी जमीन मालिक एजेंसियों और अस्पताल प्रशासन को अपनी-अपनी जमीन का सर्वे करने और अतिक्रमण की स्पष्ट पहचान करने को कहा गया है। धार्मिक ढांचे से जुड़े मामलों को धार्मिक समिति को भेजने की बात कही गई, वहीं एमसीडी और शिक्षा विभाग को परिसर में अवैध रूप से चल रहे स्कूलों को नोटिस देने के निर्देश दिए गए।
स्टूडेंट्स से सीधे होगी बात
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को भी निर्देश दिए गए कि वह अपने अधीन संरक्षित स्मारकों पर हो रहे अतिक्रमण को कानून के तहत सख्ती से हटाए। सभी संबंधित विभागों को कहा गया है कि वे अपनी कार्रवाई की तस्वीरों सहित नियमित रिपोर्ट उपराज्यपाल सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय को भेजें। बैठक में यह भी तय हुआ कि उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री खुद इस मेडिकल कॉम्प्लेक्स का दौरा करेंगे और स्टूडेंट्स और डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से सीधे बातचीत कर स्थिति का जायजा लेंगे।
कब्जे के चलते नहीं हुआ निर्माण
इस बैठक के दौरान मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि 1958 में स्थापित इस मेडिकल कॉम्प्लेक्स में केवल 200 स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल की व्यवस्था थी, जबकि मौजूदा संख्या 3,200 से ज्यादा है। ऐसे में दो स्टूडेंट्स के लिए बने कमरों में 6-7 स्टूडेंट्स को रहना पड़ रहा है। रेजिडेंट डॉक्टरों को गलियारों और नर्सिंग स्टेशनों के बाहर सोना पड़ रहा है। डीन ने बताया कि पीडब्ल्यूडी को हॉस्टल विस्तार की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन अतिक्रमण और लैंड माफिया के कब्जे के चलते कोई निर्माण नहीं हो पाया।
कॉम्प्लेक्स की इमारतें बेहद जर्जर
बैठक में बताया गया कि कॉम्प्लेक्स की इमारतें इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि प्लास्टर और कंक्रीट के टुकड़े गिरने से जान का खतरा बना हुआ है। परिसर में 25 एकड़ से ज्यादा जमीन पर चार अवैध झुग्गी क्लस्टर मौजूद हैं। कई सरकारी क्वॉर्टर सेवानिवृत्त कर्मचारी अवैध रूप से कब्जे में रखे हुए हैं और उन्हें किराए पर चढ़ा रखा है। इन अवैध कंस्ट्रक्शन के कारण अपराध भी बढ़े हैं। तीनों अस्पतालों के अधिकारियों ने बताया कि भारी अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। कई बार एंबुलेंस और आपातकालीन मरीज भी अंदर नहीं पहुंच पाते। अस्पताल ब्लॉकों के पास अतिक्रमण से साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब हो गई है।