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दिल्ली में किन-किन सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा, यहां मिलेगा विधानसभा चुनाव से जुड़े हर सवाल का जवाब

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Feb 8, 2025


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Delhi Election Result। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ रहे हैं। सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो पाएगी या भाजपा 27 साल का सूखा खत्म करेगी।

दिल्ली चुनाव से जुड़ी कुछ ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब जानना बेहद जरूरी है। वहीं, चुनाव से जुड़े कुछ ऐसे सवाल भी हैं जो अक्सर पूछे जाते हैं।

सवाल- दिल्ली में किन पार्टियों के बीच सीधी टक्कर है?

पिछले 10 सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को शिकस्त देने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया है। साल 2013 में दिल्ली चुनाव में आप ने कांग्रेस का समर्थन लेकर सरकार बनाया। हालांकि, यह गठबंधन सरकार महज 49 दिनों तक ही चल सकी।

इसके बाद साल 2015 में विधानसभा चुनाव हुए और आप ने जबरदस्त जीत हासिल की। इसके बाद साल 2020 में आप ने बाजी मार ली। इस बार यानी साल 2025 के विधानसभा चुनाव में आप के बीच जीत का चौका लगाने का मौका है। वहीं, भाजपा की कोशिश है दिल्ली में पिछले 27 साल के सूखे को खत्म किया जाए। बता दें कि पिछले 10 साल से कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में शून्य पर सिमटी है।

सवाल- नई दिल्ली और कालकाजी सीट की क्यों हो रही चर्चा ?

नई दिल्ली विधानसभा सीट पर खुद अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ा। वहीं बीजेपी की ओर से पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित चुनावी मैदान में उतरे।

कालकाजी विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री आतिशी चुनाव लड़ा बै। वहीं, भाजपा की ओर से रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की ओर से अलका लांबा ने चुनाव लड़ा है।

सवाल- कैसे होगी वोटों की गिनती?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए वोटों की गिनती होगी। बता दें कि विपक्षी नेता कई बार ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर चुके हैं।ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन वोट रिकॉर्ड करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है। इसमें दो यूनिट होती हैं, एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट।
2010 से चुनाव आयोग ने VVPAT या वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल नामक एक तीसरी इकाई को वोटिंग प्रक्रिया में जोड़ा है। इस मशीन के जरिए एक पेपर रसीद प्रिंट होती है, जिससे मतदाता को यह पता चलता है कि उसने किसे वोट किया है।

सवाल- NOTA क्या है?

NOTA या “इनमें से कोई नहीं” ईवीएम पर एक मतदान विकल्प है जो मतदाताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र के हर उम्मीदवार को अस्वीकार करने की अनुमति देता है। इसे अक्टूबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पेश किया गया था।
चुनाव आयोग के अनुसार, यदि नोटा चुनने वाले मतदाताओं की संख्या किसी भी उम्मीदवार को मिले मतों की संख्या से अधिक हो, तो भी सबसे अधिक मत पाने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाना चाहिए।

चुनाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल 

सवाल- क्या वोटर आधार कार्ड से कर सकते हैं वोटिंग?

हां, यदि आपका नाम मतदाता सूची में है, तो आप मतदान केंद्र पर जाकर पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड के साथ अपना वोट डाल सकते हैं।

सवाल- डाक मतपत्र के जरिए कौन कर सकता है मतदान?

केवल वही व्यक्ति डाक मतपत्र के जरिए मतदान कर सकता है जो सेना, और सरकारी अधिकारी हों या वो अपने राज्य से बाहर चुनावी ड्यूटी पर तैनात हों।

सवाल- क्या उन नागरिकों को भी वोट देने के अधिकार हैं जो देश के बाहर हैं?

हां, उन लोगों नागरिकों को भी वोट देने का अधिकार है, जो देश के बाहर रहते हों। बशर्ते कि उन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त न कर ली हो। वो नागरिक भारत में अपने निवास स्थान पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए पात्र हों।

पहली बार EVM का कब हुआ इस्तेमाल?

ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल 1982 में केरल की परूर विधानसभा सीट के उपचुनाव में 50 मतदान केंद्रों पर किया गया था।ईवीएम का पहला बड़े पैमाने पर इस्तेमाल 1998 में हुआ था जब इसका इस्तेमाल मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों पर किया गया था। 2004 का लोकसभा चुनाव पहला संसदीय चुनाव था जो पूरी तरह से ईवीएम पर आयोजित किया गया था।
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