पानी की किल्लत दूर करने का प्लान
दिल्ली जल बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से जल मंत्री और सीएम दिल्ली में पानी की समस्या दूर करने के लिए लगातार अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे हैं। समस्या के समाधान के लिए कई बार मीटिंग हो चुकी है और दिल्ली के जल मंत्री ने जल बोर्ड अफसरों को समस्या के समाधान के लिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दो तरह के प्लान बनाने के लिए कहा है। लॉन्ग टर्म के प्लान में बड़-बड़े प्रोजेक्ट होंगे, जिस पर काम होने पर करीब 3-4 साल का वक्त लगेगा। शॉर्ट टर्म के प्लान में 100 दिनों का प्लान, 6 महीने का प्लान और एक साल के प्लान शामिल होंगे।
80-80 एमजीडी कैपिसिटी के तीन प्लांट
लॉन्ग टर्म के प्लान में जल बोर्ड ने साउथ-वेस्ट दिल्ली के नजफगढ़, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के बवाना और साउथ दिल्ली एक जगह तीन नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने का प्लान बनाया है। प्रत्येक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की कैपसिटी 80-80 एमजीडी की होगी। जल बोर्ड अफसरों का कहना है कि 2032 तक तीनों प्लांट को कमिशन करने का टारगेट रखा गया है। अगर 240 एमजीडी पानी दिल्ली को मिल जाता है, तो मुश्किल से 70-80 एमजीडी की कमी रहेगी, जिसे आंतरिक स्रोतों से भी पूरा किया जा सकता है। इस तरह से सप्लाई और डिमांड में गैप भी काफी कम हो जाएगा।
हिमाचल प्रदेश से आएगा पानी
सूत्रों के अनुसार, इन तीनों नए ट्रीटमेंट प्लांट में हिमाचल प्रदेश से पानी आएगा। जल बोर्ड ने हिमाचल प्रदेश से दिसंबर, 2019 में पानी के लिए एग्रीमेंट किया था। एग्रीमेंट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश को दिल्ली के लिए दो सीजन में अलग-अलग मात्रा में पानी देना है। नवंबर से फरवरी तक हिमाचल प्रदेश को 368 क्यूसेक और मार्च से जून तक 268 क्यूसेक पानी दिल्ली को उपलब्ध कराने के लिए करार किया गया है।
करार के मुताबिक, दिल्ली में पानी स्टोरेज कैपसिटी बढ़ाने के बाद हिमाचल प्रदेश को पानी की मात्रा बढ़ाकर 421 क्यूसेक करना होगा। करार में पानी के बादले जल बोर्ड हिमाचल प्रदेश को 32 रुपये/ क्यूबिक फीट के हिसाब से भुगतान करेगा। यानी हर साल जल बोर्ड हिमाचल प्रदेश को पानी के लिए 4 करोड़ रुपये भुगतान करेगा। यह भुगतान 25 सालों तक दिल्ली को करना है।
दिल्ली के कोटे का पूरा पानी
हिमाचल प्रदेश पानी ताजेवाला (हथिनी कुंड बैराज) तक पानी छोड़ेगा। यहां से पानी मुनक नहर होते हुए दिल्ली आएगा। जल बोर्ड अफसरों का कहना है वर्तमान में इस एग्रीमेंट की स्थिति यह है कि हिमाचल प्रदेश से तो पानी आता है, लेकिन पंजाब में इस पानी को रोक दिया जाता है। जिससे आगे यह पानी ताजेवाले तक पहुंच ही नहीं पाता।
जल बोर्ड अफसरों के अनुसार, नई सरकार बनने के बाद करार के मुताबिक हिमाचल प्रदेश से दिल्ली को जितना पानी मिलना है, उसे दिल्ली लाने की कवायदें तेज कर दी गई है। दोनों सरकारों के बीच इस मुद्दे पर लगातार बातचीत भी चल रही है। अपर गंगा रिवर बोर्ड को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा गया है, ताकि दिल्ली के कोटे का पूरा पानी मिल सके।