दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए बने क़ानूनों को लेकर केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों पर तीखी टिप्पणी की है और कहा है कि ये किसी काम के नहीं हैं.
कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है और नागरिकों के अधिकार की रक्षा करना केंद्र और राज्य सरकारों का कर्तव्य है.
दिल्ली में ठंड के महीनों में अक्सर प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है.
इसके लिए किसानों के पराली जलाने, हवा की गति का कम होना, गाड़ियों के धुएँ से लेकर दिवाली में आतिशबाज़ी जैसे कारणों को ज़िम्मेदार बताया जाता रहा है.
तो प्रदूषण के लिए कितने ज़िम्मेदार होते हैं ये कारण?
हवा की गुणवत्ता कितनी ख़राब?
दिल्ली में इन दिनों पीएम 2.5 की सघनता का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों से बहुत ऊपर हैं. पीएम 2.5 प्रदूषण में शामिल वो सूक्ष्म संघटक है जिसे मानव शरीर के लिए सबसे ख़तरनाक माना जाता है.
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 30 सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर भारत में हैं जहां पीएम 2.5 की सालाना सघनता सबसे ज़्यादा है.
प्रदूषण की ये हैं मुख्य वजहें
साल के इन दिनों में दिल्ली समेत उत्तरी भारत के कई बड़े शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ता है और ऐसा दिवाली के पटाख़ों के साथ-साथ कई अन्य कारणों से भी होता है.
इनमें शामिल हैं:
पंजाब और हरियाणा के किसानों का पराली जलाना
बड़े और भारी वाहनों से होने वाला उत्सर्जन
दिल्ली एनसीआर में चल रहा भारी निर्माण कार्य
और मौसम में बदलाव जो वायु में प्रदूषण के कणों को फंसा लेता है
कुछ लोग वायु प्रदूषण के पीछे गाड़ियों के प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो कुछ लोग सड़कों से लेकर भवन निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल को जिम्मेदार बताते हैं.
सर्दियों में हवा की रफ्तार कम होना और घनत्व अधिक होना भी हवा की गुणवत्ता ख़राब होने की अहम वजह है.
गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व, निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाली धूल, पटाखों से निकलने वाले प्रदूषकों से भी हवा को स्थिर होने में मदद मिलती है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की हवा और भी दमघोंटू हो जाती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित