दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर पांच फरवरी को मतदान होना है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 699 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी हुई है. इनमें 96 महिला उम्मीदवार भी हैं जो अपनी किस्मत आज़मा रही हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री आतिशी आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्य महिला चेहरा हैं.
वहीं कांग्रेस ने अलका लांबा को आतिशी के ख़िलाफ़ मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी की ओर से शिखा राय सौरभ भारद्वाज के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रही हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सितंबर 2024 में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद आतिशी दिल्ली की सीएम बनीं.
हालांकि सीएम बनने से पहले भी आतिशी दिल्ली में आम आदमी पार्टी का मुख्य चेहरा रही हैं. वो शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ी रही हैं.
आम आदमी पार्टी अपने जिस एजुकेशन मॉडल को चुनाव प्रचार में बड़ा मुद्दा बनाती है उसका श्रेय मनीष सिसोदिया के साथ-साथ आतिशी को भी दिया जाता रहा है.
आतिशी को 2013 और 2015 में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला था.
2019 के लोकसभा चुनाव के ज़रिए आतिशी ने चुनावी राजनीति में कदम रखा. वो पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार थीं. बीजेपी नेता गौतम गंभीर ने आतिशी को 4.77 लाख वोटों के अंतर से मात दी. इस चुनाव में आतिशी तीसरे नंबर पर रहीं.
2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कालकाजी सीट से आतिशी को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने क़रीब 11 हज़ार वोटों के अंतर से बीजेपी उम्मीदवार धर्मबीर सिंह को मात दी.
कथित शराब घोटाले में सतेंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद मार्च 2023 में आतिशी को दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला और इसके क़रीब एक साल पांच महीने बाद, सितंबर 2024 में वो दिल्ली की सीएम बनीं.
एक बार फिर से आतिशी दिल्ली की कालकाजी सीट से चुनाव लड़ रही हैं. कांग्रेस ने उन्हें चुनौती देने के लिए अलका लांबा को उनके ख़िलाफ़ उतारा है. वहीं बीजेपी ने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को कालकाजी सीट से टिकट दिया है.
अलका लांबा ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. कांग्रेस ने उन्हें सीएम आतिशी के ख़िलाफ़ कालकाजी सीट से उम्मीदवार बनाया है.
अलका लांबा का राजनीतिक करियर क़रीब 30 साल लंबा रहा है. वो 1995 में दिल्ली यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष चुनी गई थीं. इसके बाद 1997 में अलका लांबा एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं.
2003 में अलका लांबा ने दिल्ली की मोती नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2014 में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़कर आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली. इसके एक साल बाद, 2015 में विधानसभा चुनाव में अलका लांबा ने चांदनी चौक से बीजेपी उम्मीदवार सुमन कुमार गुप्ता को क़रीब 18 हज़ार वोट से मात दी.
लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में वापसी की. उन्होंने 2020 में चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें महज़ 5 फीसदी वोट मिले.
बीजेपी ने 2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव में नौ महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इनमें से बीजेपी का मुख्य महिला चेहरा शिखा राय हैं.
शिखा राय पेशे से वकील हैं. उन्हें ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज के ख़िलाफ़ उतारा गया है.
वो ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट की वार्ड संख्या 173 से दूसरी बार की पार्षद हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने ग्रेटर कैलाश सीट से सौरभ भारद्वाज के ख़िलाफ़ शिखा राय को टिकट दिया था. हालांकि शिखा राय को क़रीब 17 हज़ार वोट से हार का सामना करना पड़ा था.
2023 में बीजेपी ने एमसीडी मेयर इलेक्शन के लिए शिखा राय को उम्मीदवार बनाया. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
शिखा राय बीजेपी की दिल्ली यूनिट में महामंत्री के पद पर रही हैं. 2013 में शिखा राय को कस्तूरबा नगर विधानसभा सीट से भी टिकट दिया गया था.
राखी बिड़लान 2011 में हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के वक्त से ही अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़ी रही हैं. 2013 में राखी बिड़लान ने मंगोलपुरी विधानसभा सीट से कांग्रेस नेता राज कुमार चौहान को मात दी थी.
राखी बिड़लान को आम आदमी पार्टी की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था.
हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की सीट से टिकट दिया गया था. चुनाव में उन्हें बीजेपी के उदित राज ने हराया था.
राखी बिड़लान 2015 में एक बार फिर से मंगोलपुरी से विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. 2016 में उन्हें दिल्ली विधानसभा में डिप्टी स्पीकर चुना गया.
2020 में राखी बिड़लान तीसरी बार मंगोलपुरी विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं. उन्होंने क़रीब 30 हज़ार वोट के अंतर से बीजेपी उम्मीदवार करम सिंह को मात दी. राखी बिड़लान अब चौथी बार मंगोलपुरी सीट से चुनावी मैदान में हैं.
कांग्रेस ने ओखला विधानसभा सीट से 31 साल की अरीबा ख़ान को उम्मीदवार बनाया है.
अरीबा कांग्रेस नेता आसिफ़ मोहम्मद ख़ान की बेटी हैं. आसिफ दो बार ओखला विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं.
2023 में अरीबा पहली बार पार्षद चुनी गईं. अब वह आम आदमी पार्टी नेता और मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह ख़ान को चुनौती दे रही हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित