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दुनिया देखेगी नए भारत की शक्ति; अमेरिका के लिए 6,500 किलो का विशाल सैटेलाइट लॉन्च करेगा इसरो

Byadmin

Aug 10, 2025


इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही अमेरिका के 6500 किलोग्राम के संचार उपग्रह को लॉन्च करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 50 साल पहले जिस देश के पास उपग्रह तकनीक नहीं थी उसने अब तक 34 देशों के 433 उपग्रहों को लॉन्च किया है। अमेरिका से मिले छोटे रॉकेट से भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी थी।

पीटीआई, चेन्नई। अमेरिका से मिले छोटे रॉकेट से अपना अंतरिक्ष सफर शुरू करने वाला भारत कुछ महीने में अमेरिका के ही 6,500 किलोग्राम के संचार उपग्रह को लांच करेगा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने रविवार को दीक्षा समारोह में यह घोषणा की।

चेन्नई के निकट कट्टनकुलथुर में एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के 21वें दीक्षा समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख को महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी. राधाकृष्णन ने डाक्टर आफ साइंस की मानद डिग्री दी गई।

‘इसरो ने 50 वर्षों में हासिल की बड़ी उपलब्धि’

नारायणन ने कहा,”अगले कुछ महीनों में, एक ऐसा देश, जिसे अमेरिका से छोटा रॉकेट मिला था, वह अपने रॉकेट से करके भारत से अमेरिका द्वारा निर्मित 6,500 किलोग्राम का संचार उपग्रह लॉंच करने जा रहा है। यह कितनी महत्वपूर्ण प्रगति है। 50 वर्ष पहले जिस देश के पास उपग्रह प्रौद्योगिकी नहीं थी, वही इसरो ने आज तक अपने रॉकेटों से 34 देशों के 433 उपग्रहों को लॉंच किया है।”

ऐतिहासिक नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) मिशन के बाद यह मिशन भारत और अमेरिका के अंतरिक्ष सहयोग को नई ऊंचाई देगा। निसार को इसरो के जीएसएलवी- एफ 16 राकेट से जुलाई में लांच किया गया था।

अमेरिका के छोटे रॉकेट से रखी गई थी अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव

इसरो के स्वर्णिम इतिहास को याद करते हुए नारायणन ने कहा कि इसरो की स्थापना 1963 में हुई थी। उस समय देश तकनीकी रूप से विकसित देशों से छह-सात साल पीछे था। उसी साल अमेरिका ने भारत को छोटा रॉकेट किया, जिससे अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी गई। 1975 में, अमेरिका द्वारा दिए गए सेटेलाइट डाटा के माध्यम से इसरो ने छह राज्यों के 2,400 गांवों में 2,400 टेलीविजन सेट रखकर ‘जन संचार’ का प्रदर्शन किया।

नारायणन ने कहा, एक तरह की साधारण शुरुआत के बाद 30 जुलाई भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक दिन था, जब हमने निसार को लांच किया। यह दुनिया का अब तक का सबसे महंगा उपग्रह है। इसमें अमेरिका का एल-बैंड एसएआर पेलोड और भारत का एस-बैंड पेलोड लगा है। निसार को भारतीय राकेट जीएसएलवी ने सटीक रूप से कक्षा में स्थापित किया। आज, हम उन्नत देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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