विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि टैरिफ अस्थिरता के कारण व्यापार के समीकरण बदल रहे हैं और एंटी-ग्लोबलाइजेशन भावना बढ़ रही है। उन्होंने वैश्विक भू-राजनीति में बदलावों का उल्लेख करते हुए अमेरिका की व्यापार नीति की आलोचना की। जयशंकर ने कहा कि एक-तिहाई वैश्विक विनिर्माण एक ही देश में केंद्रित होने से सप्लाई चेन पर खतरा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया में टैरिफ अस्थिरता के कारण व्यापार के पुराने समीकरण उलट रहे हैं। उन्होंने कहा कि एंटी-ग्लोबलाइजेशन भावना तेजी से बढ़ रही है और यह विश्व अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।
जयशंकर सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के अरावली समिट में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक भू-राजनीति (Geopolitics) में गहरे बदलाव आ रहे हैं और इनका असर आर्थिक व रणनीतिक नीतियों पर पड़ रहा है।
जयशंकर का अमेरिका पर निशाना
जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका की व्यापार नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा, “आज व्यापार की गणनाएं शुल्क अस्थिरता से पलट रही है।” उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ को दोगुना कर 50% तक बढ़ा दिया है। अमेरिका ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है।
जयशंकर ने कहा कि अब एक-तिहाई वैश्विक विनिर्माण एक ही देश में केंद्रित हो गया है, जिससे सप्लाई चेन पर खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक ऊर्जा व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव आया है। विदेश मंत्री ने कहा, “अब अमेरिका बड़ा फोसिल फ्यूल एक्सपोर्टर बन गया है, जबकि चीन नवीकरणनीय ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बन चुका है।”
जयशंकर ने किसे किया आगाह
उन्होंने बताया कि बिग टेक कंपनियां, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा नियंत्रण के मॉडल अब नई वैश्विक प्रतिस्पर्धा के केंद्र बन गए हैं। इसके साथ ही, प्रतिबंधों, संपत्तियों की जब्ती और क्रिप्टो करेंसी जैसे नए तत्वों ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया है।
एस जयशंकर ने आगाह किया कि तकनीकी घुसपैठ और हेरफर से राष्ट्रीय संप्रभुता भी खतरे में पड़ रही है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हर चीज का हथियारकरण हो चुका है। देश अपने-अपने हितों की रक्षा में जुटे हैं, लेकिन भारत को ऐसे माहौल में रणनीतिक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा।