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देश के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में सुधार, लेकिन आठ लाख से अधिक पद अब भी खाली

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Oct 25, 2024


शिक्षा मंत्रालय वैसे भी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विगत कई वर्षों से राज्यों पर लगातार दबाव बनाए हुए है। इसका असर यह रहा है कि कई राज्यों में पहले से स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन अभी भी बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश झारखंड गुजरात बंगाल छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ऐसे हैं जहां शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देशभर के स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार नई पाठ्य पुस्तकों को पढ़ाने की तैयारी के बीच शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से शिक्षकों के खाली पदों को जल्द भरने के लिए कहा है।

मंत्रालय ने राज्यों से यह आग्रह उस समय किया है, जब देश में पहले के मुकाबले स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी आठ लाख से अधिक पद खाली हैं। इनमें सबसे अधिक पद प्राइमरी स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के हैं। जिनकी संख्या करीब सात लाख है।

शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को इन्हें जल्द भरने के दिए निर्देश

शिक्षा मंत्रालय वैसे भी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विगत कई वर्षों से राज्यों पर लगातार दबाव बनाए हुए है। इसका असर यह रहा है कि कई राज्यों में पहले से स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन, अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ऐसे हैं, जहां शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं।

प्राइमरी स्तर पर सबसे अधिक सात लाख पद रिक्त

मंत्रालय ने राज्यों को शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए लिखी चिट्ठी में राज्यों से प्रत्येक स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात को भी ठीक रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय का कहना है कि इससे स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर हो सकेगा। साथ ही राज्य के प्रदर्शन में भी सुधार दिखेगा।

स्कूलों में शिक्षकों की स्थिति में सुधार

प्राइमरी स्तर पर

वर्ष                खाली पद

2021-22—- 10.37 लाख2022-23—- 8.92 लाख2023-24—— 7.22 लाखसेकेंडरी स्तर पर2021-22—— 1.29लाख2022-23—- 1.32 लाख2023-24 ——- 1.24 लाख

किस राज्य में शिक्षकों के कितने पद खाली

प्राइमरी स्तर परराज्य—— खाली पद ( लाख में)बिहार—-                        1.92उत्तर प्रदेश—–                1.42
मध्य प्रदेश—–                 52 हजारझारखंड—–                     75 हजारछत्तीसगढ़—–                 38 हजार-सेकेंडरी स्तर पर—–बिहार—                          32 हजारउत्तर प्रदेश—                   7 हजारमध्य प्रदेश—–                 15 हजारझारखंड——                   पांच हजार

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