एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य है बशर्ते नियमों का सही अनुपालन और धन का उचित उपयोग हो। एफसीआरए को यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था कि विदेशी धन का उपयोग उचित और पारदर्शी रूप से किया जाता है और भारत की संप्रभुता अखंडता या आंतरिक सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचता है। महाराष्ट्र लिस्ट में टॉप पर है।
एएनआई, नई दिल्ली। देश भर के कुल 160 संस्थाओं को 2025 में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इससे उन्हें अब कानूनी रूप से विदेशी धन प्राप्त करने की अनुमति मिल गई है। एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों में दिल्ली का श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) भी शामिल है।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत आवेदनों की जांच करने के बाद ये प्रमाण पत्र जारी किए हैं। एफसीआरए एक भारतीय कानून है जो व्यक्तियों, कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों एवं अन्य संगठनों द्वारा विदेशी धन की स्वीकृति और उपयोग को नियंत्रित करता है।
एफसीआरए सर्टिफिकेट पाने में महाराष्ट्र आगे
एफसीआरए को यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था कि विदेशी धन का उपयोग उचित और पारदर्शी रूप से किया जाता है, और भारत की संप्रभुता, अखंडता या आंतरिक सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचता है। बहरहाल, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों राज्यों की सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है।
एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य
- इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में प्रत्येक में पांच-पांच संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। दिल्ली आधारित 13 संस्थाओं के अलावा जिन अन्य 147 संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है, उनका संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े क्षेत्रों से है।
- एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले एसआरसीसी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान उनके बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोगों और शैक्षणिक अनुसंधान, बुनियादी ढांचे के विकास और छात्रवृत्ति के लिए विदेशी धन को आकर्षित करने के प्रयासों को दर्शाते हैं। एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य है, बशर्ते नियमों का सही अनुपालन और धन का उचित उपयोग हो।
- संस्थाओं को पारदर्शिता बनाए रखना होता है और इनसे जुड़े अधिकारियों को अपनी वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक कल्याण और अन्य क्षेत्रों में भारतीय संस्थानों और गैर-लाभकारी संस्थाओं की पहल का समर्थन करने के लिए वैश्विक भागीदारी पर उनकी निरंतर निर्भरता पर प्रकाश डालती है।
यह भी पढ़ें: FCRA के नाम पर धोखाधड़ी के ईमेल और दस्तावेजों से सावधान रहें, गृह मंत्रालय ने जारी की सलाह
देश-दुनिया की हर ताज़ा खबर और सटीक जानकारी, हर पल आपके मोबाइल पर! अभी डाउनलोड करें- जागरण ऐप