बुधवार को लोकसभा में विभिन्न मंत्रालयों से जुड़े मंत्रियों ने अलग-अलग विषयों से जुड़े प्रश्न पर सदन में लिखित उत्तर दिए। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि देश में वक्फ बोर्ड की 58929 संपत्तियों पर अतिक्रमण है। संचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने कहा कि देश की चार बड़ी टेलीकाम कंपनियों पर कुल ऋण 409905 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
पीटीआई, नई दिल्ली। देश में वक्फ बोर्ड की 58,929 संपत्तियों पर अतिक्रमण है और इनमें से 869 संपत्तियां कर्नाटक में हैं। यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में भाजपा सदस्य बसवराज बोम्मई के सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने दी। रिजिजू ने कहा कि मंत्रालय और केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी) को समय-समय पर वक्फ संपत्तियों से जुड़े कई मामलों की शिकायतें मिलती रही हैं। इन शिकायतों को उचित कार्रवाई के लिए राज्य वक्फ बोर्ड और सरकारों को भेजा जा चुका है।
देश की 58929 वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण
रिजिजू ने कहा कि भारत वक्फ संपत्ति प्रबंधन प्रणाली पर मौजूद जानकारी के अनुसार 58,929 वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है और कर्नाटक में इनकी संख्या 869 है। वक्फ अधिनियम के अनुसार, राज्य वक्फ बोर्ड के सीईओ के पास इन संपत्तियों पर अवैध व्यवसाय और अतिक्रमण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की शक्ति होती है। इसकी धारा 51 (1-ए) वक्फ संपत्ति की बिक्री, उपहार, विनिमय, गिरवी या ट्रांसफर को कभी कानूनी प्रभाव ना पड़ने वाली कार्रवाई बताती है। इस अधिनियम की धारा 56 के अंतर्गत केंद्र सरकार के 2014 में बनाए नियम राज्य वक्फ बोर्ड को इन संपत्तियों को किराये पर देने के लिए सक्षम बनाते हैं।
टेलीकाम कंपनियों पर चार लाख करोड़ से ज्यादा ऋण
केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर द्वारा लोकसभा में दिए गए। एक लिखित जवाब के अनुसार देश की चार बड़ी टेलीकाम कंपनियों पर कुल ऋण 4,09,905 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसमें सरकार के स्वामित्व वाली बीएसएनएल पर 23,297 करोड़ रुपये की सबसे कम देनदारी है। जबकि वोडाफोन की सर्वाधिक (2.07 लाख करोड़ रुपये) देनदारी है। इसके बाद भारती एयरटेल को 1.25 लाख करोड़ रुपये और जियो इंफोकाम को 52,740 करोड़ रुपये चुकाने हैं। यह आंकड़े 31 मार्च 2024 तक के हैं।
रेल दुर्घटनाओं में 313 करोड़ रुपये का नुकसान
लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2024 तक ट्रेन हादसों के परिणामस्वरूप 313 करोड़ रुपये की रेलवे संपत्ति के नुकसान का आंकलन किया गया है। इस अवधि में ई-टिकट पर वैकल्पिक बीमा चुनने वाले 22 पीडि़तों के दावे पंजीकृत किए गए हैं। हालांकि, मौत को लेकर बीमा का कोई दावा प्राप्त नहीं हुआ है। पीड़ितों ने सीधे बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर अपने नामित की जानकारी भरी और उनसे दावे की रकम ले ली है। वहीं, इस अवधि में पिछले पांच वर्षों की 135 ट्रेन दुर्घटनाओं की तुलना में 40 हादसे हुए हैं।
हाईस्पीड ट्रेन बना रही आईसीएफ
वैष्णव ने बताया कि बीईएमएल के साथ मिलकर इंटिग्रल कोच फैक्ट्री हाईस्पीड ट्रेनों की डिजाइन और निर्माण कर रही है। इनकी रफ्तार 280 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होगी। वंदे भारत ट्रेनों की सफलता के बाद इन तेज रफ्तार ट्रेनों को मेक इन इंडिया पहल के तहत निर्मित किया जा रहा है। इनकी प्रति कार की कीमत करीब 28 करोड़ रुपये (बिना कर) है, जो अन्य ट्रेनों की तुलना में काफी चुनौतीपूर्ण दाम हैं। इनकी डिजाइनिंग और निर्माण में काफी कठिन और उन्नत तकनीकी का काम होता है, जिनमें एयरोडायनेमिक, एयरटाइट बाडी के साथ इनके इलेक्ट्रिकल्स, वजन, गर्मी, हवा की आवाजाही और वातानुकूलन जैसी कई महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रखना पड़ता है।
2030 तक 777 गीगावाट बिजली उत्पादन
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येस्सो नाइक ने एक लिखित उत्तर में बताया कि वर्ष 2030 तक भारत की प्रस्तावित ऊर्जा मांग करीब 335 गीगावाट होगी। इसकी पूर्ति के लिए देश के पास 777 गीगावाट की ऊर्जा उत्पादन क्षमता होने की संभावना है। इसमें 500 गीगावाट बिजली स्वच्छ स्त्रोतों से जबकि 277 गीगावाट जीवाश्म ईंधन आधारित स्त्रोतों से प्राप्त किए जाने की योजना है। स्वच्छ स्त्रोतों में अन्य के अलावा 292 गीगावाट सौर ऊर्जा से, 53.86 गीगावाट जल से और 99 गीगावाट हवा से शामिल है।
देश में 33 सुपर कंप्यूटर लगाए गए
केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि भारत में 21 नवंबर 2024 तक 32 पेटाफ्लाप्स की संयुक्त कंप्यूटिंग क्षमता वाले 33 सुपर कंप्यूटर लगाए जा चुके हैं। इन्हें कई अकादमिक संस्थानों, शोध संगठनों और शोध एवं विकास प्रयोगशालाओं में लगाया गया है, जिनमें आईआईटी, आईआईएस, सीडैक अन्य केंद्र शामिल हैं। राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन के तहत लगाए गए इन सुपर कंप्यूटरों से देश के पास स्वदेश में ही सुपर कंप्यूटिंग तकनीक को डिजाइन, विकसित और निर्मित करने की क्षमता आ गई है, जो इसके निर्यात पर निर्भरता को कम करेगी।