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मंगलवार को क़तर की राजधानी दोहा में हमास के वार्ताकार टीम को निशाना बनाकर किए गए इसराइली हमले पर कई इस्लामी देशों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
हमास ने कहा है कि उसकी वार्ता टीम की हत्या करने की नाकाम कोशिश की गई. हालांकि ग्रुप ने कहा है कि इस हमले में उसके छह सदस्यों की मौत हुई है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को लेकर अपने प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर ‘नाख़ुशी‘ ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि इस हमले से अमेरिका और इसराइल दोनों के ही लक्ष्य पूरे नहीं होते हैं.
वहीं, इसराइल ने भी यह कहा कि अमेरिका और क़तर को हमले से पहले ही सूचना दे दी गई थी.
क़तर के विदेश मंत्रालय ने इसराइली हमले को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का गंभीर उल्लंघन करार देते हुए इसे ‘कायराना कार्रवाई’ बताया.
क़तर के प्रधानमंत्री ने एक बयान जारी कर कहा, “क़तर के पास इसराइली हमले का जवाब देने का पूरा अधिकार है और अपनी सुरक्षा व क्षेत्रीय स्थिरता को ख़तरे में डालने वाली किसी भी लापरवाह कार्रवाई या आक्रामकता के ख़िलाफ़ वह कड़े कदम उठाएगा.”
जबकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे ‘क्षेत्रीय संप्रभुता का घोर उल्लंघन’ कहा है.
क़तर के अधिकारियों ने कहा कि क़तरी सरकार ने क़ानून के विशेषज्ञों की एक टीम को ये काम सौंपा है कि वह इसराइली पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराए.
अरब देशों की सरकारों की ओर से तीख़ी प्रतिक्रिया आई है और इन देशों की मीडिया में कहा जा रहा है कि इस हमले ने एक ‘नई हद’ पार कर दी है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में हमले के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को ज़िम्मेदार ठहराया है. हालांकि ट्रंप ने कहा कि उन्हें हमले की जानकारी दी गई थी और उनके विशेष दूत ने इस बारे में क़तर को बताया था लेकिन तब तक ‘बहुत देर’ हो चुकी थी.
उधर, संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के राजदूत ने कहा कि इसराइल हमेशा अमेरिका के हित के अनुसार कार्रवाई नहीं करता है.
अरब देशों ने उठाई इसराइल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग
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इस हमले के ख़िलाफ़ पहली प्रतिक्रिया ईरान की आई जो कि खुद भी ऐसे हमले का सामना कर चुका है. पिछले साल हमास के राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हनिया की इसराइल ने तेहरान में हत्या कर दी थी.
ताज़ा घटनाक्रम में ईरान ने ‘इसे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक गंभीर चेतावनी’ बताया है.
जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इसे “ख़तरनाक और अस्वीकार्य उकसावे वाली कार्रवाई” करार दिया है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर जारी बयान में चेतावनी दी कि अंतरराष्ट्रीय कानून के ‘बार-बार उल्लंघन’ के लिए इसराइल को ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने पड़ सकते हैं.
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन ज़ायद ने एक बयान में इस हमले को “कायराना” और “ग़ैर-जिम्मेदाराना उकसावा” करार दिया, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को कमजोर करता है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इसराइल की “लापरवाह आक्रामकता” के ख़िलाफ़ कदम उठाने की अपील की.
मिस्र ने हमले को “खतरनाक मिसाल” करार दिया और कहा कि यह सीधे तौर पर क़तर की संप्रभुता पर हमला है. वह भी ऐसे समय में जब दोहा ग़ज़ा में युद्धविराम के लिए वार्ता की मेज़बानी कर रहा था.
जॉर्डन टीवी के अनुसार, जॉर्डन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की है कि इसराइल को इस “खतरनाक उकसावे” को रोकने और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने के लिए मजबूर किया जाए.
ओमान ने बयान में इसे “राजनीतिक हत्या का घोर अपराध” और “राष्ट्र की संप्रभुता का घोर उल्लंघन” बताया.
लेबनान के राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इसराइल की ऐसी कार्रवाई को रोके जो “सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का उल्लंघन” करती है.
अल्जीरिया के विदेश मंत्रालय ने फ़ेसबुक पर जारी बयान में हमले को “बर्बर आक्रामकता” बताया और कहा कि यह हमला साबित करता है कि इसराइल “शांति नहीं चाहता”.
अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल ग़ैत ने एक बयान जारी कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ज़िम्मेदार ठहराया कि वह ऐसे देश के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे जो “कानून का मज़ाक उड़ाता है और अपने शर्मनाक कृत्यों के नतीजों की परवाह नहीं करता”.
अरब मीडिया में क्या कहा जा रहा है?
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10 सितंबर को अधिकतर अरब मीडिया ने इस हमले को प्रमुखता से कवर किया. कुछ ने इसे “नई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन” बताया, जबकि कुछ ने युद्धविराम वार्ता पर हमला बताया.
क़तर स्थित अल जज़ीरा और अबू धाबी स्थित स्काई न्यूज़ अरबिया ने अपने बुलेटिन में क़तर के प्रधानमंत्री के बयान को प्रमुखता दी, जिसमें उन्होंने कहा कि दोहा को जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है. साथ ही उन्होंने एकजुटता के साथ कार्रवाई की अपील भी की.
सऊदी फंडिंग से चलने वाले अल अरेबिया ने अपने बुलेटिन में ट्रंप के उस बयान को प्रमुखता दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह इस हमले से “खुश नहीं” हैं.
अधिकांश मीडिया संस्थानों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस आपात बैठक को भी अहमियत दी, जो आज होने की उम्मीद है. कुछ ने इसे “क़तर पर आक्रामकता” करार देते हुए चर्चा की मांग की है.
राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर हायल अल-दाजा ने जॉर्डन के सरकारी चैनल से कहा कि यह हमला ग़ज़ा में युद्धविराम की संभावनाओं की “हत्या” है.
सऊदी अरब के अख़बार अशरक अल-अवसत ने अपने पहले पन्ने की प्रमुख हेडलाइन दी है- “इसराइल ने दोहा में हमास को निशाना बनाया और वार्ता को भी चोट पहुंचाई.”
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‘नई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन’
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लंदन स्थित पैन-अरब दैनिक अल-क़ुद्स अल-अरबी ने अपने संपादकीय में लिखा कि यह हमला इसराइल की ओर से “नई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन” है और ऐसी कार्रवाई “व्यावहारिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के बिना संभव नहीं” हो सकती.
अख़बार ने आगे लिखा कि क़तर की संप्रभुता का उल्लंघन इस बात का संकेत है कि अब राजनीतिक समाधान का रास्ता बंद हो गया है और “सैन्य दबदबे के तर्क” को तरजीह दी जा रही है.
लंदन स्थित दैनिक अल-अरब की प्रमुख हेडिंग थी, “इसराइल हर जगह हमला करता है, उसके लिए कोई लक्ष्मण रेखा नहीं बची है.”
क़तर समर्थित अल-अरबी अल-जदीद में मिस्र के पत्रकार वाएल क़ंदील ने कहा कि इसराइल का हमला “सिर्फ फ़लस्तीनी नेतृत्व पर ही नहीं, बल्कि क़तर पर सीधी आक्रामकता है.”
उन्होंने इसे अरब देशों में “इसराइली उल्लंघनों की लंबी सूची” में एक और उल्लंघन बताया. और इसे कथित “ग्रेटर इसराइल प्रोजेक्ट” का विस्तार करार दिया.
क़तर युद्धविराम की वार्ताओं में मध्यस्थता करता रहा है और ग़ज़ा युद्धविराम को लेकर हमास की वार्ता टीम विचार विमर्श के लिए दोहा में मौजूद है.
लेकिन यह पहली बार नहीं है कि इसराइल ने हमास के नेतृत्व पर निशाना साधने के लिए दूसरे देशों के अंदर भी हमले किए हैं.
ईरान के अलावा, लेबनान पर भी इसराइल ने ऐसे हमले किए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित