अनंत के साथ उनकी मां नीता अंबानी और पत्नी राधिका के साथ ही कुछ करीबी सहयोगी और आध्यात्मिक गुरु ही रहे। अनंत अंबानी के अनुसार उनके लिए इस यात्रा का अर्थ भय के ऊपर विश्वास कष्ट के ऊपर प्रेरणा और आराम के ऊपर अनुशासन को वरीयता देना था। जामनगर से द्वारका तक की 180 किलोमीटर लंबी पदयात्रा नौ दिनों में पूरी कर अनंत ने अपने एक संकल्प की सिद्धि की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुशिंग सिंड्रोम यानी गंभीर किस्म के एक हार्मोनल असंतुलन के कारण उत्पन्न मोटापा, अस्थमा और फाइब्रोसिस से जूझ रहे किसी व्यक्ति के लिए एक-दो किलोमीटर पैदल चलना भी मुश्किल हो सकता है, लेकिन गुजरात में जामनगर से द्वारका तक की 180 किलोमीटर लंबी पदयात्रा नौ दिनों में पूरी कर अनंत अंबानी ने अपने एक संकल्प की सिद्धि की।
पदयात्रा के रूप में की गई अपनी इस आध्यात्मिक यात्रा को अनंत अंबानी ने अपने आंतरिक उत्थान, खासकर कठिन पथ को अपनाने की शक्ति हासिल करने का एक प्रयास बताया है।
29 मार्च को शुरू हुई थी यात्रा
यह यात्रा 29 मार्च को शुरू हुई थी और इसका समापन रामनवमी के अवसर पर हुआ। खास बात यह है कि रविवार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार उनका जन्मदिन भी रहा। हाल में अपने कई सामाजिक कार्यों के कारण चर्चा में रहे अनंत इस यात्रा में प्रतिदिन 12 से 15 किलोमीटर पैदल चले।
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