अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक स्पेसक्राफ़्ट ने सूरज के बेहद नज़दीक पहुंच कर भी सामान्य तौर पर काम करके इतिहास रच दिया है. इससे पहले कोई अंतरिक्ष यान सूरज के इतने करीब नहीं गया था.
शुक्रवार को नासा के वैज्ञानिकों को इस बात का सिग्नल मिला कि बेहद गर्म माहौल में कई दिनों तक उड़ान भरने के बाद इसका इसका संचार संपर्क कट गया था.
नासा का कहना है कि ये यान सुरक्षित है और सूरज की सतह से 61 लाख किलोमीटर दूर से गुज़रने के बावजूद ये सामान्य ढंग से काम कर रहा है.
पार्कर सोलर प्रोब को 2018 में सौर मंडल के केंद्र की ओर भेजा गया था.
वैज्ञानिकों के मुताबिक़ क्रिसमस के एक दिन पहले प्रोब सूरज के बाहरी वातावरण में घुसा लेकिन बेहद अधिक तापमान और विकिरण से जूझने के बावजूद इसने अपना वजूद बचाए रखा. अंतरिक्ष यान की इस उड़ान से सूरज के काम करने के तरीके बारे में हमारी समझ और बढ़ेगी.
पार्कर सोलर प्रोब के सूरज के नज़दीक पहुंचने के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों के दिल की धड़कन बढ़ गई थी. वो लगातार उससे सिग्नल मिलने का इंतज़ार कर रहे थे. उम्मीद की जा रही थी कि सिग्नल 28 दिसंबर को सुबह पांच बजे मिल सकता है.
इतनी गर्मी कैसे बर्दाश्त कर सका ये यान?
नासा की वेबसाइट के मुताबिक़ पार्कर सोलर प्रोब 6.92 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से अपना सफर करते हुए भी 980 डिग्री सेल्सियस के तापमान को बर्दाश्त करने में कामयाब रहा.
नासा ने कहा है, ”पार्कर सोलर प्रोब की ओर से सूरज के इतने नजदीकी अध्ययन से इसका तापमान लिया जा सकता है. इससे ये समझने में मदद मिलेगी कि इस क्षेत्र में कैसे कोई पदार्थ लाखों डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है.”
इससे सौर हवा की उत्पत्ति ( सूरज से निकलने वाले पदार्थ का निरंतर प्रवाह) और ऊर्जा से लैस कणों के गति पकड़ कर प्रकाश की गति तक पहुंचने की वजहों का पता चल सकता है.
नासा के साइंस विभाग की प्रमुख डॉक्टर निकोला फॉक्स ने इससे पहले बीबीसी से कहा था, ”सदियों से लोग सूर्य का अध्ययन कर रहे हैं. लेकिन जब तक वो वहां नहीं जाएंगे तब तक वहां के वातावरण का अहसास नहीं कर पाएंगे. इसलिए जब तक आप उसके पास से होकर उड़ान नहीं भरेंगे तब तक वहां का माहौल कैसा है ये नहीं बता पाएंगे. ”
पार्कर सोलर प्रोब 2018 में लॉन्च किया गया था, जो हमारे सौरमंडल के केंद्र की ओर अपना सफर जारी रखे हुए है.
ये सूरज से होकर 21 बार गुज़र चुका है. हर बार ये पहले की तुलना में इसके ज्यादा नजदीक पहुंचता रहा है. लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या पर ये सूरज के सबसे नज़दीक पहुंच गया था. इसने अब तक का रिकॉर्ड तोड़ दिया था.
लेकिन अब तक के सबसे नजदीकी जगह पर पहुंचने के बावजूद भी ये सूरज से 61 लाख किलोमीटर दूर था.
लेकिन ये दूरी सूरज और प्रोब के बीच के फासले को नए सिरे से भी परिभाषित करती है.
डॉ. फॉक्स का कहना है, ” हम सूरज से 9.30 करोड़ मील की दूरी पर हैं. अगर हम सूरज और धरती को एक मीटर की दूरी पर रखते हैं पार्क सोलर प्रोब सूरज से 4 सेंटिमीटर पर होगा. तो ये इतना नजदीकी मामला है.”
प्रोब 1400 डिग्री सेल्सियस के तापमान को बर्दाश्त करने में भी कामयाब हो गया. इतनी गर्मी प्रोब में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक्स को खाक कर सकती थी.
लेकिन इसे इसके चारों ओर लगी 11.5 सेंटीमीटर की मोटी कार्बन-कंपोजिट शील्ड बचाती रहती है. हालांकि प्रोब की रणनीति ये है कि सूरज के वातावरण में तेजी से घुसे और फिर उतनी ही तेजी से बाहर निकल आए.
देखा जाए तो ये किसी भी मानवनिर्मित वस्तु की तुलना में ज्यादा रफ़्तार से चला. इसकी रफ़्तार चार लाख तीस हजार मील प्रति घंटा थी. ये 30 सेकेंड से भी कम समय में लंदन से न्यूयॉर्क तक की उड़ान की रफ़्तार के बराबर थी.
पार्कर को ये गति उस बेहद मजबूत गुरुत्वाकर्षण खिंचाव की वजह से हासिल हुई थी, जो इसके सूरज की ओर जाते वक़्त पैदा हुई थी.
आख़िर सूरज को छूने की कोशिश क्यों हो रही है
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जैसे ही ये अंतरिक्ष यान सूरज के बाहरी वातावरण यानी कोरोना से गुज़रा होगा, इसने उन आंकड़ों को इकट्ठा कर लिया होगा जो लंबे समय से चले आ रहे रहस्य को सुलझा सकता है.
वेल्स में फिफ्थ स्टार लैब्स के खगोलशास्त्री डॉ जेनिफर मिलार्ड ने बताया, “कोरोना वास्तव में बहुत गर्म है, और हमें इसका कोई अंदाजा नहीं है कि ये इतना गर्म क्यों है.
उन्होंने बताया,” सूरज की सतह पर 6000 डिग्री के क़रीब तापमान होता है, लेकिन इसके बाहरी हिस्से कोरोना पर ( जिसे आप सूर्य ग्रहण के दौरान भी देख सकते हैं) तापमान लाखों डिग्री तक पहुंचता है और ये सूरज से बहुत दूर है. तो आख़िर यहां का वातावरण इतना गर्म कैसे हो रहा है? “
ये मिशन सोलर विंड यानी सूरज के कोरोना से लगातार निकलते हुआ चार्ज्ड पार्टिकल्स के बहाव का भी अध्ययन करेगा.
जब ये चार्ज्ड पार्टिकल्स पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में आते हैं आकाश में भारी चमक पैदा होती है.
लेकिन अतंरिक्ष के इस कथित मौसम से बड़ी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं. इससे पावर ग्रिड, इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन सिस्टम ध्वस्त हो सकते हैं.
डॉ. मिलार्ड कहती हैं,” पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन के लिए सूरज, इसकी गतिविधियों, अंतरिक्ष के मौसम और सोलर विंड के बारे में जानना बेहद अहम है.”
जब पार्कर सोलर प्रोब पृथ्वी के संपर्क में नहीं था तो नासा के वैज्ञानिकों को चिंता हो रही थी.
डॉ. फ़ॉक्स को उम्मीद थी कि जैसे ही सिग्नल मिलेगा उनकी टीम उन्हें हरे रंग का दिल का निशान भेजेगी. यानी ये प्रोब के ठीक काम करने का संकेत होगा.
उन्होंने माना कि वो इस दुस्साहसिक कोशिश के बारे में पहले काफी चिंतित थी लेकिन उन्हें प्रोब पर भरोसा था.
उन्होंने कहा, ” मुझे प्रोब के बारे में अब भी चिंता होगी. लेकिन हमने इसे इस तरह डिज़ाइन किया है कि ये बेहद कठिन और निर्मम हालात में भी काम कर सके. छोटा सा ये अंतरिक्ष यान अंदर से बहुत मज़बूत है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित